रंगोत्सव के पहले न्यायधानी में सजा बजार, हर्बल गुलाल व रंग-बिरंगी पिचकारियां आयीं…

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रंगोत्सव के पहले न्यायधानी में सजा बजार, हर्बल गुलाल व रंग-बिरंगी पिचकारियां आयीं…

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बिलासपुर। साल 2024 की होली सबसे खास होगी। लोकसभा चुनाव के कारण नहीं बल्कि बाजार में एक से बढ़कर एक रंग-गुलाल और पिचकारी के कारण। महानगरों से बिलासपुर में ऐसे-ऐसे गुलाल और पिचकारी आईं हैं, जिन्हे देख बच्चे तो उत्साहित हैं, बड़े भी आकर्षित हो रहे हैं। पहली बार रंगों से नहलाने वाला टैंकर और गुलाल उड़ाने वाला राकेट बम आया है। अनार, चकरी के घूमते ही पूरा माहौल सुगंधित गुलाल से सराबोर हो जाएगा। बाजार में इसकी चमक देखते बन रही है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को है। इस दिन होलिका दहन होगा। 25 मार्च को रंगोत्सव मनेगा।

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न्यायधानी में पर्व को लेकर माहौल बन चुका है। होलिका के पास नगाड़े की थाप सुनाई देने लगी है। बाजार भी सजने लगा है। तेलीपारा के वृंदावन परिसर, शनिचरी बाजार, बुधवारी बाजार और माल में होली की रंगत इससे जुड़े व्यवसायों में दिख रही है। पुराना बस स्टैंड, देवकीनंदन चौक, मंगला, तिफरा, व्यापार विहार, सरकंडा एवं तारबाहर चौक में भी दुकानें सजने लगी। शहर के बड़ी संख्या में युवा और गृहिणी सीधे घरों से होली सामग्री बेच रहे। तारबाहर चौक स्थित गुप्ता होली सेंटर और एंथोनी रंगोली दुकान में नए-नए होली के समान देखने को मिला। इसके अलावा कई होटल और मंगल भवन में विभिन्न समाज और स्टूडेंट ग्रुप द्वारा होली महोत्सव भी मनाया जा रहा है।

नाम व फोटो वाले टी-शर्ट भी

बच्चों से लेकर बड़ों में होली को लेकर उत्साह देखते बनता है। होली टी-शर्ट, हर्बल रंग और एक से बढ़कर एक पैकेट पकवान भी बाजार में आ चुका है। जो युवाओं को विशेष रूप से आकर्षित भी कर रहा है। इधर सीबीएसई और छत्तीसगढ़ बोर्ड कक्षा 10वीं की परीक्षा भी समाप्त हो चुकी हैं। 22 मार्च को 12वीं की परीक्षा खत्म होगी। बच्चे इसके बाद और भी होलियाना मूड में दिखेंगे।

होलाष्टक प्रारंभ: मंगल कार्य वर्जित

ज्योतिषाचार्य पंडित वासुदेव शर्मा के मुताबिक फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी से होलाष्टक प्रारंभ हो जाता है और होलिका दहन यानी पूर्णिमा तक व्याप्त रहता है। इस साल 17 मार्च से यह प्रारंभ हो चुका है। इस दौरान प्रकृति के वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो जाता है। इससे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, नवीन आदि मंगल कार्य पूर्णत: वर्जित माना जाता है।

भूत-प्रेत के मुखौटे व मखमली गुलाल

शहर में हर्षोल्लास व धूमधाम से बनाए जाने वाले होली पर्व को लेकर दुकानदार भी काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं। इस बार दुकानों के बाहर स्टाल लगाकर उन पर तरह-तरह की वैरायटी के रंग गुलाल व पिचकारियों को सजाना शुरू कर दिया गया है। दुकानों पर गुलाल, मखमल गुलाल, गोल्ड सिल्वर जैसे सूखे रंग भी उपलब्ध हैं। बाजार में बच्चों के लिए पांच रुपये से लेकर एक हजार रुपये तक की पिचकारी मिल रही हैं। चुनावी सीजन को देखते हुए जानवर और भूत-प्रेत के साथ नेताओं के मुखौटे भी हैं। जिसे खूब पसंद किया जा रहा है।

रसायनिक रंगों से बनाएंगे दूरी

रंगों के त्योहार होली को लेकर बाजार में रंगों की दुकानें सजनी लगी हैं। इस बार त्वचा को होने वाले नुकसान को ध्यान में रखते हुए लोगों ने इस बार केमिकल वाले रंग से दूरियां बनाते दिख रहे हैं। दुकानों में भी केमिकल युक्त रंग बहुत कम दिख रहे हैं। अधिकांश दुकानों में गुलाल ही बेचा जा रहा है। इस बार खास तौर पर अलग-अलग खुशबू वाली सेटेंड गलाल की मांग ज्यादा है।

 

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