झारखंड के इस जंगल में पाए गए 500 से अधिक मांसाहारी पौधे, इंसानों के जाने पर लगी रोक… – www.khabarwala.news

झारखंड के इस जंगल में पाए गए 500 से अधिक मांसाहारी पौधे, इंसानों के जाने पर लगी रोक…

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झारखंड के इस जंगल में पाए गए 500 से अधिक मांसाहारी पौधे, इंसानों के जाने पर लगी रोक…
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  • दलमा पहाड़ की तलहटी में पसरे लाल रंग के मांसाहारी पौधे।
  • पेड़-पौधों पर शोध करने वाले राजा घोष ने की इसकी खोज।
  • मुसाबनी के जंगल में ड्रासेरा बर्मेनाई की भी घोष ने ही की थी खोज।

जमशेदपुर। अब तक हमने यही सुना था कि पशु-पक्षी ही मांस का भक्षण करते हैं, लेकिन शायद आपने यह नहीं सुना होगा कि पौधे भी कीट-पतंगों का भक्षण करते हैं। हाथियों के लिए संरक्षित दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के जंगल में लगभग 500 की संख्या में दुर्लभ मांसाहारी पौधे पाए गए हैं, जिसका वनस्पति नाम ड्रासेरा बर्मेनाई है। इसे अंग्रेजी में सनड्यू के नाम से भी जाना जाता है।

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राजा घोष ने टीम के साथ की पौधे की खोज

इसकी खोज पेड़-पौधों पर शोध करने वाले राजा घोष ने अपनी टीम के साथ की है। उन्होंने इसकी जानकारी दलमा क्षेत्र के वन प्रमंडल पदाधिकारी डा. अभिषेक कुमार के साथ ही झारखंड जैव विविधता परिषद को भेज दी है, ताकि इसके संरक्षण व संवर्धन की दिशा में कारगर कदम उठाया जा सके। राजा घोष मूल रूप से वनकर्मी हैं, लेकिन वह डीएफओ के सानिध्य में लगातार कई दुर्लभ जीव-जंतुओं व पौधों की खोज करते रहते हैं।

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खास तरीके से शिकार को करता है आकर्षित

इससे पहले पूर्वी सिंहभूम जिले के मुसाबनी के जंगल में ड्रासेरा बर्मेनाई की भी खोज राजा घोष ने ही की थी। जीव जंतु विशेषज्ञ सह को-आपरेटिव कालेज, जमशेदपुर के प्राचार्य डा. अमर सिंह बताते हैं कि यह पौधा अपनी बनावट व रंगों से कीट-पतंगों या कीड़े-मकोड़ों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह पौधा कीटों को आकर्षित करने के लिए अपने तनों व पत्तों से एक रस का स्राव करता है, जो ओंस की बूंद के समान प्रतीत होता है।

पौधों के क्षेत्र में आवाजाही पर लगाई रोक

डा. अभिषेक कुमार के अनुसार दलमा में बड़ी संख्या में ड्रासेरा बर्मेनाई नामक मांसाहारी पौधे पाए जाने की जानकारी मिलते ही उस क्षेत्र को सुरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। इसके संरक्षण के लिए उस क्षेत्र को मानव गतिविधि से मुक्त कर दिया गया है। खाई की खोदाई कर सुरक्षित कर दिया जाएगा।

औषधीय गुणों से भरपूर सनड्यू

आयुर्वेदाचार्य डा. मनीष डूडिया के मुताबिक प्राचीन काल से ही इसका उपयोग औषधि के रूप में किया जाता रहा है। इससे खांसी की दवा बनाई जाती है, जो काफी कारगर है। इसका उपयोग हृदय रोग, दांत दर्द, फेफड़ों में सूजन, ताकत की दवाओं के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। जड़ के अलावा फूल व फल से भी दवा बनाई जाती है।

देश के कुछ ही क्षेत्र में पाए जाते मांसाहारी पौधे

ड्रासेरा बर्मेनाई मांसाहारी पौधे सामान्य तौर पर उत्तरी यूरोप, साइबेरिया, उत्तरी अमेरिका, कनाडा, कैलिफोर्निया, मोंटाना, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अफ्रीका में पाए जाते हैं, जबकि भारत में हिमालय की तराई, असम, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के सतपुड़ा जंगल में इसकी उपलब्धता है। यह पौधा ज्यादातर नमी वाली भूमि पर पाया जाता है, जहां नाइट्रोजन की कमी रहती है।

 

 

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