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रायपुर । अपने शासनकाल में कांग्रेस सरकार के जिन कामों को शुरू नहीं कर पाई, अब वो काम शुरू ही नहीं होंगे। प्रदेश की विष्णु देव सरकार ने यह निर्णय लिया है कि डीएमएफ (जिला खनिज न्यास निधि) की राशि से स्वीकृत होने के बाद जो काम नहीं हुए हैं, अब उन्हें रोक दिया जाएगा। इसके साथ ही विभागों की फिजूलखर्ची रोकने के लिए सरकार ने समस्त विभागों को फरमान किया है।
वित्त विभाग ने इस संबंध में सभी विभाग, अध्यक्ष, राजस्व मंडल, समस्त विभागाध्यक्षों को चिट्ठी जारी कर दी है। वित्त विभाग ने स्पष्ट किया है कि केंद्र पोषित प्रायोजित योजनाओं और विशेष केंद्रीय सहायता पोषित परियोजनाओं संबंधित योजनाओं पर यह आदेश लागू नहीं होंगे। वित्त विभाग के संयुक्त सचिव अतीश पांडे की ओर से यह आदेश जारी किया गया है। आदेश में यह भी लिखा है कि राज्य से वित्त से पोषित सभी निर्माण कार्यों को वित्त विभाग से दोबारा सहमति के बाद ही शुरू किया जाए। विभागीय गतिविधियों के संचालन के लिए आवश्यक सामग्री को छोड़कर दूसरी सामग्रियों की खरीदी न करें।
डीएमएफ पर नकेल
यह नियम डीएमएफ की राशि से अब तक शुरू नहीं होने वाले कामों पर भी लागू होगा। छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास नियम-15 के क्रियान्वयन के संबंध में मंत्रालय से नए दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। जिसके तहत जिला खनिज संस्थान न्यास की शासी परिषद द्वारा ऐसे कार्य जिन्हें प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है, परंतु कार्य प्रारंभ नहीं हुए हैं, ऐसे कामों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगेगी। साथ ही जिले के सभी नवनिर्वाचित विधायक डीएमएफ शासी परिषद के पदेन सदस्य होंगे। डीएमएफ कार्यों में पारदर्शिता के उद्देश्य से राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों के बाद यह कदम उठाया गया है।
डीएमएफ फंड के संबंध में यह दिशा-निर्देश जारी
शासी परिषद् के ऐसे अप्रारंभ कार्य की पुन: समीक्षा की जाए। इसके बाद शासी परिषद के निर्णय या अनुमोदन अनुसार ही अग्रिम आवश्यक कार्रवाई की जाएं।
कलेक्टर-सह-अध्यक्ष, जिला खनिज संस्थान न्यास द्वारा शासी परिषद के बिना प्रशासकीय स्वीकृति के कोई भी नए कार्य प्रारंभ नहीं किए जाएं।
जिला खनिज संस्थान न्यास नियम 2015 के नियम-10 (1ख) के प्रावधान अंतर्गत संबंधित जिले के समस्त नवनिर्वाचित विधानसभा सदस्य, जो पदेन सदस्य हैं। ऐसे समस्त विधानसभा सदस्यों को तत्काल सूचित किया जाए।
छत्तीसगढ़ जिला खनिज सस्थान न्यास नियम 2015 के नियम-10(2), 10 (3) एवं 10(4) के प्रावधान अन्तर्गत संबंधित जिले के ऐसे नामांकित जनप्रतिनिधियों या सदस्यों जिनकी कालावधि तीन वर्ष पूर्ण हो चुकी है, उनके स्थान पर नए नामांकन किए जाएं।