
ब्राह्मण समाज भारत के सांस्कृतिक इतिहास और विकास का गवाह रहा है। साथ ही भारत की सनातनी परम्परा को प्राचीनकाल से तप-त्याग और गहन चिंतन से सम्पूर्ण मानवता का किस प्रकार विकास हो इस पर कार्य किया है ।
ब्राह्मणों का मूल मंत्र रहा है ‘‘ सर्वे भवन्तु सुखिनः‘‘।
ब्राह्मण की पूजा उसके कर्म त्याग और तपस्या के कारण होती हैं।
आज आवश्यकता इस बात की है कि ब्राह्मण क्षेत्रवाद,
वर्गवाद, साम्प्रदायवाद, जाति, उपजाति एवं भाषावाद से
ऊपर उठकर बात करें। देश को अपनी परम्परा का ज्ञान
कराये और राष्ट्र और मानवता की सेवा में आगे आए। हमारा देश विभिन्न धर्मो , जातियों, भाषाओं और संस्कृतियों का संगम है। यह विविधता भरी संस्कृति भारत
को पूरी दुनिया में विशिष्ट बनाती हैं। आज के समय और आगे भी इस संस्कृति को बनाये और बचाये रखने के लिए देश भर से ब्राह्मणों को बुलाकर सम्मानित किया जाता है,, यह सर्व महासभा पिछले 12 वर्षों से सक्रिय है।