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रायपुर। लोकतंत्र के उत्सव में पढ़े-लिखों के शहरों की भागीदारी प्रश्न चिन्ह खड़े कर रही है, जहां ग्रामीण व अर्धशहरी क्षेत्रों में 75 से 84 प्रतिशत तक मतदाताओं ने भागीदारी की, वहीं रायपुर, बिलासपुर, भिलाई, मुंगेली, दुर्ग जैसे बड़े शहरों के आंकड़े 65 प्रतिशत तक पहुंचते-पहुंचते हाफ गए।
रायपुर प्रदेश की राजधानी हैं, बिलासपुर न्यायधानी, वहीं भिलाई औद्योगिक नगरी है, लेकिन इन तीन बड़ों शहरों की स्थिति चिंताजनक है। यहां मतदाताओं का नहीं निकलना बड़ा सवाल खड़े कर रहा है। इसका फायदा कांग्रेस को होगा या भाजपा को होगा, यह तो मतगणना के दिन ही पता चलेगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जहां काफी कम मतदान हुआ है, वहां भाजपा को नुकसान हो सकता है, वहीं 65 प्रतिशत से अधिक मतदान वाले सीटों पर दोनों पार्टियों में टक्कर हो सकती है। ऐसा कहा जा रहा है कि रायपुर उत्तर में निर्दलीय प्रत्याशी अजीत कुकरेजा समीकरण बदलने में कामयाब हो सकते हैं।
वोट नहीं किए छुट्टी मनाई
रायपुर के लिए 2018 में भी स्थिति चिंताजनक रही थी। तब यहां औसत 60 प्रतिशत तक ही मतदान हुआ था। जानकारों का कहना है कि शहरी क्षेत्रों में कई पढ़े-लिखे युवा,बेरोजगार, नौकरीपेशा मतदान के दिन छुट्टी में मशगूल रहते हैं। कई व्यापारी वर्ग भी छुट्टी मनाने चले जाते हैं। हालांकि चैंबर आफ कामर्स ने व्यापारियों के ज्यादा से ज्यादा मतदान के लिए अभियान भी चलाया था।