नक्सलियों के डर से पोलिंग बूथ आबादी से 65 किमी दूर, निर्वाचन अधिकारी बोले- गांव पहुंचते तो शहीद हो जाते…

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नक्सलियों के डर से पोलिंग बूथ आबादी से 65 किमी दूर, निर्वाचन अधिकारी बोले- गांव पहुंचते तो शहीद हो जाते…

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जगदलपुर छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद घटने के दावों के बीच बस्तर के इलाकों में आज भी हालात नहीं बदले हैं। हालात ये हैं कि लोकतंत्र में भरोसा रखने वाले लोग मतदान करना भी चाहे तो कर नहीं पाएंगे। वजह है- मतदान कराने वाले सरकारी कर्मियों को नक्सलियों से लगने वाला डर। दरअसल, बस्तर के नारायणपुर और बीजापुर इलाकों में मतदान के लिए लोगों को कई किमी पैदल चलना पड़ेगा।

दूरदराज के गांवों में पोलिंग बूथ नहीं बने हैं। बीजापुर जिले में लोगों को वोट डालने के लिए 65 किमी तक सफर तय करना पड़ेगा। जिले में चेरपल्ली, सेंड्रा, पलसेगुंडी, इरपागुट्टा और एड़ापल्ली जैसे कई पोलिंग बूथ थे, जिन्हें सुरक्षा कारणों से भोपालपटनम शिफ्ट कर दिया गया है। भोपालपटनम में मतदान कर्मी वोटिंग तो करवा लेंगे, लेकिन जिन मतदाताओं के नाम वहां दर्ज हैं वे यहां पहुंचेंगे कैसे, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। इन इलाकों में नक्सलियों ने मतदान का बहिष्कार करने की चेतावनी दे रखी है। इन इलाकों में 6 हजार से ज्यादा वोटर हैं।

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बीजापुर के निर्वाचन अधिकारी व कलेक्टर राजेंद्र कटारा कहते हैं कि- ‘जंगल में दूरी ज्यादा है। 60 किमी तक फोर्स नहीं जा पा रही है तो कैसे व्यवस्था होगी? प्रैक्टिकली यह पॉसिबल नहीं है। हमारा दल जाते-जाते ही निपट जाएगा। एक भी जवान शहीद हो गया तो पूरी मतदान प्रक्रिया निगेटिव हो जाती है।’

इन इलाकों में खौफ इतना कि वोटिंग 10% भी नहीं हो पाती: 2018 के विधानसभा चुनाव में कांकेर में कुल 138 मतदान केंद्र ऐसे थे, जहां 10% से कम मतदान हुआ। इसी तरह बीजापुर में 65, सुकमा में 37, दंतेवाड़ा में 22 और नारायणपुर में 7 केंद्र थे, जहां 10% से कम वोटिंग हुई। बस्तर संभाग में 2,974 पोलिंग बूथ हैं। इनमें 1,288 नक्सल प्रभावित इलाकों में हैं। 321 बूथ अति संवेदनशील माने गए हैं।

निर्वाचन टीमें हेलिकॉप्टर से पहुंचेंगी, मतदाताओं के लिए वाहन तक नहीं

नारायणपुर जिले में वोट डालने के लिए 90 किमी की दूरी तय करनी पड़ेगी। यहां के पालबेड़ा पालेमेटा पोलिंग बूथ को सोनपुर के एक स्कूल में शिफ्ट किया गया है, जो 45 किमी दूर है। इसी तरह गट्टाकाल के लोगों को 40 किमी दूर ओरछा के मिडिल स्कूल में वोट डालने जाना होगा। पांगुड़ और कोंगे के बूथ छोटे बेठिया शिफ्ट किए गए हैं। यहां लोगों को 22 से 27 किमी पैदल चलना पड़ेगा। नारायणपुर के कलेक्टर अजीत वसंत कहते हैं- अंदरूनी इलाकों में पोलिंग बूथ नहीं बने हैं। सभी को सड़क किनारे शिफ्ट किया गया है। दूसरी ओर, राज्य के 148 बूथों पर निर्वाचन टीमों को हेलिकॉप्टर से भेजा जाएगा। जबकि ग्रामीणों के लिए वाहन तक नहीं हैं।

सीधी बात…

राजेंद्र कटारा, निर्वाचन अधिकारी, बीजापुर (छग)

सवाल: लोग इतनी दूर कैसे पहुंचेंगे?

जवाब: चैलेंज है, पर कर क्या सकते हैं

पोलिंग बूथ शिफ्ट कर दिए, लोग वोट कहां डालेंगे?

सुरक्षित जगहों पर बूथ बने हैं, लोग वहीं वोट डालेंगे।

100 किमी से ज्यादा चलना पड़ेगा, ये कैसे संभव है?

नक्सली गतिविधियों के कारण गांवों में मतदान दल भेजना संभव नहीं है। घने जंगल हैं। सड़क नहीं है। पूरा इलाका नक्सलियों का है। वहां बूथ कैसे बनाते।

लोग अपने मताधिकार का प्रयोग कैसे करेंगे?

प्रशासन सभी लोगों को सूचना दे देता है। दूसरी ओर, नक्सलियों ने बहिष्कार का फरमान जारी किया है। ग्रामीणों को वहीं रहना है, उन्हीं लोगों के बीच। चैलेंज तो है पर हम कर क्या सकते हैं?

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