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नई दिल्ली: 15 अक्टूबर 2022 को नवरात्र शुरू है. शारदीय नवरात्र में सबसे महत्वपूर्ण अष्टमी का व्रत माना जाता है. जो 22 अक्टूबर दिन रविवार को होगा. पंडित मनोत्पल झा कहते हैं कि महाअष्टमी व्रत का प्रवेश 21 अक्टूबर को ही रात्रि 8:00 बजे होगा. लेकिन सनातन धर्म में सूर्योदय मुताबिक ही पर्व मनाया जाता हैं. अष्टमी रात्रि प्रवेश करने के कारण महाअष्टमी का व्रत 22 अक्टूबर को मनाया जाएगा. यह आठ दिनों तक जो पूजा पाठ नियम धर्म से करते हैं, उसी माता को प्रसन्न करने के लिए महिलाएं निर्जला उपवास रहकर महाअष्टमी व्रत का इंतजार करती हैं. इसको करने से धन, यश, भाग्य के साथ बहुत कुछ मिलता है.
सभी व्रतों के उपवास से बहुत ज्यादा शक्तिशालीपंडित जी ने आगे कहा कि यह अष्टमी का व्रत बहुत ही ताकतवर माना जाता है. चाहे वह किसी भी क्षेत्र से हो. चाहे इसमें तांत्रिक की सिद्धि हो या किसी का रोग, कलेश या अन्य कोई भी समस्या हो तो यह व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. इसलिए इस व्रत को माताएं और बहने निर्जला रहकर शाम में अपने आंचल में अरवा चावल, दुब्रि और हल्दी सहित अलग-अलग श्रृंगार सामग्री लेकर आंचल तैयार करती है. और दुर्गा माता के मंदिर जाकर दीपक जलाकर माता को आंचल अर्पण करती है. मन्नतें मांगती है.
पंडित झा ने बताया कि यह मामूली उपवास नहीं है. यह काफी सुखदायक और फलदायक है. यह महाअष्टमी व्रत काफी कठिन है.
खोइछा भरने का समय और शुभ मुहूर्तमहाअष्टमी व्रत का शुभ मुहूर्त संध्या के लगभग 6:00 बजे से रात्रि के 9:00 बजे तक इस दौरान माताएं एवं बहने आप संध्या काल में मंदिर में जाकर माता को खोइछा भर सकते हैं. जो काफी लाभदायक होगा. हालांकि ऐसे दिन में भी 11:00 बजे और 1:30 बजे एवं अन्य कई टाइम है, लेकिन खोइछा शुभ समय संध्या के समय में ही भरा जाता है. इसलिए शाम में जाकर माता को अर्पण करना चाहिए.
महाअष्टमी व्रत के मौके पर करें ये कामअष्टमी के मौके पर अगर माता लक्ष्मी की विशेष कृपा चाहते हैं तो इसके लिए सबसे पहले आपको स्नान ध्यान पूजा कर आप लक्ष्मी प्राप्ति इन मंत्रों का जप करें. “या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी-रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः…”
कोई समस्या रोग, क्लेश सहित अन्य बीमारियों और शत्रु पराजय के लिए “सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि. एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरिविनाशनम. या देवी सर्वभूतेषु सर्वशक्ति रुपए सदस्यता लक्ष्मी रूपेण संस्थिता…” का जप करें.