‘सरकार’ मैदान में, 11% विधायकों के टिकट काटे, 10 फीसदी साहू शामिल

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‘सरकार’ मैदान में, 11% विधायकों के टिकट काटे, 10 फीसदी साहू शामिल

अपनी 30 प्रत्याशियों की पहली लिस्ट में 8 विधायकों के टिकट काटकर बताया है कि कांग्रेस समझौता नहीं करेगी। पहली ही लिस्ट में कांग्रेस ने अपने 11 फीसदी विधायक काट दिए। वर्तमान सरकार में सारे मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष को दोबारा उन्हीं सीटों से मौका दिया गया है। यानी पूरी ‘सरकार’ को कांग्रेस ने रिपीट किया है।

लिस्ट में पहले चरण की 20 में से 19 सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए गए। इसमें बस्तर संभाग की 12 में से 11 और राजनांदगांव लोकसभा की सभी 8 सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए गए हैं। इन्हीं सीटों पर पहले चरण में वोटिंग होनी है। इसमें कोई भी नाम ऐसा नहीं है, जो चौकाने वाला हो। केवल राजनांदगांव से गिरीश देवांगन को उतारकर कांग्रेस ने चौकाया है। पहली ही लिस्ट में 3 साहू को टिकट दी है. यानी 10 प्रतिशत दखल रखा है। भाजपा ने 85 में से 10 साहू को मैदान में उतारा है। यानी यानी फिलहाल भाजपा ने 11 फीसदी तो कांग्रेस ने 10 प्रतिशत साहू प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं।इन 8 विधायकों का टिकट क्यों कटा?

चित्रकोट
चित्रकोट से राजमन बेंजाम की टिकट काटकर सांसद दीपक बैज को दिया गया। दीपक बैज प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी हैं। पीसीसी चीफ दीपक बैज यहां से चुनाव लड़ते रहे हैं, जीतते रहे हैं। इस सीट पर कोई संशय नहीं था। लिहाजा राजमन की टिकट कटना तय माना ही जा रहा था।

दंतेवाड़ा
दंतेवाड़ा से विधायक की टिकट जरूर कटा है, लेकिन प्रत्याशी परिवार का ही है। दिवंगत महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा यहां से विधायक थीं। 2018 में मां देवती कर्मा को टिकट मिलने पर बेटे छबिन्द्र कर्मा ने ही बगावत कर दी थी। निर्दलीय लड़ने को तैयार हो गए थे, लेकिन नामांकन वापस ले लिया था। इस बगावत का असर यह रहा कि पार्टी चुनाव हार गई। भाजपा के भीमा मंडावी विधायक बने। 2019 में उनकी नक्सलियों ने हत्या कर दी और उपचुनाव में देवती कर्मा फिर जीतीं। कांग्रेस इस बार बगावत का रिस्क नहीं उठाना चाहती थी।

कांकेर
कांकेर से पूर्व आईएएस शिशुपाल सोरी की टिकट काट दिया गया है। इस बार शंकर ध्रुवा को उम्मीदवार बनाया गया है। दरअसल शिशुपाल सोरी की उम्र बहुत हो चुकी है, पर उनकी लोकप्रियता बरकरार है। वे इस समय 77 वर्ष के हो चुके हैं। उम्र उनके टिकट कटने की बड़ी वजह रही।

अंतागढ़
अंतागढ़ में लोग विधायक अनूप नाग से इसलिए नाराज थे, क्योंकि उन्होंने पिछली बार वादा किया था कि सरकार बनी और विधायक बना, तो अंतागढ़ जरूर जिला बनेगा। सरकार भी बड़ी बहुमत के साथ आई और वे भी जीत गए, लेकिन जितने भी नए जिले बने, उनमें अंतागढ़ शामिल नहीं हुआ। इस कारण जनता में उनसे नाराजगी थी।

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पंडरिया
पंडरिया से ओबीसी समाज को ही टिकट देना तय किया गया। इस सीट पर अर्जुन तिवारी का नाम भी तेजी से उभरा था, उन्हें भी मौका नहीं मिला। यहां से ममता चंद्राकर की टिकट काटकर नीलकंठ चंद्रवंशी को मौका दिया गया है। ममता चंद्राकर के खिलाफ कांग्रेसियों ने ही मोर्चा खोल रखा था। उनके खिलाफ शिकायतें थीं कि वे पार्टी के कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करती हैं। उधर, नीलकंठ बगल की सीट कवर्धा से विधायक व मंत्री मो. अकबर के बेहद करीबी हैं। कवर्धा के जिला अध्यक्ष भी रहे। इस समय ऐसे कैंडिडेट की जरूरत थी, जो ओबीसी समाज को भी साध सके और आसपास की सीटों पर सांप्रदायिक तनाव से होने वाले असर को भी कम कर सके। जब कवर्धा में तनाव फैले थे, तो नीलकंठ ने मो. अकबर के साथ मोर्चा संभाला था।

खुज्जी
खुज्जी से छन्नी साहू की टिकट काट दी गई है। छन्नी साहू टीएस सिंहदेव की करीबी मानी जाती हैं। यहां से भूपेश बघेल के करीबी नवाज खां भी टिकट की दावेदारी कर रहे थे। टकराव था। भोलाराम साहू इससे पहले विधायक थे। उनकी टिकट काटकर लोकसभा से मौका दिया गया, लेकिन वे हार गए। किसी भी तरह की कंट्रोवर्सी से दूर रहने के लिए भोलाराम साहू को एक बार फिर मौका दे दिया गया।

डोंगरगढ़
डोंगरगढ़ से भुवनेश्वर बघेल की टिकट काटकर हर्षिता स्वामी बघेल को टिकट दी गई है। भुवनेश्वर को लेकर सक्रियता नहीं होने की शिकायत थी। कांग्रेस के सभी सर्वे में उनके लिए परिणाम नकारात्मक आ रहा था। जिला पंचायत की अध्यक्ष हर्षिता को लेकर प्रतिक्रिया ठीक आ रही थी। लिहाजा भुवनेश्वर की टिकट काटी गई।

नवागढ़
नवागढ़ से गुरुदयाल बंजारे की टिकट काटी गई और रूद्र गुरू को टिकट दी गई है। रूद्र गुरू कुमार ने तीसरी बार अपनी विधानसभा सीट बदली है। इससे पहले वे आरंग और अहिवारा से चुनाव लड़ चुके हैं। सामाजिक धर्म गुरू हैं। प्रदेश के आलाकमान से रिश्ते अच्छे नहीं रहे, लेकिन धर्म गुरू हैं, समाज में अच्छी पकड़ है,लिहाजा उन्हें नजर अंदाज नहीं किया जा सकता था। रूद्रगुरू कुमार की नवागढ़ से लड़ने की इच्छा का सम्मान पार्टी को करना पड़ा और गुरुदयाल बंजारे की टिकट काट दी गई

पहली ही लिस्ट में पूरी सरकार

कांग्रेस ने पहली सूची में पूरी ’सरकार’ को मैदान में उतार दिया है। इनमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ सारे मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष का नाम सूची में शामिल है। अपनी पहली लिस्ट में भाजपा ने 21 सबसे कमजोर प्रत्याशियों को उतारा था, जबकि कांग्रेस ने अपनी पहली सूची में अपने सबसे मजबूत उम्मीदवारों की घोषणा की है।

राजनांदगांव में फिर बाहरी प्रत्याशी

राजनांदगांव में एक बार फिर बाहरी प्रत्याशी देकर भाजपा की राह आसान हो सकती है। यहां गिरीश देवांगन को टिकट दी गई है। स्व. उदय मुदलियार के बेटे जितेंद्र मुदलियार का नाम जोरों से चला था, लेकिन गिरीश देवांगन का नाम सामने आया। पिछली बार करुणा शुक्ला को कांग्रेस ने टिकट दी थी। वे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी थीं और भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुकी थीं। कांग्रेस में शामिल हुईं और उन्हें राजनांदगांव से लड़ाया गया। उन पर भी बाहरी होने का आरोप लगा। वैसे, कांग्रेस के पास भी यही तर्क है कि डॉ. रमन सिंह भी तो बाहरी ही हैं। वे कवर्धा से क्यों नहीं लड़ते। हो सकता है राजनांदगांव में कांग्रेस से कुछ बागी प्रत्याशी मैदान में उतरें।पहली ही लिस्ट में एक सांसद को भी मौका

भाजपा ने अब तक जारी 85 लोगों में 4 सांसद को मौका दिया है। भाजपा ने सांसद विजय बघेल, गोमती साय, अरुण साव और रेणुका सिंह को टिकट दी है। कांग्रेस ने पहली लिस्ट में एक सांसद को मौका दिया है। चित्रकोट से सांसद दीपक बैज को प्रत्याशी बनाया है। अभी भाजपा की 5 और कांग्रेस की 60 सीटों पर प्रत्याशी आने बाकी हैं। भाजपा में एक और सांसद संतोष पांडेय को उतारने का हल्ला है।

कवर्धा और साजा में दिग्गजों पर भरोसा

कवर्धा और साजा में सांप्रदायिकता के छींटे लग चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी ने यहां इसी हिसाब से उम्मीदवार उतारे हैं। साजा के बिरनपुर में ईश्वर साहू को, जिसके बेटे की हत्या कर दी गई थी और कवर्धा से विजय शर्मा को उतारा गया है। कांग्रेस ने यहां अपने दिग्गज मंत्रियों साजा से रविंद्र चौबे और कवर्धा से मोहम्मद अकबर को ही मौका दिया है। मोहम्मद अकबर भले ही मुस्लिम समुदाय से हों, लेकिन पिछली बार पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा वोट मोहम्मद अकबर को ही मिले थे। साजा से चौबे परिवार की जीत की परंपरा रही है।

कांग्रेस की पहली लिस्ट नवरात्रि में क्यों?
छत्तीसगढ़ में कहीं न कहीं भगवान राम, हिन्दु-मुस्लिम, धार्मिक रीति-नीति, परंपराओं को लेकर चर्चाएं जारी रहीं। लोग इस बात की चर्चा करते रहे कि भारतीय जनता पार्टी हिन्दुत्व, धर्म-कर्म और भगवा का प्रतिनिधित्व करती है, लेकिन पितृपक्ष में टिकटें जारी कीं। आमतौर पर यह धारणा है कि पितृपक्ष में बड़े काम नहीं किए जाते। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव पहले ही कहते रहे कि नवरात्र के शुभदिन ही टिकटें आएंगी। इसका ज्यादा असर नहीं, लेकिन एक छोटा सा संदेश ये भी है कि कांग्रेस धर्म-कर्म, धार्मिक परंपरा, रीति-नीति और परंपराओं का पालन करने वाली पार्टी है।

30 में 9 नए चेहरे उतारे
कांग्रेस ने पहली लिस्ट में 9 नए चेहरों को उतारा है। ऊपर आठ सीटों की चर्चा हो चुकी है, जहां विधायकों के टिकट काटे गए हैं, जबकि एक चेहरा गिरीश देवांगन का है, जिन्हें राजनांदगांव में डॉ. रमन सिंह के खिलाफ उतारा गया है।

टेकाम जो मंत्री रहे, इस सूची में क्यों नहीं

प्रतापपुर से विधायक रहे प्रेमसाय सिंह टेकाम, जो शिक्षामंत्री रहे, उनका नाम इस लिस्ट में शामिल नहीं है। एक आदिवासी मंत्री को हटाकर दूसरे आदिवासी को मंत्री बनाया गया था और एक आदिवासी को पीसीसी चीफ से हटाकर दूसरे आदिवासी को पीसीसी चीफ बनाया गया था। लिहाजा, कांग्रेस आदिवासी सीटों पर रिस्क नहीं लेना चाहती थी। पीसीसी चीफ भी आदिवासी रहा, मंत्री भी आदिवासी रहा और प्रेम साय सिंह टेकाम के प्रति क्षेत्र की नाराजगी के चलते उन्हें किनारे भी कर दिया गया। उस वक्त इस्तीफे के बाद उनका एक बयान आया था- इस्तीफा दिया नहीं जाता, ले लिया जाता है।

चढ़ेगा सीडी कांड के मुद्दे का रंग

जैसे ही कांग्रेस की पहली लिस्ट आई, भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज सामने आईं और पार्टी की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस लेते हुए सीधे कहा कि भूपेश बघेल अश्लील सीडी कांड से जुड़े हैं। इसके साथ ही कुछ और आरोप लगाए, जो लगाते आ रहे हैं, लेकिन सीडी कांड पर जिस तरह से उन्होंने जोर दिया, माना जा सकता है कि पिछले चुनाव की सीडी की तस्वीरें इस बार भी मोबाइल पर जाने वाली हैं।

कांग्रेस की सूची से जुड़ी और खबरें

1. कांग्रेस की पहली लिस्ट के प्रत्याशियों की डिटेल प्रोफाइल:30 उम्मीदवारों में सभी 13 मंत्रियों के नाम; पहले चरण की जगदलपुर सीट पर सस्पेंस बरकरारछत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने 30 नामों वाली पहली लिस्ट जारी कर दी है। सूची में पहले चरण की 20 में से 19 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए गए हैं। हालांकि बस्तर की जगदलपुर सीट पर अब भी सस्पेंस बरकरार है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपनी परंपरागत सीट पाटन से चुनाव लड़ेंगे। पढ़ें पूरी खबर..

2. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के 30 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी: 8 विधायकों का टिकट कटा; पहले चरण की 20 सीटों में से 19 पर उम्मीदवार घोषितछत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने रविवार को 30 प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत सभी 13 मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष शामिल हैं। जबकि पूर्व एक मंत्री सहित 8 विधायकों के टिकट काटे गए हैं। पहले चरण के 20 सीटों पर मतदान होना है। ऐसे में उसके 19 प्रत्या​​शी घोषित कर दिए गए हैं। सिर्फ जगदलपुर सीट से प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया गया है

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