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नई दिल्ली: इस साल सर्व पितृ अमावस्या 14 अक्टूबर दिन शनिवार को है. उस दिन शनि अमावस्या और आश्विन अमावस्या भी है. आश्विन कृष्ण अमावस्या तिथि को सर्व पितृ अमावस्या मनाई जाती है. पितृ पक्ष में सर्व पितृ अमावस्या एक महत्वपूर्ण तिथि है. उस दिन सभी ज्ञात और अज्ञात पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान आदि किया जाता है. सर्व पितृ अमावस्या वाले दिन आप कुछ आसान उपायों को करके अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं. उनके आशीष से पूरे परिवार की उन्नति होती है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं सर्व पितृ अमावस्या के उपायों के बारे में.
सर्व पितृ अमावस्या 2023 मुहूर्त
सर्व पितृ अमावस्या तिथि का प्रारंभ: 13 अक्टूबर, शुक्रवार, रात 09 बजकर 50 मिनट सेसर्व पितृ अमावस्या तिथि का समापन: 14 अक्टूबर, शनिवार, रात 11 बजकर 24 मिनट परसर्व पितृ अमावस्या पर कुतुप मूहूर्त: 11:44 एएम से 12:30 पीएम तकसर्व पितृ अमावस्या पर रौहिण मूहूर्त: 12:30 पीएम से 13:16 पीएम तकसर्व पितृ अमावस्या पर अपराह्न काल: 13:16 पीएम से 15:35 पीएम तक
सर्व पितृ अमावस्या 2023 पितरों को प्रसन्न करने के उपाय
1. तर्पण से पितरों को करें तृप्त
सर्व पितृ अमावस्या पर अपने पितरों को स्मरण करके जल से तर्पण दें. इसके लिए आप काले तिल, कुशा, सफेद फूल और चावल का उपयोग करें. कुशा के अग्र भाग से पितरों को जल अर्पित करें. इससे उनको तृप्ति मिल जाती है. यदि आपके पास कुछ भी नहीं है तो आप अपने शब्दों से पितरों को तृप्त कर सकते हैं. इसके लिए आप पितरों का ध्यान करें और कहें कि हे पितृ देव! आप सभी को मैं अपने शब्दों से तृप्त करता हूं, आप सभी तृप्त हों.
2. पितरों के लिए करें दान
सर्व पितृ अमावस्या के दिन स्नान और तर्पण के बाद पितरों को प्रसन्न करने के लिए दान करें. इस दिन सफेद वस्त्र, केला, सफेद फूल, काला तिल और दही का दान करना चाहिए. ये वस्तुएं किसी गरीब ब्राह्मण को दान करें, फिर उनको दक्षिणा देकर विदा करें. दक्षिणा में धन की जगह कोई बर्तन या पात्र दान कर सकते हैं.
3. पीपल के पेड़ की करें पूजा
पीपल में त्रिदेव का वास होता है. सर्व पितृ अमावस्या वाले दिन स्नान आदि के बाद पीपल के पेड़ की पूजा करें. उसकी जड़ को जल से सींचे. उसके बाद शाम को पीपल के पेड़ के नीचे दक्षिण दिशा में सरसों के तेल का दीपक जलाएं, पितरों को मार्ग दिखाएं. इससे पितर प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं.
4. ब्राह्मण भोज
सर्व पितृ अमावस्या को श्राद्ध के बाद ब्राह्मण को भोज कराएं. उस दिन पितरों की तृप्ति के लिए खीर, पूड़ी, कद्दू की सब्जी बनवाते हैं. धार्मिक मान्यता है कि ब्राह्मणों को भोज कराने से पितर तृप्त होते हैं. श्राद्ध के भोजन में काला तिल, सरसों, जौ, मटर आदि का उपयोग करते हैं.
5. पंचबलि कर्म
सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों के लिए पंचबलि कर्म करते हैं. इसमें कौआ, गाय, कुत्ता, चींटी आदि को भोजन का अंश देते हैं. मान्यता है कि इन जीवों के माध्यम से पितरों को भोजन प्राप्त होता है.
सर्व पितृ अमावस्या 2023 मुहूर्त
सर्व पितृ अमावस्या तिथि का प्रारंभ: 13 अक्टूबर, शुक्रवार, रात 09 बजकर 50 मिनट सेसर्व पितृ अमावस्या तिथि का समापन: 14 अक्टूबर, शनिवार, रात 11 बजकर 24 मिनट परसर्व पितृ अमावस्या पर कुतुप मूहूर्त: 11:44 एएम से 12:30 पीएम तकसर्व पितृ अमावस्या पर रौहिण मूहूर्त: 12:30 पीएम से 13:16 पीएम तकसर्व पितृ अमावस्या पर अपराह्न काल: 13:16 पीएम से 15:35 पीएम तक
.सर्व पितृ अमावस्या 2023 पितरों को प्रसन्न करने के उपाय
1. तर्पण से पितरों को करें तृप्त
सर्व पितृ अमावस्या पर अपने पितरों को स्मरण करके जल से तर्पण दें. इसके लिए आप काले तिल, कुशा, सफेद फूल और चावल का उपयोग करें. कुशा के अग्र भाग से पितरों को जल अर्पित करें. इससे उनको तृप्ति मिल जाती है. यदि आपके पास कुछ भी नहीं है तो आप अपने शब्दों से पितरों को तृप्त कर सकते हैं. इसके लिए आप पितरों का ध्यान करें और कहें कि हे पितृ देव! आप सभी को मैं अपने शब्दों से तृप्त करता हूं, आप सभी तृप्त हों.
2. पितरों के लिए करें दान
सर्व पितृ अमावस्या के दिन स्नान और तर्पण के बाद पितरों को प्रसन्न करने के लिए दान करें. इस दिन सफेद वस्त्र, केला, सफेद फूल, काला तिल और दही का दान करना चाहिए. ये वस्तुएं किसी गरीब ब्राह्मण को दान करें, फिर उनको दक्षिणा देकर विदा करें. दक्षिणा में धन की जगह कोई बर्तन या पात्र दान कर सकते हैं.
3. पीपल के पेड़ की करें पूजा
पीपल में त्रिदेव का वास होता है. सर्व पितृ अमावस्या वाले दिन स्नान आदि के बाद पीपल के पेड़ की पूजा करें. उसकी जड़ को जल से सींचे. उसके बाद शाम को पीपल के पेड़ के नीचे दक्षिण दिशा में सरसों के तेल का दीपक जलाएं, पितरों को मार्ग दिखाएं. इससे पितर प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं.
4. ब्राह्मण भोज
सर्व पितृ अमावस्या को श्राद्ध के बाद ब्राह्मण को भोज कराएं. उस दिन पितरों की तृप्ति के लिए खीर, पूड़ी, कद्दू की सब्जी बनवाते हैं. धार्मिक मान्यता है कि ब्राह्मणों को भोज कराने से पितर तृप्त होते हैं. श्राद्ध के भोजन में काला तिल, सरसों, जौ, मटर आदि का उपयोग करते हैं.
5. पंचबलि कर्म
सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों के लिए पंचबलि कर्म करते हैं. इसमें कौआ, गाय, कुत्ता, चींटी आदि को भोजन का अंश देते हैं. मान्यता है कि इन जीवों के माध्यम से पितरों को भोजन प्राप्त होता है.