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महासमुंद 01 सितंबर 2023: राज्य शासन द्वारा समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत निःशक्तजन वित्त विकास निगम द्वारा दिव्यांगजन स्वरोजगार ऋण योजना संचालित है। यह योजना जिले के दिव्यांगजनों के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है। जिसमें जिले के विभिन्न दिव्यांगजनों को ऋण उपलब्ध कराकर उन्हें स्वरोजगार एवं मुख्य धारा में जोड़नें का कार्य समाज कल्याण विभाग द्वारा किया जा रहा है।
पिथौरा विकासखण्ड के ग्राम लाखागढ़ निवासी श्रवणबाधित श्री भागेश्वर गजेन्द्र के पिता नहीं है। घर में बड़े होने के नाते उनकी दो बहन, एक भाई की जिम्मेदारी उन पर थी। जिसके कारण उन्हें काफी आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। जिसके चलते वे आगे की पढ़ाई नहीं कर पाए किन्तु अपने भविष्य और परिवार को लेकर वे काफी चिंतित रहा करते थे। इसके उपरांत भी वे हमेशा आगे बढ़ने की सोचा करते थे। एक दिन उनके मन में विचार आया कि वे स्वरोजगार स्थापित कर आत्मनिर्भर बनें। तब किसी ने उन्हें बताया कि समाज कल्याण विभाग के माध्यम से दिव्यांगजनों के लिए निःशक्तजन वित्त विकास निगम द्वारा स्वरोजगार के लिए निःशक्तजनों को ऋण उपलब्ध कराया जाता है। तब उन्होंने समाज कल्याण विभाग पहुंचकर योजना के बारे में जानकारी ली। इस पर अधिकारियों ने उन्हें विस्तारपूर्वक जानकारी दी। विभाग ने उनके लिए ऑटो पार्ट्स इकाई स्थापना के लिए दो लाख 69 हजार 820 रुपए का ऋण 06 प्रतिशत् सालाना ब्याज की दर से स्वीकृत किया गया। इसके उपरांत उन्होंने स्वीकृत ऋण से पिथौरा में ऑटो पार्ट्स की दुकान डाली।
श्री भागेश्वर गजेन्द्र का व्यवसाय के प्रति काफी लगन और मेहनत करने के कारण उन्होंने कुछ वर्षों में मासिक किश्त के माध्यम से पूरा ऋण चुका दिया। वे वर्तमान में पिथौरा में अपने ऑटो पार्ट्स का दुकान संचालित कर रहे हैं। जहां कार, मोटर सायकल रिपेयरिंग एवं ऑटो पार्ट्स की बिक्री कर रहें हैं। वर्तमान समय में श्री भागेश्वर गजेन्द्र आत्मनिर्भर एवं सफल उद्यमी है और अपने संयुक्त परिवार की जिम्मेदारी बखूबी उठा रहे है। उन्होंने अपने दुकान में तीन अन्य कर्मचारियों को भी रोजगार उपलब्ध करा रहे है। उन्होंने अपने व्यवसाय के सफलता पूर्वक संचालन के लिए प्रबंधक की जिम्मेदारी अपने भाई को दी है। उन्हें व्यवसाय से अच्छी आमदनी प्राप्त हो रही है। अब वे पूर्णतः आर्थिक रूप से सक्षम होकर समाज की मुख्य धारा से जुड़कर सम्मान पूर्वक जीवन यापन कर रहें है। श्री भागेश्वर गजेन्द्र जिले के अन्य दिव्यांगजनों के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत के रूप में जाना जाता है।