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- क्लास ऑफलाइन पर होमवर्क डिजिटल:स्कूलों में ऑफलाइन पढ़ाई शुरू लेकिन बच्चों के हाथ से मोबाइल नहीं छूटेगा, इसी पर होमवर्क
- अपनी सुविधा के चक्कर में बच्चों की आदतें हो रही खराब
- स्कूल में बच्चों के उपस्थित होने के बाद भी उन्हें होमवर्क मोबाइल के माध्यम से ही दिया जा रहा है। कहां गए वो दिन? जब बच्चों को अलग से होमवर्क डायरी (गृहकार्य) देकर हस्ताक्षरित किया जाता था।
- जहां एक ओर मोबाइल के माध्यम से स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की गतिविधियों का पूरा फीडबैक अब अभिभावकों को घर बैठे मिल रहा है।
- बच्चे को स्कूल में क्या होमवर्क मिला है, टेस्ट में उसके कितने अंक आए हैं, ये तमाम तरह की जानकारी बच्चे के घर पहुंचने से पहले ही माता-पिता को व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से मिल तो जा रहा है किन्तु बिना मोबाइल के बच्चें पढ़ाई करने में रूचि नहीं दिखा रहे।
- बच्चें स्कूल से घर आते ही सबसे पहले मांगने लगते हैं मोबाइल
- चिड़चिड़ापन रवैया के साथ ही बड़ो को बातों को मानने में कर रहे अनसुना
*घनश्याम यादव/देवभोग-गरियाबंद* @खबरवाला न्यूज:-कोरोना वायरस का प्रभाव पूरे विश्व पर ऐसे पड़ा की सभी का जीवन अस्त व्यस्त कर दिया। उद्योग जगत के साथ साथ हमारा एक और महत्वपूर्ण क्षेत्र प्रभावित हुआ है और वो है हमारी शिक्षा। शिक्षा के बिना अच्छे समाज की कल्पना करना ऐसा ही होगा जैसे बिना जल के किसी प्राणी का जीवन। कोरोना के बाद शिक्षा जैसे डोल सी गई है। कोरोना काल में शिक्षण संस्थानों ने एक नया तरीका निकाला और वो था ऑनलाइन शिक्षा देना। इस नई शिक्षण प्रणाली को शुरू में तो बहुत सराहा गया।
कोरोना काल में पढ़ाई के लिए ऑनलाइन माध्यम का उपयोग किया गया था । गर्मी छुट्टी के बाद अब राज्य के सरकारी व निजी स्कूलों में ऑफलाइन पढ़ाई शुरू हो चुकी है। लेकिन बच्चों का ऑनलाइन से नाता नहीं टूटेगा। उसके हाथ से मोबाइल नहीं छुटेगा। दरअसल, बच्चों को इस पर होमवर्क दिए जा रहे हैं। जरूरी सूचनाएं भी मोबाइल पर दे रहे हैं। हालांकि, कोरोना काल से पहले स्कूल वाले ही बच्चों को मोबाइल से दूर रहने के लिए कहते थे।
सरकारी ओर निजी स्कूल व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से सूचना आदान-प्रदान कर अभिभावकों को स्कूल गतिविधियों को प्रेषित कर ही रही है जिससे अभिभावक ओर शिक्षकों के बीच एक अलग ही रिश्ता जुड़ गया है। जो बच्चें किसी कारणवश स्कूल नहीं जा पाते उनको व्हाट्सएप ग्रुप में दिया गया होमवर्क को शेयर किया जाता है वो भी ठीक है किन्तु ऐसे बच्चे निरन्तर स्कूल जा रहें हैं वो भी स्कूल से घर आते ही सबसे पहले मोबाइल मांगने लगते हैं ऐसे सभी घरों में देखनें को मिल रहा है। इस प्रकार की बच्चों की मानसिकता को कैसे रोका जाए तथा बच्चों में आध्यात्मिक, मानसिक तथा शारीरिक स्तर बढ़ाया जायें यहीं विचार मनन करने योग्य है?
किसी भी निजी अथवा शासकीय स्कूल प्रबंधन समिति या संचालक, शिक्षकों पर दोषारोपण न करते हुए अपनी अभिव्यक्ति को खबर के माध्यम से प्रकाशित किया गया है। अपनी अभिव्यक्ति ओर विचार अपने बच्चों के स्कूल प्रबंधन समिति तथा संचालकों के सामने रख कर शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाने पर चर्चा करें।