इस बार रीपा में बनी गेड़ी और पूजा थाली से मनेगा हरेली तिहार…

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श्यामनगर रीपा में महिला समूहों द्वारा तैयार किये जा रहे गेड़ी

गरियाबंद के सी-मार्ट में भी बिक्री के लिए रहेंगे उपलब्ध

कलेक्टर श्री छिकारा ने रीपा में बने गेड़ी से हरेली तिहार मनाने की अपील की

घनश्याम यादव/देवभोग -गरियाबंद@खबरवाला न्यूज:- हरेली तिहार छत्तीसगढ़ का सबसे पहला त्यौहार है, जो लोगों को छत्तीसगढ़ की संस्कृति और आस्था से परिचित कराता है। यह किसानों द्वारा अच्छी फसल की कामना के लिए मनाया जाने वाला पारंपरिक त्यौहार है। इस वर्ष 17 जुलाई को हरेली तिहार मनाया जायेगा। हरेली तिहार को पारंपरिक रूप से मनाने के लिए जिले में विशेष पहल की गई है। इस बार श्यामनगर में स्थित महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क (रीपा) में गेड़ी एवं पूजा थाली का निर्माण किया जा रहा है। रीपा में महिला समहों द्वारा बांस से गेड़ी बनाये जा रहे हैं, साथ ही पूजा में उपयोगी विभिन्न सामग्रियों को मिलाकर पूजा थाली का भी निर्माण किया जा रहा है। जिसे आमजन खरीद सकेंगे और हरेली तिहार का उत्सव मना सकेंगे। गेड़ी और पूजा थाली श्यामनगर रीपा के अलावा गरियाबंद में स्थित सी-मार्ट में भी बिक्री के लिए उपलब्ध रहेंगे। कलेक्टर श्री आकाश छिकारा ने महिला समूहों के सदस्यों को प्रोत्साहित करने के लिए रीपा में बने गेड़ी से हरेली तिहार मनाने की अपील जिलेवासियों से की है।

जिला पंचायत सीईओ श्रीमती रीता यादव ने बताया कि श्यामनगर रीपा में बनाये जा रहे पूजा थाली में पूजा में उपयोग होने वाले सामग्री जैसे काला तिल, हल्दी, सुपाड़ी, रुई-बाती, कपूर-कुवारी धागा, मौली धागा, चुनरी, उड़द दाल, जवा, दशांग, रोली, कुमकुम, गुलाल, चंदन, अगरबत्ती, हवन सामग्री, लकड़ी (पलास मदार, पीपल, बेल, फुड़हर, आम, गुलर, कुशा, खैर) को शामिल किया गया है। इसके अलावा बांस की गेड़ी का भी निर्माण किया जा रहा है। पूजा थाली 100 रूपए एवं गेड़ी 150 रूपए प्रति नग की दर से खरीदा जा सकता है।

हरेली हर वर्ष सावन महीने के अमावस्या में मनाया जाता है। हरेली मुख्यतः खेती-किसानी से जुड़ा पर्व है। इस त्यौहार के पहले तक किसान अपनी फसलों की बोआई या रोपाई कर लेते हैं और इस दिन कृषि संबंधी सभी यंत्रों नागर, गैंती, कुदाली, फावड़ा समेत कृषि के काम आने वाले सभी तरह के औजारों की साफ-सफाई कर उन्हें एक स्थान पर रखकर उसकी पूजा-अर्चना करते हैं। घर में महिलाएं तरह-तरह के छत्तीसगढ़ी व्यंजन खासकर गुड़ का चीला बनाती हैं। हरेली में जहां किसान कृषि उपकरणों की पूजा कर पकवानों का आनंद लेते हैं, आपस में नारियल फेंक प्रतियोगिता करते हैं, वहीं युवा और बच्चे गेड़ी चढ़ने का मजा लेते हैं। छत्तीसगढ़ की संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए शासन द्वारा तीज-त्यौहारों को व्यापक स्तर पर मनाया जा रहा है। जिसमें शासन भी भागीदारी बनता है। इन पर्वों के दौरान महत्वपूर्ण शासकीय आयोजन होते है। इस वर्ष भी हरेली तिहार को व्यापक रूप से मनाने तथा छत्तीसगढ़ की सभ्यता एवं संस्कृति के सरंक्षण के लिए रीपा में बने गेड़ी और पूजा थाली का उपयोग कर हर्षोल्लास के साथ हरेली तिहार मनाया जाएगा।

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