मनरेगा से गाय शेड पाकर सुखराम अब दुग्ध व्यवसाय के साथ कृषि से कर रहे हैं उन्नति…

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दंतेवाड़ा, 30 जून 2023।जिले के विकासखंड कुआकोंडा के ग्राम पंचायत हल्बारास के निवासी श्री सुखराम आज सुखी से अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। वे बताते है कि मनरेगा के तहत गाय शेड का निर्माण किया ह,ै शेड बन जाने से उनकी मुश्किलें आसान हो गई हैं गायों को शेड में ही रखने से बारिश, धूप, पशुओं की चोरी या अन्य माध्यमों से होने वाली क्षति से छुटकारा मिला है। वे बताते है कि उनके पास 9 गाय है गायों के गोबर से वे खाद बना रहे है और निर्मित खाद को खेती बाड़ी में उपयोग में ला रहे है। साथ ही गायों से प्राप्त दूध को बेचकर लाभ भी अर्जित कर रहे वे बताते ह,ै की दूध बेचकर प्रति माह 5 से 6 हजार की आमदनी हो जाती हैं। जिससे उनकी आय में बढ़ोत्तरी हो रही है है।

 

वे कहते है कि उन्होंने इस प्रकार के लाभ की कल्पना पहले कभी नही की थी इससे पहले उनके जीवन कष्ट भरा रहा है। ग्रामीण परिवेश में रहकर खेती-बाड़ी के माध्यम से अपनी आजीविका चलाते थे। जिससे उनकी आमदनी अच्छी नहीं होने के कारण मात्र जीवन की मूलभूत जरूरतें ही मुश्किल से पूरी हो पाती थी, बचत नहीं हो पाता था। उनके पास कुछ पशु थे जिनके लिए उचित रख-रखाव की व्यवस्था नहीं हो पा रहीं थी। तब सुखराम को ग्राम पंचायत में होने वाले ग्राम सभा में इस बात की जानकारी मिली कि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित योजनाओं में से एक महत्वपूर्ण योजना मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) से हितग्राहियों को गाय शेड निर्माण कार्य द्वारा लाभान्वित किया जाता है। उन्होंने इस योजना का लाभ लेने की ठानी। उन्होने ग्राम सभा से गाय गोठान निर्माण हेतु प्रस्ताव ग्राम पंचायत से पारित करवाया एवं कार्य हेतु निर्माण क्षेत्र का नक्शा खसरा की जानकारी पंचायत के माध्यम से जनपद पंचायत कुआकोंडा के मनरेगा शाखा को उपलब्ध करवाने के पश्चात तकनिकी सहायक द्वारा कार्यक्षेत्र का निरीक्षण कर तकनीकी प्राक्कलन तैयार किया गया एवं कुछ समय पश्चात (एक लाख अठाईस हजार रूपये राशि 1.28 ) प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त हुई। कार्य की प्रशासकीय उपरांत कार्य देश प्राप्त होते ही ग्राम पंचायत सचिव, सरपंच तथा मनरेगा के अधिकारी एवं तकनीकी सहायक के प्रयास से शीघ्रता से गाय शेड निर्माण का कार्य पूर्ण कर लिया गया । पशु शेड निर्माण के उपरांत सुखराम अपने परिवार के साथ खुशी-खुशी जीवन बिता रहे हैं। एक तरह से कहा जा सकता है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में पशुपालन का बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान है। आज भी अधिकतर कृषक पशुपालन व्यवसाय से जुड़े हैं।

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