40 साल पहले अस्तित्व विहीन हो चुका धमधा का ‘‘हाथी बुढ़ान’’ तालाब हुआ पुनर्जीवित… – www.khabarwala.news

40 साल पहले अस्तित्व विहीन हो चुका धमधा का ‘‘हाथी बुढ़ान’’ तालाब हुआ पुनर्जीवित…

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40 साल पहले अस्तित्व विहीन हो चुका धमधा का ‘‘हाथी बुढ़ान’’ तालाब हुआ पुनर्जीवित…
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दुर्ग 19 मई 2023/विगत कई महीनों के निरंतर प्रयास से जिला प्रशासन को दुर्ग के विकासखंड धमधा में एक बहुत बड़ी सफलता जनभागीदारी के माध्यम से प्राप्त हुई है। 40 वर्ष पूर्व अस्तित्व विहीन हो चुके धमधा के छह तालाबों को पहले खोजा गया, फिर कब्जा हटाया गया और फिर उसकी खुदाई कर तालाब को उसका मूल स्वरूप दिया गया।

इन तालाबों को राजस्व विभाग ने स्थानीय जनों के सहयोग व अपने अथक प्रयास से पुर्नजीवित किया।

 

ये तालाब इतिहास के पन्नों में तो अंकित थे लेकिन वर्तमान में अपना मूल स्वरूप खो चुके थे। कुछ स्थानीय किसानों के द्वारा इसे पूर्णता पाट कर खेत का स्वरूप दे दिया गया था। इन विलुप्त तालाबों की बहाली के लिए जिला प्रशासन, योजनाबद्ध तरीके से सक्रिय कार्य कर रहा था। जिसके अंतर्गत उसने जनसहयोग के माध्यम से पुराने तालाबों का चिन्हांकन किया। 1909, 1921-22, 1929-30, 1984-85 राजस्व लैण्ड रिकार्ड से मिलान कर, 12 नेस्तनाबूद विलुप्त तालाबों का चिन्हांकन किया और इनका सीमांकन किया। जिनका जनभागीदारी के माध्यम से सतत् जीर्णाेद्धार का कार्य किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत हाथी बुढ़ान, घोड़ा बुढ़ान, बनफरा का तालाब व बनफरा का पैठू प्राचीन तालाबों की खुदाई का कार्य पूर्ण कर लिया गया है और तेली डबरी व लोकईया तालाब की खुदाई का कार्य चल रहा है।

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6 कोरी 6 आगर तालाब वाला धमधा फिर बनेगी तालाबों की नगरी- धमधा के तालाबों के संकलन पर आधारित श्री गोविंद पटेल द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘छै कोरी, छै आगर तरिया अऊ बूढ़ा नरवा’’ के विमोचन के दौरान मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के समक्ष धर्मधाम गौरवगाथा समिति के सदस्यों द्वारा विलुप्त हो चुके तालाबों के सीमांकन के लिए मांग की गई थी। जिस पर सकारात्मक पहल करते हुए 6 कोरी 6 आगर तालाब वाले पुरातात्विक नगर धमधा के गौरवशाली वैभव की पुर्नस्थापना के लिए मुख्यमंत्री ने कुछ समय पूर्व जिला प्रशासन को दिशा निर्देश दिए थे। जिसका अमल करते हुए कलेक्टर श्री पुष्पेंद्र कुमार मीणा के मार्गदर्शन में धमधा के एसडीएम श्री बृजेश सिंह क्षत्रिय ने विलुप्त हो चुके तालाबों के संबंध में जानकारी एकत्रित करना प्रारंभ किया।क्योंकि यह कार्य जटिल था इसलिए प्रशासन ने खेत की जानकारी रखने वाले स्थानीय लोगों की सहायता ली। जिसमें गांव के बुजुर्ग और तरिया के क्षेत्र में संरक्षण कार्य करने वाले धर्मधाम गौरवगाथा समिति शामिल हुआ। समिति 3 साल पूर्व से ही इस दिशा में कार्य कर रही थी। जिसके अंतर्गत उसने प्रशासन को तालाबों के नाम, उनके निर्माणकर्ताओं की जानकारी, खसरा व रकबा नंबर इत्यादि उपलब्ध कराई। उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर 100 साल पुराने नक्शे व अन्य लैंड रिकॉर्ड से उपलब्ध जानकारियों का मिलान किया। इसके साथ ही पटवारियों की टीम के साथ मौके का मुआयना किया गया। विषय पर जानकारी देते हुए एसडीएम धमधा द्वारा बताया गया कि शासकीय रिकॉर्ड के अनुसार 26 तालाब अपने स्थान से विलुप्त हो चुके थे। जिसमें से 12 तालाबों को जनभागीदारी, जिला प्रशासन व पुलिस बल के साथ समन्वय स्थापित कर कब्ज़ा मुक्त करा लिया गया है।

शासकीय रिकार्ड में चिन्हित 36 पटे हुए तालाबों में से 12 तालाबों को जिला प्रशासन ने कराया कब्जा मुक्त – एसडीएम द्वारा बताया गया कि कलेक्टर श्री पुष्पेन्द्र कुमार मीणा के निर्देशानुसार शासकीय रिकार्ड में चिन्हित 36 तालाब जो कि पूर्णतः पट गए थे, में से शुरूआत में बड़े रकबे के तालाबों को चिन्हित करने के लिए कहा गया है। जिसमें 12 तालाबों का चिन्हांकन स्थानीय लोगों के सहयोग व धर्मधाम गौरवगाथा समिति के माध्यम से किया गया। जिसमें विलुप्त हो चुके इन 12 तालाबों को जनभागीदारी के साथ आपसी समन्वय के साथ मुक्त कराया गया। हाथी बूडान, घोड़ा बूडान, बनफरा तालाब, बनफरा पैठु, तेली डबरी, लोकईया तालाब, नकटी डबरी, डोकरा तालाब, मूनि का पैठु, मूनि का पीछे, लोधी डबरी, पिपराही तालाब इन 12 तालाब की सूची में शामिल हैं। एसडीएम ने बताया कि अन्य बचे हुए तालाबों को भी शीघ्र कब्जा मुक्त करा लिया जाएगा और जिला प्रशासन द्वारा तालाबों की नगरी धमधा को शीघ्र पुर्नस्थापित करने हेतु सकारात्मक दिशा में कार्य किया जाएगा।

 

धमधा वासी व जिला प्रशासन ने दिया ‘‘हमर तालाब हमर धरोहर’’ का नारा – धर्मधाम गौरव गाथा समिति के संयोजक श्री वीरेंद्र देवांगन व जनपद सदस्य ईश्वरी निर्मल ने बताया कि तरिया के पुर्नुउत्थान के लिए जिला प्रशासन व स्थानीय जनों के सहयोग से किया जाने वाला यह कार्य ऐतिहासिक है। विलुप्त हो चुके तालाबों के पुर्नरूस्थापन के लिए जिला प्रशासन व धमधा वासियों ने एक सुर में ‘‘हमर तालाब हमर धरोहर’’ के मंत्र को आत्मसात् कर लिया है। मोतियों की माला के रूप में तालाबों को पुनः प्राप्त कर हमारी संस्कृति व धरोहर को पुनः प्राप्त करने का प्रयास स्थानीय जनों द्वारा किया जा रहा है।

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