मोमोस और पिज्जा से ज्यादा स्वादिष्ट और सेहदमंद है लधु धान्य रागी, कोदो-कुटकी और चावल का बोरे बासी… – www.khabarwala.news

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मोमोस और पिज्जा से ज्यादा स्वादिष्ट और सेहदमंद है लधु धान्य रागी, कोदो-कुटकी और चावल का बोरे बासी…
मोमोस और पिज्जा से ज्यादा स्वादिष्ट और सेहदमंद है लधु धान्य रागी, कोदो-कुटकी और चावल का बोरे बासी… – www.khabarwala.news - 1

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रायपुर, 29 अप्रैल 2023 :बोरे बासी का नाम जुबां पर आते ही छत्तीसगढ़ के लोगों के जेहन में बोरे बासी के साथ आम की चटनी अर्थात अथान की चटकी, भॉजी, दही और बड़ी-बिजौड़ी की सौधी-सौधी खुशबू से मन आनंदित हो जाता है। मुंह में पानी और चेहरे में भोरे बासी खाने की लालसा और ललक स्पष्ट दिखाई देती हैं। एक मई श्रमिक दिवस को पूरा छत्तीसगढ़ बोरे बासी के रूप में मनाएगा। बोरे बासी का यह दूसरा वर्ष है। छत्तीसगढ़ में पहली बार वर्ष 2022 में एक मई मजदूर दिवस को बोरे बासी दिवस के रूप में मनाया गया। पहले वर्ष ही बोरे बासी दिवस को राज्य के हर वर्ग ने अपने मन से मनाया है। इस वर्ष भी पूरा राज्य बोरे बासी दिवस के रूप में इंतजार कर रहा है।

बोरे बासी दिवस की महत्ता और बढ़ जाती है जब मजदूर दिवस के दिन राज्य के हर वर्ग, मजदूर से लेकर व्यापारी, कोटवार से लेकर कलेक्टर और पंच से लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल स्वयं इस पौष्टिक भोजन को खाने एक साथ बैठ जाते है। राज्य के अलग-अलग हिस्सों में बोरे बासी को एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। राज्य के हर वर्ग किसान से लेकर मजदूर तक सभी इस बोरे बासी दिवस की सराहना करते नजर आते है।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहचान पूरे देश में वैसे तो राज्य के जनकल्याण और राज्य की कला-संस्कृति, को बढ़ावा देने के लिए अपने अभिनव पहल के लिए जाने जाते है। मुख्यमंत्री श्री बघेल को हाल ही में दुर्ग संभाग में संचालित हेमचंद यादव विश्व विद्यालय ने उनके अभिनव पहल पर्यावरण-संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में डाक्टोरेट की उपाधी से सम्मानित भी किया है। मुख्यमंत्री के द्वारा लोककल्याण और राज्य की मूल संस्कृति और रीति-रिवाजों को संरक्षण एवं संवर्धन की दृष्टि से शुरू की गई सभी योजनाओं और कार्यक्रमों को राज्य के सभी लोगों से पूरा समर्थन भी मिलते आया है। बोरे बासी भी मुख्यमंत्री श्री बघेल के अभिनव पहलों में एक है, जिसें लोगों का साथ मिला है।

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छत्तीसगढ़ में बोरे बासी प्रमुख व्यंजनों मे से एक है। राज्य के अलग-अलग हिस्सों में वैसे तो बोरे बासी भी अलग-अलग बनाई जाती है। राज्य के मैदानी क्षेत्रों में चावल के गरम पका भोजन को रात के समय ठंठा होने के बाद पानी में डूबा कर बनाया जाता है, जिसे सुबह नास्त और भरपेट के रूप में खाया जाता है। इसी प्रकार बोरे बासी लघुधान्य फसल जैसे कोदो, कुटगी, रागी और कुल्थी की बनाई जाती है। बोरे बासी के इन भी प्रकारों में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन,फ्राइबर, इनर्जी और विटामिन्स, मुख्य रूप से विटामिन बी-12, खनिज लवण जैसे पोषक तत्व पाए जाते है। बोरे बासी, पिज्जा और मोमोस जैसे खाद्य पदार्थों से ज्यादा पौष्टिक,स्वादिष्ट और सेहदमंद है।

राज्य सरकार ने प्रदेश के किसानों के आय में वृद्धि करने के उदे्श्य से लधु धान्य कोदो, कुटकी, रागी का समर्थन मूल्य भी तय किया है। सरकार तौर पर इन फसलों की खरीदी की शुरूआत होने और वाजिब दाम मिलने से राज्य के किसान अब फिर से अपनी मुल फसल कोदो-कुटगी और रागी की फसल की ओर लौट रहे है।

बोरे और बासी बनाने की विधि-

 

बोरे और बासी बनाने की विधि बहुत ही सरल है। बोरे और बासी बनाने के लिए पका हुआ चावल (भात) और सादे पानी की जरूरत है। बोरे और बासी दोनों की प्रकृति में अंतर है। बोरे से अर्थ, जहां तत्काल चुरे हुए भात (चावल) से है जिसे पानी में डूबाकर खाया जाता है। वहीं बासी एक पूरी रात या दिनभर भात (चावल) को पानी में डूबाकर रखा जाता है। फिर अगले दिन इसे खाया जाता है। कई लोग भात के पसिया (माड़) को भी भात और पानी के साथ मिलाते खाते हैं। यह पौष्टिक के साथ स्वादिष्ट भी होता है।

 

आइए जानते है चावल, कोदो, कुटकी, रागी और कुल्थी में पाए जाने वाले पोषक तत्व, जो हमारे सेहद के लिए लाभदायक और फायदेमंद है-

 

चावल बासी का पोषक मूल्य

 

बासी में कार्बोहाइड्रेट, आयरन, पोटेशियम, कैल्शियम, विटामिन्स, मुख्य रूप से विटामिन बी-12, खनिज लवण और जल की बहुतायत होती है। ताजे बने चावल (भात) की अपेक्षा इसमें करीब 60 फीसदी कैलोरी ज्यादा होती है। बासी के साथ हमेशा भाजी खाया जाता है। पोषक मूल्यों के लिहाज से भाजी में लौह तत्व प्रचुर मात्रा में विद्यमान रहते हैं। इसके अलावा बासी के साथ दही या मही सेवन किया जाता है। दही या मही में भारी मात्रा में कैल्शियम रहता है।

 

रागी में पाए जाने वाले प्रमुख पोषक तत्व

 

लघु धान्य रागी 100 ग्राम में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व पाया जाता है, जिसे इस तरह समझा जा सकता है। प्रोटिन सौ ग्राम में 7.3 ग्राम, फैट 1.3 ग्राम, एनर्जी 328 ग्राम, फ्राईबर 3.6 ग्राम, मिनिरल्स 2.7 ग्राम, कैल्सियम 344 ग्राम, आयरन 3.9 ग्राम।

 

कुटकी में पाए जाने वाले पोष तत्व

 

लघु धान्य कुटकी में सौ ग्राम में पाए जाने वाले पोषक तत्व को इस प्रकार समझा जा सकता है। प्रोटिन सौ ग्राम में 7.7 ग्राम, फैट 4.7 ग्राम, ग्राम, फ्राईबर 7.6 ग्राम, मिनिरल्स 1.5 ग्राम, कैल्सियम 17 ग्राम और आयरन 9.3 ग्राम।

 

लघु धान्य कोदा में पाए जाने वाले पोषक तत्व

 

लघु धान्य कुटकी में सौ ग्राम में पाए जाने वाले पोषक तत्व को इस प्रकार समझा जा सकता है। प्रोटिन सौ ग्राम में 8.3 ग्राम, फैट 1.4 ग्राम, ग्राम, फ्राईबर 9 ग्राम, मिनिरल्स 2.6 ग्राम, कैल्सियम 26 ग्राम।

 

बासी खाने के फायदेः- गर्मी के मौसम में बोरे और ‘बासी’ का सेवन करना फायदेमंद साबित हो सकता है। इसका सेवन करने से शरीर में पूरे दिन ठंडक बनी रहती है। जिन लोगों को हाई बीपी की समस्या है, वे ‘बासी’ का सेवन करके इस कंट्रोल कर सकते हैं. भले ही ये एक देसी तरीका हो, लेकिन इसके लाभ कई हैं। पेट संबंधित समस्याओं से निजात पाने के लिए आप बासी को खा सकते हैं। ये आहार पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है और गैस या कब्ज जैसी समस्याएं भी आपसे दूर रहेंगी। बासी में पानी की भरपूर मात्रा होने के कारण पेशाब ज्यादा लगती है, यही कारण है कि नियमित रूप से बासी का सेवन किया जाए तो मूत्र संस्थान में होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है। पथरी की समस्या होने से भी बचा जा सकता है। चेहरे में ताजगी, शरीर में स्फूर्ति रहती है।

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