श्रमिक दिवस पर विशेष आलेख : सेहत और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, बोरे-बासी

www.khabarwala.news

schedule
2023-04-25 | 14:02h
update
2023-04-25 | 14:02h
person
khabarwala.news
domain
khabarwala.news
श्रमिक दिवस पर विशेष आलेख : सेहत और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, बोरे-बासी

raipur@khabarwala.news

रायपुर, 25 अप्रैल 2023 : छत्तीसगढ़ के आम जन जीवन में बोरे-बासी लोकप्रिय है। राज्य में बहुतायत रूप से धान की खेती के कारण यहां चावल से बने अनेक व्यंजन प्रचलित हैं, इनमें बोरे-बासी भी एक है, छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्गों भी इसे बड़े चाव से खाना पंसद करते हैं। बोरे-बासी यहां की जीवनशैली का एक अहम हिस्सा है। फिल्मों में छत्तीसगढ़ी परिवेश को दिखाने के लिए पात्रों को ‘बासी’ खाते दिखाया जाता है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य की संस्कृति के साथ यहां के खान-पान को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी क्रम में एक मई मजदूर दिवस के दिन श्रमिकों कोे सम्मान देने के लिए उनके प्रिय आहार को लेकर पूरे राज्य में ‘बोरे-बासी कार्यक्रम’ का आयोजन किया जा रहा है।

Advertisement

छत्तीसगढ़ में मेहनतकश लोगों का मुख्य आहार बोरे-बासी है। हालांकि बोरे-बासी का सेवन समाज के हर तबके के लोग करते हैं। रात के बचे भात को पानी में डूबाकर रख देना और उसे नाश्ता के तौर पर या दोपहर के खाने के समय इसका सेवन किया जाता है। इसलिए इसे सुलभ व्यंजन भी माना गया है। विशेषकर गर्मी के मौसम में बोरे और बासी को बहुतायत लोग खाना पसंद करते हैं। बोरे-बासी पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण यह सेहत और स्वास्थ्य दोनों के लिए फायदेमंद है। छत्तीसगढ़ियों के जीवन में ‘बोरे-बासी’ इतना घुला-मिला है कि जब सुबह कहीं जाने की बात होती है तो बासी खाकर निकलने का जवाब मिलता है, इससे संकेत मिलता है कि व्यक्ति सुबह 8 बजे के बाद घर से निकलेगा। ‘बासी खाय के बेरा’, से पता चल जाता है कि यह लंच का समय है।

बोरे और बासी बनाने की विधि

बोरे और बासी बनाने की विधि बहुत ही सरल है। बोरे और बासी बनाने के लिए पका हुआ चावल (भात) और सादे पानी की जरूरत है। बोरे और बासी दोनों की प्रकृति में अंतर है। बोरे से अर्थ, जहां तत्काल चुरे हुए भात (चावल) से है जिसे पानी में डूबाकर खाया जाता है। वहीं बासी एक पूरी रात या दिनभर भात (चावल) को पानी में डूबाकर रखा जाता है। फिर अगले दिन इसे खाया जाता है। कई लोग भात के पसिया (माड़) को भी भात और पानी के साथ मिलाते खाते हैं। यह पौष्टिक के साथ स्वादिष्ट भी होता है।

प्याज, अचार और भाजी बढ़ा देते हैं स्वाद

बोरे या बासी के साथ प्याज, आम के अचार, भाजी जैसी सहायक चीजें बोरे और बासी के स्वाद को बढ़ा देते हैं। छत्तीसगढ़ में गर्मी के दिनों में भाजी की बहुतायत होती है, इन भाजियों के साथ बासी का स्वाद दुगुना हो जाता है। बोरे में दही में मिलाकर भी खाया जाता है। गांव-देहातों में मसूर की सब्जी के साथ बासी का सेवन किया जाता है। कुछ लोग बोरे-बासी के साथ में बड़ी-बिजौरी भी स्वाद के लिए खाते हैं।

बोरे-बासी खाने से लाभ

बोरे-बासी में पानी की भरपूर मात्रा होती है, जिसके कारण गर्मी के दिनों में शरीर को शीतलता मिलती है। उच्च रक्तचाप नियंत्रित करता है पाचन क्रिया में मदद मिलती है। गैस या कब्ज की समस्या वाले लोगों के लिए यह फायदेमंद है। बासी का सेवन किया जाए तो पथरी की समस्या होने से भी बचा जा सकता है। चेहरे में ताजगी, शरीर में स्फूर्ति रहती है। बासी के साथ माड़ और पानी से मांसपेशियों को पोषण भी मिलता है। बासी खाने से मोटापा भी दूर भागता है। बासी का सेवन अनिद्रा की बीमारी से भी बचाता है।

बासी का पोषक मूल्य

बासी में कार्बाेहाइड्रेट, आयरन, पोटेशियम, कैल्शियम, विटामिन्स, मुख्य रूप से विटामिन बी-12, खनिज लवण और जल की बहुतायत होती है। ताजे बने चावल (भात) की अपेक्षा इसमें करीब 60 फीसदी कैलोरी ज्यादा होती है। बासी के साथ हमेशा भाजी खाया जाता है। पोषक मूल्यों के लिहाज से भाजी में लौह तत्व प्रचुर मात्रा में विद्यमान रहते हैं। इसके अलावा बासी के साथ दही या मही सेवन किया जाता है। दही या मही में भारी मात्रा में कैल्शियम रहता है।

Advertisement

Imprint
Responsible for the content:
khabarwala.news
Privacy & Terms of Use:
khabarwala.news
Mobile website via:
WordPress AMP Plugin
Last AMPHTML update:
20.11.2024 - 10:34:21
Privacy-Data & cookie usage: