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घनश्याम यादव/देवभोग @खबरवाला न्यूज:-छत्तीसगढ़ के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के द्धारा छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन चलाया जा रहा है। इस मिशन को ही बिहान योजना के नाम से जाना जाता है।
बिहान मिशन छत्तीसगढ़ विशुद्ध रूप से छत्तीसगढ़ राज्य की महत्वाकांक्षी योजना है। जिसे भारत सरकार के राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत समर्थन तथा सहायता प्राप्त होती है।
बिहान योजना के अंतर्गत स्वयं सहायता समूहों (SHG) की ऐसी महिलायें जो अपने समूह में समूह व गांव के विकास के लिये सबसे ज्यादा योगदान व समय देती हैं, उन्हें बिहान योजना में अलग अलग क्रेडरों पदों में कार्य हेतु सुनिश्चित किया जाता है। इन महिलाओं को ही सबसे पहले छत्तीसगढ़ ग्रामीण आजीविका एवं रोजगार मिशन के तहत प्रशिक्षण कार्यक्रमों में आमंत्रित किया जाता है। किसी स्वयं सहायता समूह की कमान एक सक्रिय महिला के हाथ में ही सौंपी जा सकती है।
देवभोग जनपद पंचायत अन्तर्गत देवभोग, गिरसूल, कदलीमुड़ा , झाखरपारा 04 कलस्टर संगठन की स्थापना की गई है। जहाँ पी.आर.पी., एफ.एल.सी.आर.पी, आर.बी.के. , सी.आर.पी. बैंक मित्र सैकड़ो महिला क्रेडर कार्यरत हैं। इन महिला क्रेडर द्वारा देवभोग जनपद सीईओ को उन्हें कार्य में होने वाली समस्याओं से अवगत कराते हुए मानदेय बढ़ाने की मांग तथा चार सूत्रीय मांग पूरा न होने की स्थिति में 04 दिवसीय धरना प्रदर्शन हेतु सादर सूचना प्रस्तुत किया गया है। छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान क्रेडर के देवकी नेताम, भुवनेश्वरी सिन्हा, उर्वशी सोना, कौशल्या , उर्मिला बघेल, द्रौपदी प्रधान,करूणा मांझी, भाग्यवती डोंगरे, रानी साहू, माधुरी यादव, नरेन्द्र, सुषमा बघेल,बेलमती यादव,सरोज प्रधान,बैक मित्र नीतू कश्यप , अनिता साहू, तथा उषा यादव, क्रेडर संगीता मांझी, मीनाक्षी बेमाल, जनपद परिसर में एकत्रित हुए और बढ़ती महंगाई में कम पेमेंट पर काम करने में हो रही दिक्तत को बताते हुए मानदेय बढ़ाने की मांग रखी।
उन्होंने मांग पत्र सौपते हुए बताया कि बैंक मित्र को मात्र महीने का 2500 रुपए मिलता है और मानदेय राशि भी पांच महीने बाद मिलता है। ऐसे में वह अपनी परिवार तथा खुद का खर्चा कहां से करें। रोजाना बैंक के समय सुबह 10 बजे से शाम 5बजे तक पूरी जिम्मेदारी के साथ आजीविका मिशन के कार्यों में डटे रहते हैं। वित्तीय प्रबंधन के क्षेत्र में कार्यरत बैंक मित्र के कार्यों की हर कोई सराहना करते हैं, लेकिन खुद वेतन के नाम पर कम राशि में काम कर गुजारा कर रहे हैं। जिससे इनकी आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। इसी तरह से बुक कीपर को मात्र 2200 रुपए मासिक राशि दी जाती है। एफएलसीआरपी को 5000 हजार, सक्रिय महिला, पशु सखी, कृषि मित्र, एके.एम. को महज 1500 रुपया मानदेय मिलता है। 1500 रुपए मासिक के आधार पर 1 दिन के हिसाब से लिया जाए तो मात्र 50 रुपए में काम कर रही है। इतनी कम राशि में जीवन यापन करना बहुत मुश्किल जा रहा है। इन बहनों ने बताया कि एक सखी को 5 पंचायतों में कार्य करने की जिम्मेदारी दी जाती है। इसके लिए वह 15 से 20 किलोमीटर तक की दूरी तय करते हैं। इस दौरान आने जाने में परेशानी, परिवहन में दिक्कतें होना स्वाभाविक है। इनके साथ ही कलस्टर अंतर्गत समूह निर्माण, समूह का बैठक करना, पुस्तक संधारण करना, पुस्तक संसाधन का प्रशिक्षण करवाना, ग्राम संगठन और समूह का ऑडिट करना, एमसीपी फार्म भरना, आरएफ फार्म भरना, ग्राम संगठन के सभी कार्य में सक्रिय भागीदारी किसान ग्राम गौठान आजीवका गतिविधि व पंचायत में सर्वे का कार्य सभी क्रेडरों के द्वारा किया जाता है। इसके साथ ही ब्लॉक और कलेक्टर द्वारा अन्य टारगेट भी दिया जाता है, जिसे यह बहनें भली-भांति पूरी ईमानदारी के साथ पूर्ण करते हैं। इनकी मेहनत से हर कोई वाकिफ है, लेकिन मानदेय को बढ़ाने पर अभी तक किसी ने विचार नहीं किया है।
दिनांक 22/03/2023 से दिनांक 25/03/2023 तक सभी महिला क्रेडरों के द्वारा चार सूत्रीय मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन करेगी तथा अपनी मांगों को शासन प्रशासन के समक्ष रखेगें।