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इस बार पूरे नौ दिन के चैत्र नवरात्र में चार तिथियों पर कुल आठ विशेष योग बनेंगे। वासंतिक नवरात्र 22 मार्च से 30 मार्च तक है। प्रतिपदा और द्वितिया पर तीन-तीन योग बनेंगे। तृतीया और अष्टमी तिथि पर एक-एक योग बनेगा।
गौरी के नौ स्वरूपों की आराधना के वाले इस विशेष कालखण्ड के प्रथम दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से भारतीय विक्रम संवत 2080 भी आरंभ होगा। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि 21 मार्च को रात्रि 10 बजकर 52 मिनट से 22 मार्च को रात्रि 08 बजकर 20 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार नवरात्र 22 मार्च से प्रारंभ होगा।
ज्योतिषविद पं. विपिन कुमार शास्त्री बताते हैं कि नवरात्रि के प्रारंभ के समय में उत्तर भाद्रपद नक्षत्र होगा। शास्त्रों में इस नक्षत्र को ज्ञान, खुशी और सौभाग्य का सूचक कहा गया है। यह सूर्योदय से लेकर दोपहर 03 बजकर 32 मिनट तक है। इस नक्षत्र के स्वामी शनि और राशि स्वामी गुरु हैं। इसके अलावा उत्तर भाद्रपद नक्षत्र और प्रतिपदा की तिथि के संयोग से शुक्ल योग बनेगा। यह योग सूर्योदय से पूर्वाह्न नौ बजकर 18 मिनट तक रहेगा। उसके बाद ब्रह्म योग प्रारंभ हो जाएगा।
ब्रह्म योग 23 मार्च की सुबह 06 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। वहीं दोपहर 01 बजकर 26 मिनट से इंद्र योग प्रारंभ होगा। इस तरह चैत्र नवरात्र के प्रथम तिथि पर तीन शुभ योग बनेंगे। द्वितिया तिथि पर 23 मार्च को सर्वार्थसिद्धि, मंगल और यश योग बनेंगे। वहीं तृतीया और अष्टमी को क्रमश: त्रिपुष्कर और मालव्य योग बनेंगे। नवरात्र में बन रहे योगों के आधार पर कहा जा सकता है कि वासंतिक नवरात्र में देवी के गौरी स्वरूप की आराधना से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। प्रतिपदा पर बन रहे तीन में से दो योग सूर्योदय के समय आरम्भ हो जाएंगे। योग काल में घटस्थापना बहुत ही लाभदायक और उन्नतिकारक माना गया है।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
कलश स्थापना : प्रतिपदा 22 मार्च
शुभ मुहूर्त : प्रात: 06 बजकर 23 मिनट से प्रात: 7 बजकर 32 मिनट तक
शुभ मुहूर्त की अवधि : 01 घंटा 09 मिनट