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जो बोलते हैं आदिवासी हिन्दू नही उन्हें आदिवासी विधायक विनय भगत से लेनी चाहिए सिख,कांग्रेसी विचारधारा से ऊपर उठ कर हिन्दू धार्मिक अनुष्ठानों में ले रहे बढ़ चढ़ कर भाग,धर्मपत्नी-बच्चे समेत स्वयं हिन्दू धर्म के प्रमुख देव शनि महाराज के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में हुए सामिल और सनातनी रीतिरिवाज के अनुसार किये पूजार्चना….क्या यह चुनावी प्रोपगेंडा या फिर वाकई है हिंदुत्व की भाव.
जशपुर छत्तीसगढ प्रदेश में इसी वर्ष 2023 के अंत मे विधानसभा चुनाव होना तय है।जिसे लेकर सत्ता पक्ष कांग्रेस और विपक्ष भाजपा दोनों ही एक दूसरे पार्टी पर तंज कसना शुरू कर दिए हैं।जानकारों की माने तो दोनों ही पार्टी ने चुनावी बिगुल भी फूंक दिया है।वहीं ताजा मामला जाने तो इन दिनों प्रदेश में आदिवासी समुदाय को लेकर काफी विवाद उत्पन्न हो रही है।बात यह है कि कुछ आदिवासी समुदाय के लोग खुद को हिन्दू मानने को तैयार नही हैं तो कुछ आदिवासियों का कहना है कि वो ही असली हिन्दू हैं।इन्ही सभी के बीच प्रदेश का सबसे हॉट सीट हिन्दू बहुतायत वाला विधानसभा जशपुर में वर्तमान में कांग्रेस के विधायक विनय भगत हैं और विधायक लगातार कांग्रेसी विचारधारा से ऊपर उठ कर हिन्दू समाज के कार्यक्रमों में बढ़ चढ़ कर शामिल भी हो रहे हैं।बीते कुछ दिन पहले ही सन्ना में हनुमान मंदिर बनाने हेतु 5 लाख रुपये का राशि दिलवाये थे और स्वयं हिन्दू धर्म के प्रमुख देव हनुमान जी महाराज के प्राण प्रतिष्ठा में शामिल हो कर हिन्दू धर्म के अनुसार पूजा किये थे।जिसके बाद पुनः उनके द्वारा सन्ना के कीर्तन भवन दुर्गा पण्डाल में शामिल हुए और मंदिर भवन निर्माण हेतु वहाँ भी उन्होंने 2 लाख रुपये देने की घोषणा कर दिए।वहीं अब ताजा में बता दें तो सन्ना में हिन्दू समाज के प्रमुख देव शनि महाराज का मंदिर निर्माण हुआ है जिसमें भी यहां के समाज के द्वारा उन्हें आमंत्रित किया गया था और विधायक विनय भगत धर्मपत्नी बच्चे समेत शनि महाराज के मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल ही नही बल्कि धर्म पत्नी समेत खुद प्राण प्रतिष्ठा पूजा में बैठ सनातनी परम्परा अनुरूप संस्कृत उच्चारणों के साथ पूजार्चना भी किये।
आपको बता दें कि जो आदिवासी स्वयं को हिन्दू नही मानते उन आदिवासियों को अपने ही आदिवासी संवेदनशील विधायक विनय भगत से प्रेरणा लेनी चाहिए जो खुद हिन्दू होने का प्रमाण घूम घूम कर दे रहे हैं।
बहरहाल विधायक विनय भगत के द्वार हिन्दू समाज के लिए किए जाने वाले कार्यों से विधायक के बढ़ते जनाधार पर विपक्ष में बैठी हिंदुत्व का ढोल पीटने वाली पार्टी भाजपा की भी हालत खराब होते नजर आ रही है।कुछ राजनीतिक जानकारों की माने तो कांग्रेस पार्टी कभी हिंदुओं की हितैषी नही हो सकती है।बल्कि बहुसंख्यक हिन्दू समुदाय को रिझा कर राजनीति लाभ लेने हेतु कांग्रेस के आलाकमान राहुल गांधी के जनेव धारण की तरह इसे भी देखा जा रहा है।जिसके कारण कुछ लोग इनके हिन्दू धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होने को राजनीति प्रोपगेंडा कहते हैं।हालांकि विधानसभा चुनाव का अभी भी एक साल बचा है और देखना यह दिलचस्प होगा कि बहुसंख्यक हिन्दू समुदाय का वोट इस विधानसभा चुनाव में किस ओर गिरती है।