मकर संक्रांति आज – इन मंत्रों के साथ करें स्नान, मिलेगा गंगा नहाने जैसा लाभ…

raipur@khabarwala.news

मकर संक्रांति का पर्व सनातन परंपरा का विशेष दिन है. मौसम के आधार पर देखें तो यह ऋतु परिवर्तन का सबसे प्रारंभिक समय है.

इस दिन सूर्य देव दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर आते हैं. असल में दक्षिणायन में आने वाली सूर्य किरणों को पवित्र नहीं माना जाता है, इसलिए उत्तरायण के मौके पर जब सूर्य देव की किरणें आती हैं तो इसे चेतना का स्वरूप माना जाता है. इसी चेतना के साथ गंगा स्नान का भी महत्व है. माना जाता है कि इस दिन सूर्य की किरणें सीधे वैकुंठ से होकर आती हैं और देव नदी गंगा भी विष्णु जी के चरणों से निकली हैं, ऐसे में संक्रांति के दिन गंगा स्नान का महत्व बढ़ जाता है.

मकर सक्रांति पर तीर्थों में जुटती है भीड़

यही वजह है कि मकर संक्रांति के दिन, ऋषिकेश, हरिद्वार, प्रयाग, काशी, गढ़मुक्तेश्वर जैसे तीर्थ क्षेत्रों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है. इसके अलावा भी गंगा नदी जिन-जिन शहरों-गांवों से होकर गुजरती हैं उनके किनारे बसी बस्तियों के लोग गंगा स्नान करने जरूर जाते हैं. फिर भी बहुत बड़ी संख्या ऐसी भी होती है जो गंगा स्नान से वंचित रह जाती है. लेकिन, इसका भी एक अचूक उपाय है.

सभी जल हैं गंगा जल

प्राचीन ऋषि परंपरा में सभी जलों को गंगा जल कहा गया है. क्योंकि जल की उत्पत्ति ही गंगा नदी के उत्पन्न होने से है. इसके साथ ही स्नान की परंपरा में ऐसे मंत्र बताए गए हैं, जिनका पाठ करते हुए स्नान करने से गंगा स्नान जैसा है पुण्य मिलता है. अगर आप गंगा स्नानके लिए किसी तीर्थ पर नहीं जा पाए हैं तो आप जहां भी स्नान करने जा रहे हैं, पहले इस मंत्र का उच्चारण कर लीजिए,

इस मंत्र के उच्चारण से करें स्नान

गंगे! च यमुने! चैव गोदावरी! सरस्वति! नर्मदे! सिंधु! कावेरि! जलेSस्मिन् सन्निधिं कुरु.

इस मंत्र से गंगा नदी अन्य सात नदियो की पवित्र धाराएं आपके स्नान के जल में समा जाती हैं.

मां गंगा को समीप ले आएगा ये मंत्र

गंगा नदी मां के समान हैं और हम सभी उनके पुत्र हैं, तो अपने पुत्रों के बुलाने पर मां हमेशा चली आती हैं. इसी तरह गंगाजी का ध्यान करते हुए उन्हें स्मरण किया जाए और उनका स्मरण करते हुए स्नान किया जाए तो ऐसा स्नान भी गंगा स्नान कहलाता है. एक श्लोक में कहा गया है कि जो मनुष्य सौ योजन दूर से भी गंगाजी का स्मरण करता है उसके सभी पाप दूर हो जाते हैं और वह अंत में विष्णु लोक को जाता है.

“गंगा गंगेति यो ब्रूयात, योजनानां शतैरपि। मुच्यते सर्वपापेभ्यो, विष्णुलोके स गच्छति

तो अगर आप मकर संक्रांति के मौके पर किसी तीर्थ स्थान पर जाकर गंगा स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो निराश मत होइए, मां गंगा आपके घर में ही आपके बुलाने पर प्रकट हो जाएंगी. संत रैदास ने सिद्ध भी किया है. मन चंगा तो कठौती में गंगा.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *