राजभवन जाकर आरक्षण बहाली की मांग करने वाले भाजपा के नेता अब राजभवन जाने से डर क्यों रहे?

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राजभवन जाकर आरक्षण बहाली की मांग करने वाले भाजपा के नेता अब राजभवन जाने से डर क्यों रहे?

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भाजपा नेता आरक्षण विधेयक पर साइन तत्काल करने की मांग को लेकर राजभवन क्यों नहीं जाना चाहते ? किसका है दबाव? कौन रोक रहा है?*

रायपुर/15 दिसंबर 2022। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने आरक्षण मामले पर बयान दे रहे भाजपा नेताओं पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि न्यायलय के फैसले के बाद 15 अक्टूबर को राजभवन पैदल मार्च कर आरक्षण की बहाली की मांग करने वाले भाजपा के नेता अब जब आरक्षण विधेयक में हस्ताक्षर नहीं होने के चलते बहाली में हो रही देरी पर राजभवन जाने से क्यों डर रहे हैं? आखिर भाजपा नेताओं को आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर होने से डर क्यों सता रहा है? भाजपा नेताओं को राजभवन जाने से कौन रोक रहा है? क्या भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश के भाजपा नेताओं को इस आरक्षण विधेयक के खिलाफ खड़ा होने का फरमान जारी किया है? भाजपा नेता राजनीति करने बार-बार राजभवन जाते थे अब प्रदेश के आरक्षित वर्ग को मिलने वाले कानूनी अधिकार में हो रही देरी पर राजभवन जाने से कतरा रहे हैं। इससे स्पष्ट हो गया कि भाजपा षडयंत्र पूर्वक आरक्षण रोकने की राजनीति कर रही है।

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प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि भाजपा से जुड़े एसटी एससी ओबीसी नेताओं को राजभवन जाकर इन वर्गों के हित में तत्काल आरक्षण पर साइन करने की मांग करना चाहिए राज्य सरकार ने विधेयक लाने से पहले तमाम पहलुओं पर गंभीरता से विचार किया है। विधि विशेषज्ञों से राय मशवरा की है तब एक पुख्ता और मजबूत आरक्षण कानून पास किया है। इस आरक्षण कानून को सुरक्षा कवच देने के लिए लोकसभा के नौवीं अनुसूची में शामिल कराने का संकल्प भी पारित किया है और उस संकल्प को लोकसभा के नवमी अनुसूची में शामिल कराने के लिए भेज भी दिया है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि छत्तीसगढ़ ही नहीं और कई प्रदेश है जहां आरक्षण 50 प्रतिशत से ऊपर है। ऐसे में छत्तीसगढ़ में 76 प्रतिशत आरक्षण होने से कोई परेशानी नहीं होगी। पूर्व की रमन सरकार ने जब आदिवासी वर्ग को 32 प्रतिशत आरक्षण दिया तभी राज्य में 58 प्रतिशत आरक्षण हो गया था। लेकिन रमन सरकार ने भाजपा के आरक्षण विरोधी चरित्र को आगे रखकर उस 58 प्रतिशत आरक्षण के आधार को न्यायालय में नहीं रखा जिसके चलते न्यायालय में आरक्षण के खिलाफ फैसला आया है।

 

 

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