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– प्रदेश के 28,000 से अधिक बच्चों में दृष्टिदोष, 13,000 से अधिक बच्चों को चश्मा वितरित
– रहें सतर्क, बच्चों की आंखों की करें नियमित देखभाल : डॉ. मिश्रा
रायपुर 8 दिसंबर 2022, आंखें शरीर का बहुत ही महत्वपूर्ण और नाजुक अंग है। आंखों के बिना जीवन बेरंग सा है। इसलिए बहुत जरूरी है कि आंखों की सुरक्षा के प्रति सतर्क रहना। विशेषकर बच्चों के आंखों के स्वास्थ्य को लेकर विशेष सावधानियां बरतनी जरूरी है। इसी के मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग द्वारा बाल नेत्र सुरक्षा और देखभाल के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसी कड़ी में बीते दिनों बाल नेत्र सुरक्षा कार्यक्रम संचालित किया गया , जिसमें 8.4 लाख से अधिक बच्चों का नेत्र परीक्षण हुआ।
राष्ट्रीय अंधत्व एवं अल्प दृष्टि नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश में 14 से 20 नवंबर तक बाल नेत्र सुरक्षा सप्ताह मनाया गया। जिसमें 9,741 स्कूलों के 8.4 लाख से अधिक बच्चों ( 6-15 वर्ष) का नेत्र परीक्षण किया गया। इस दौरान 28,193 बच्चों में दृष्टिदोष पाया गया। इनमें से 13, 454 बच्चों को निःशुल्क चश्मा वितरित किया गया। इसके अलावा 1,574 बच्चों में विटामिन ए की कमीं पाई गई। वहीं 14, 839 बच्चों को चश्मा दिया जाएगा जो कि प्रक्रियाधीन है। इस संबंध में राज्य नोडल अधिकारी अंधत्व निवारण कार्यक्रम डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया:” स्वस्थ बच्चे ही स्वस्थ समाज का निर्माण करते हैं। विद्यार्थियों के लिए स्वस्थ नेत्रों का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। सतर्क रहकर, बच्चों के आंखों की नियमित देखभाल करना जरूरी है। नेत्र की समस्या होने से उनके अध्ययन पर असर पड़ता है। ऐसे में विद्यार्थियों का नेत्र परीक्षण कर आवश्यकतानुसार चश्मा देने के उद्देश्य से बीते दिनों 14 नवंबर से 20 नवंबर तक पूरे राज्य में बाल नेत्र सुरक्षा सप्ताह का आयोजन किया गया, जिसमें 6 से 15 वर्ष तक के शालेय छात्रों का नेत्र परीक्षण एवं एवं नि:शुल्क चश्मा वितरित किया गया। छात्रों के दृष्टिदोष की पहचान प्रारंभिक अवस्था में ही कर चश्मा दिया गया ताकि वे सफलतापूर्वक अध्ययन कर सके और अपनी प्रतिभा दिखा सकें। इस दौरान नेत्र सुरक्षा के संबंध में छात्रों को विस्तार से जानकारी दी गई। साथ ही ऐसे बच्चे जिन्हें चश्मा लगा है या जो एम्बलायोपिया (नेत्र बीमारी) के शिकार हैं उन्हें चश्मा अवश्य लगाने की अपील भी की गई।“
उन्होंने आगे बताया: “हालांकि छत्तीसगढ़ शासन की ओर से बाल नेत्र सुरक्षा के प्रति विशेष ध्यान दिया जाता है। प्रदेश ही एकमात्र ऐसा राज्य है जहां स्कूली छात्रों के आंखों की जांच एक अभियान के रूप में 14 से 20 नवंबर तक की जाती है। दृष्टिदोष या आंखों से संबंधित बीमारी होने पर उन छात्रों को निःशुल्क इलाज एवं चश्मा दिया जाता है।“
इनकी की गई जांच- बाल नेत्र सुरक्षा सप्ताह के तहत स्कूली बच्चों के नेत्र परीक्षण के दौरान दृष्टिदोष की जांच हुई और आवश्यकतानुसार बच्चों को निःशुल्क चश्मा वितरित किया गया। इसके अलावा बच्चों में विटामिन ए की कमीं, नवजात अंधत्व समस्या, एलर्जी, नेत्र संक्रमण, नेत्र इंज्युरी, जन्मजात मोतियाबिंद , निकट दृष्टिदोष (मायोपिया), दूर दृष्टिदोष (हाइपरमेट्रोपिया), विज़न डिवलपमेंट डिसआर्डर एम्बलायोपिया का परीक्षण भी कर उचित परामर्श दिया गया।
दिखे यह लक्षण तो फौरन लें चिकित्सकीय सलाह- अगर बच्चा आंखों को सिकोड़कर देखता है, आंखों को बार-बार रगड़ता हो, पढ़ते या फिर टीवी देखते वक्त एक ओर सिर को झुकाकर देखता हो, मोबाइल, टीवी या कम्प्यूटर बहुत नजदीक से देखता हो, किताब बहुत ही पास से पढ़ता हो, लगातार आंखों में और सिर में दर्द की शिकायत रहती हो तो बिना देर किए नेत्र रोग विशेषज्ञ से नेत्र जांच करानी चाहिए।
रखें विशेष ध्यान- बच्चों को गैजेट्स का अधिक इस्तेमाल न करने दें। जिन बच्चों को चश्मा लगा है उन्हें नियमित चश्मा पहनने के लिए प्रेरित करें। बच्चों को संतुलित और पोषक भोजन जैसे हरे पत्तेदार सब्जियां, पीले फल खाने की आदत डालें, प्रतिदिन 6-8 गिलास पानी पीने के लिए बच्चों को प्रेरित करें, बच्चों को पूरी नींद लेने दें, बच्चों को झुककर या लेटकर न पढ़ने दें,टेबल-कुर्सी का इस्तेमाल कर पढ़ने की सलाह दें। पढ़ते वक्त पूरी रोशनी हो इसका ध्यान रखें। आंखों की नियमित रूप से जांच कराएं तथा थोड़ी सी भी आंखों में तकलीफ होने पर उन्हें फौरन नेत्र विशेषज्ञ को दिखाएं।