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Chhath Puja 2022: चार दिनों तक चलने वाले महापर्व छठ आज से शुरु होने जा रहा है। आज छठ पूजा का पहला दिन है। छठ पूजा का पहला दिन नहाय-खाय के नाम से जाना जाता है।
इस दिन कद्दू-भात खाने की मान्यता है लिहााज नहाय-खाय को कद्दू-भात के नाम से भी जाना जाता है।
छठ तिथि से दो दिन पहले चतुर्थी तिथि पर पूरे घर की साफ-सफाई की जाती है। इसे नहाय-खाय कहते हैं। इस दिन पूजा-पाठ के बाद शुद्ध सात्विक भोजन किया जाता है। इसी से छठ पर्व की शुरुआत मानी जाती है।
इस बार छठ के त्योहार की शुरुआत 28 अक्टूबर से होगी और 31 अक्टूबर को इसका समापन होगा। छठ पूजा के दौरान सूर्यदेव और षष्ठी मैया की आराधना के साथ-साथ भगवान शिव जी की पूजा भी की जाती है।
छठ पूजा का पर्व सबसे ज्यादा बिहार, झारखंड, पश्चिमी बंगाल, उत्तर प्रदेश, दिल्ली में मनाया जाता है। साथ ही नेपाल में भी छठ पूजा का पावन त्योहार बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। छठ पूजा का पावन पर्व संतान के लिए रखा जाता है। इसमे 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है।
चार दिनों तक चलने वाले पावन छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय से होती है। इसके अगले दिन खरना छठ, तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य और चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
छठ पूजा का पूरा कार्यक्रमनहाय-खाय (28 October)
पहले दिन शुक्रवार 28 अक्टूबर को आज छठ महापर्व का पहला दिन है। पहले दिन को नहाय-खाय के नाम से जाना जाता है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। नहाय खाय पर सभी व्रत रखने वाले भक्त सुबह जल्दी स्नान करके नए कपड़े पहनते हैं और शाकाहारी भोजन करते हैं। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं स्नान कर उबले अरवा चावल, चना दाल और कद्दू की सब्जी ही भोजन के रूप में ग्रहण करती हैं, इसे कद्दू-भात भी कहा जाता है।
खरना (29 October)
शनिवार यानी 29 अक्टूबर कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि छठ पूजा का दूसरा दिन है। छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है। इस दिन शाम को व्रति विधि विधान से रोटी और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद तैयार करती हैं और फिर पूजा के बाद सूर्य भगवान को स्मरण कर प्रसाद ग्रहण करती हैं। इसके बाद सबको प्रसाद बांटा जाता है। खरना के दिन व्रती पूरे दिन अन्न और जल का सेवन नहीं करते हैं। उपासक व्रत के एक दिन पहले से ही बिस्तर का त्याग कर जमीन पर सोते हैं।
डूबते शूर्य को अर्घ्य (30 October)
छठ महापर्व का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य का होता है। छठ पूजा के तीसरे दिन 30 अक्टूबर रविवार की शाम को डूबते हुए शूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। यह कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर मनाया जाता है। यही छठ पूजा का सबसे प्रमुख दिन होता है। इस दिन शाम के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पूजन सामग्री में बांस की टोकरी में फल, फूल, ठेकुआ,चावल क लड्डू,गन्ना,मूली, कंदमूल और सूप रखा जाता जाता है। इस दिन जैसै ही सूर्यास्त होता है परिवार के सभी लोग किसी पवित्र नदी, तालाब या घाट पर एकत्रित होकर एक साथ सूर्यदेव को अर्घ्य देते हैं। छठ पर्व के दिन डूबते सूर्य को अर्ध्य देने और आराधना का विशेष महत्व होता है।
उगते शूर्य को अर्घ्य (31 October)
छठ पर्व के चौथे दिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर उगते हुए सू्र्य को अर्ध्य दिया जाता है। सोमवार 31 अक्टूबर की सुबह को उगते हुए शूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। व्रती भगवान सूर्य देव और छठ मैया से घर परिवार के सभी सदस्यों की लंबी आयु और सुख-समृद्धि का कामना करते हुए आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।यह छठमहा पर्व का अंतिम दिन होता है। इसके साथ ही छठ पर्व का समापन हो जाता है।
छठ पूजा के दौरान छठ माता के लिए निर्जला व्रत किया जाता है यानी व्रत करने वाले लोग करीब 36 घंटे तक पानी भी नहीं पीते हैं। आमतौर पर ये व्रत महिलाएं ही करती हैं। इसकी शुरुआत पंचमी तिथि पर खरना करने के बाद होती है। खरना यानी तन और मन का शुद्धिकरण। इसमें व्रत करने वाला शाम को गुड़ या कद्दू की खीर ग्रहण करता है।
इसके बाद छठ पूजन पूरा करने के बाद ही भोजन किया जाता है। छठ तिथि की सुबह छठ माता का भोग बनाया जाता है और शाम डूबते सूर्य को जल चढ़ाया जाता है। इसके बाद सप्तमी की सुबह फिर से सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस तरह 36 घंटे का व्रत पूरा होता है।