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भाई दूज भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का पर्व है.
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि पर भाई दूज या यम द्वितीया (Yam Ditiya 2022 Date) का त्योहार मनाया जाता है. लेकिन इस साल भाई दूज 26 और 27 तारीख दोनों ही दिन मनाया जा रहा है. इसका कारण यह है कि 26 अक्टूबर को दोपहर से ही द्वितीया तिथि शुरू हो जा रही है जो कि अगले दिन यानी 27 अक्टूबर को दोपहर तक है. भाई दूज की परंपरा दोपहर को निभाई जाती है इसलिए इस बार 26 और 27 अक्टूबर दोनों ही दिन भाई दूज 2022 का त्योहार मनाया जा रहा है. द्वितीया तिथि में ही भाई दूज की रस्में पूरी की जायेंगी. जानें भाई दूज 2022, 26 अक्टूबर को शुभ मुहूर्त कब है और 27 अक्टूबर अक्टूबर भाई दूज शुभ मुहूर्त कब है (Bhai Dooj 2022 Date) और नियम, पौराणिक मान्यताएं और तिलक विधि जान लें.
भाई दूज डेट, शुभ मुहूर्त (Bhai Dooj 2022 Shubh Muhurat)
26 अक्टूबर भाईदूज तिलक करने का शुभ मुहूर्त-
इस वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि 26 व 27 अक्टूबर दोनों दिन लग रही है.
26 अक्टूबर भाईदूज तिलक करने का शुभ मुहूर्त-
इस वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि 26 व 27 अक्टूबर दोनों दिन लग रही है.
26 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 43 मिनट से द्वितीया तिथि शुरू होगी, जो कि 27 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा.
इस दिन भाई को तिलक करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 14 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक है.
27 अक्टूबर को पूजन का यह है शुभ मुहूर्त-
उदया तिथि के हिसाब से भाईदूज का पर्व 27 अक्टूबर को मनाया जाएगा.
27 अक्टूबर को भाईदूज शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 07 मिनट से दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक है.
भाई दूज तिलक करने की विधि (Bhai Dooj Tilak Vidhi)
भाई दूज के दिन अपने बहन अपने भाई को घर बुलाकर तिलक लगाकर भोजन कराने की परंपरा है.
अपने भाई के लिए पिसे हुए चावल से चौक बनाएं.
भाई के हाथों पर चावल का घोल लगाएं.
भाई को तिलक लगाएं.
अब तिलक लगाने के बाद अपने भाई की आरती उतारें.
अपने भाई के हाथ में कलावा बांधें.
अब भाई को प्यार से मिठाई खिलाएं.
मिठाई खिलाने के बाद भाई को शुद्ध भोजन कराएं.
भाई-बहन एक-दूसरे को उपहार दें.
भाई दूज का महत्व और पौराणिक मान्यताएं (Bhai Dooj Importance And Mythological Beliefs)
पौराणिक मान्यताओं अनुसार यमुना के अनेकों बार अपने घर बुलाने के बाद यमराज इस दिन उनके घर गए थे. अपने भाई के आने की खुशी में यमुना ने यमराज को तरह-तरह के पकवानों का भोजन कराया और तिलक लगाकर उनके खुशहाल जीवन की कामना की थी. प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना से कोई वरदान मांगने को कहा तो ऐसे में यमुना ने कहा कि आप हर साल इसी दिन यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मेरे घर आना और मेरी तरह जो भी बहन इस दिन अपने भाई को तिलक करेगी उसे तुम्हारा भय नहीं रहेगा. कहते हैं तभी से भाई दूज की शुरुआत हुई.