देश में कोरोना वायरस के नये वेरिएंट से एक बार फिर से दहशत का माहौल बनता जा रहा है.
नये मामलों में आयी गिरावट के बाद देशभर में कोरोना पाबंदियों को खत्म कर दिया गया था, लेकिन नये वैरियंट BF.7 और BA.5.1.7 ने फिर से लोगों की चिंता बढ़ा दी है.
देशभर में फिर से अनिवार्य हुआ मास्क, कोरोना प्रोटोकॉल भी करना होगा पालन
कोरोना के नये वेरिएंट को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने मंगलवार को अधिकारियों के साथ बैठक की. जिसके बाद उन्होंने अधिकारियों को प्रभावी कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित करने और वेरिएंट का जल्द पता लगाने के लिए जीनोम अनुक्रमण को मजबूत करने का निर्देश दिया. साथ ही मिशन मोड पर लोगों को COVID-19 का एहतियाती खुराक दिये जाने का निर्देश दिया. आधिकारिक सूत्र के अनुसार खबर है कि नये वेरिएंट को देखते हुए एक बार फिर से देश भर में मास्क और COVID 19 प्रोटोकॉल को अनिवार्य किया गया है. मालूम हो देश में अब तक कोविड रोधी टीके की 219.33 करोड़ से अधिक खुराक दी जा चुकी हैं.
ओमीक्रोन का सब वेरिएंट है BF.7 और BA.5.1.7
बताया जा रहा है कि कोरोना का नया वेरिएंट BA.5.1.7 ओमीक्रोन का सब वेरिएंट है. जिसका पता सबसे पहले गुजरात के बायोटेक्नॉलोजी रिसर्च सेंटर ने लगाया था. नये वेरिएंट को लेकर विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गयी है.
तेजी से फैसला है कोरोना का नया वेरिएंट
विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना का नया स्वरूप ओमिक्रॉन का सब-वेरिएंट BA.5.1.7 काफी तेजी से फैलता है. हाल के दिनों में चीन में कोरोना की रफ्तार में वृद्धि के लिए नये वैरियंट को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.
त्योहारी सीजन में बढ़ सकता है कोरोना का खतरा
देश में हाल के दिनों में कई सारे त्योहार मनाये जाने हैं. दिवाली, छठ में बिहार, झारखंड सहित कई राज्यों में भारी भीड़ होती है. वैसे में कोरोना के नये वेरिएंट ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है.
एंटीबॉडी से नहीं खत्म होता है ओमीक्रोन का नया स्वरूप
हाल ही में किए गए एक अध्ययन के अनुसार ओमीक्रोन का बीए.2.75.2 स्वरूप रक्त में मौजूद एंटीबॉडी से खत्म नहीं होता है तथा कोविड-19 एंटीबॉडी संबंधी कई उपचारों का भी इस पर असर नहीं होता है. यह अध्ययन लैंसेट इंफेक्शस डिजीज नाम पत्रिका में प्रकाशित हुआ है. स्वीडन के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं के निष्कर्ष के अनुसार सर्दी के मौसम में सार्स-कोव-2 स्वरूप से संक्रमण के बढ़ने का जोखिम हैजब तक कि नये विकसित टीके लोगों की प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ावा देने में मदद नहीं देते.