Dussehra Puja 2022: आज दशहरा पर चाहते हैं सर्वत्र विजय का वरदान, करें देवी अपराजिता की पूजा…

raipur@khabarwala.news

आज 05 अक्टूबर को पूरे देश में दशहरा का त्योहार मनाया जा रहा है. इस दिन आप सर्वत्र विजय का वरदान प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको आज मां अपराजिता का पूजन (Devi Aparajita Puja) करना चाहिए.

जो व्यक्ति देवी अपराजिता की पूजा करता है, उसे कोई परास्त नहीं कर सकता है. उसकी जीत निश्चित होती है. काशी के पंडित शिवम शुक्ला बताते हैं कि देवी अपराजिता की पूजा दशहरे का महत्वपूर्ण भाग माना जाता है. विधि विधान से की गई देवी अपराजिता की पूजा से अभीष्ट की पूर्ति का मार्ग प्रशस्त हो जाता है. अपराजिता पूजा को ही दशहरा पूजा और विजयदशमी पूजा के नाम से जानते हैं. दशहरा पर अपराह्न काल में अभिजित मुहूर्त या फिर विजय मुहूर्त में देवी अपराजिता की पूजा की जाती है. आइये जानते हैं देवी अपराजिता की पूजा की प्रामाणिक विधि और मंत्र आदि.

 

देवी अपराजिता की पूजा विधि

 

इस पूजा के लिए घर से पूर्वोत्तर दिशा में शुभ स्थान का चयन करना चाहिए. यह स्थान किसी मंदिर या गार्डन के आसपास हो तो बेहतर है.

पूजन स्थान को स्वच्छ करें (साफ-सफाई के बाद गंगाजल का छिड़काव करें). चंदन का लेप करें.

लेप वाले स्थान पर अष्टदल कमल (कमल का फूल, जिसमें आठ पंखुड़ियां हों) बनाएं.

पुष्प और अक्षत के साथ देवी अपराजिता की पूजा का संकल्प लें.

अष्टदल कमल के बीच में अपराजिताय नमः मंत्र का जाप कर मां अपराजिता का आह्वान करें. इसके दायीं ओर मां जया को विराजमान होने के लिए क्रियाशक्त्यै नमः मंत्र का जाप करें बल्कि बायीं ओर आसन ग्रहण करने के लिए मां विजया का उमायै नमः मंत्र के साथ आह्वान करें.

इसके बाद अपराजिताय नमः, जयायै नमः, विजयायै नमः मंत्रों के साथ षोडशोपचार पूजा करें.

आखिर में ‘हारेण तु विचित्रेण भास्वत्कनकमेखला, अपराजिता भद्ररता करोतु विजयं मम’ मंत्र के साथ पूजा का विसर्जन करें.

देवी अपराजिता का पूजा का मुहूर्त

देवी अपराजिता की पूजा विजय मुहूर्त में करते हैं. आज विजय मुहूर्त दोपहर 02 बकर 07 मिनट से प्रारंभ हो रहा है और दोपहर 02 बजकर 54 मिनट तक मान्य है.

अपराजिता पूजा का समय और महत्व

महर्षि वेदव्यास के अनुसार देवी अपराजिता की पूजा चारों युगों की शुरुआत के साथ हो गई थी. माता अपराजिता ब्रह्मांड की शक्तिदायिनी और ऊर्जा हैं. विजयादशमी पर सुबह अपराजिता लता का पूजन होता है. पुराणों में माता अपराजिता को देवताओं द्वारा पूजित और ब्रह्मा, विष्णु, महेश द्वारा ध्यायी जाने वाली देवी कहा गया है. माता अपराजिता को सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी कहा गया है, माता दुर्गा भी इन्हीं की अवतार मानी जाती हैं.

 

भगवान राम ने किया था देवी अपराजिता पूजन

कहा जाता है त्रेता युग में रावण से युद्ध से पहले भगवान श्रीराम ने अपराजिता पूजा कर विजय का आशीर्वाद लिया था. ज्योतिषियों के अनुसार माता अपराजिता की पूजा अपराह्न यानि दोपहर बाद होती है. इसका अर्थ है दोपहर से शाम के बीच किसी भी वक्त माता अपराजिता की पूजा कर सकते हैं. यात्रा से पहले भी माता अपराजिता की पूजा करनी चाहिए.

 

दशहरा पूजा 2022 मुहूर्त

लखनऊ निवासी ज्योतिषाचार्य उमाशंकर मिश्र के अनुसार इस साल दशमी की तिथि तिथि 04 अक्तूबर दोपहर 02:20 बजे से शुरू होकर 05 अक्तूबर को दोपहर 12:00 बजे तक रहेगी. इधर उदयातिथि में दशमी पांच अक्तूबर बुधवार को पड़ने से इसी दिन दशहरा मनाया जाएगा. इस दिन विजय मुहूर्त दोपहर 02:14 बजे से दोपहर 03:01 बजे तक रहेगा. इस दिन भक्त दोपहर 0126 बजे से 03:48 बजे तक पूजा पाठ कर सकते हैं.

 

दशहरा शस्त्र पूजा 2022

इस मुहूर्त में ही आप दशहरा की शस्त्र पूजा भी कर लें. शस्त्रों को मां दुर्गा के चरणों में रखकर तिलक, फूल, अक्षत् से पूजन करें. फिर धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रतिज्ञा करें.

 

 

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *