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रायपुर: देश के अन्य राज्यों की अपेक्षा छत्तीसगढ़ में कुष्ठ रोग तेजी से फैल रहा है। स्थिति यह है कि छत्तीसगढ़ में कुष्ठ रोग के विस्तार की दर सबसे ज्यादा है। इसके बाद क्रमश्ा: ओडिश्ाा, झारंखड, बिहार और महाराष्ट्र का स्थान आता है। वर्ष 2005 में ही देश को कुष्ठ मुक्त घोषित किया जा चुका है, बावजूद इसके छत्तीसगढ़ में इस रोग की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। इतना ही नहीं, सभी रोगियों को पर्याप्त इलाज भी नहीं मिल पा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में पिछले सात वर्षों में कुल 54,275 हजार नए केस मिले। 14,727 मरीजों को इलाज ही नहीं मिला। प्रदेश में प्रति 10 हजार की आबादी पर कुष्ठ रोग के 2.08 केस आज भी मिल रहे हैं। जबकि ओडिशा में 1.45 केस और चंडीगढ़ में 1.03 केस मिले हैं। छत्तीसगढ़ में अप्रैल-2022 से अगस्त तक 3038 नए केस सामने आए हैं।
वर्षवार रोगियों व इलाज पर गौर करें तो वर्ष 2021-22 में 6,137 नए केस मिले थे। इनमें से 4,637 लोगों को ही इलाज मिला। वर्ष 2020-21 में 4,790 नए केस में 3,685 को इलाज मिला। गंभीर बात यह है कि हर साल मिलने वाले कुष्ठ रोगियों में 400 से अधिक बच्चे होते हैं। वहीं लगभग 500 मरीजों का अंग पूरी तरह से गल गया होता है। यानी इलाज के लायक ही नहीं बचते।
राज्य की एएनसीडीआर दर भी सर्वाधिक
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार प्रदेश में कुष्ठ रोगियों के एनुअल न्यू केस डिडक्शन रेट (एएनसीडीआर) प्रति एक लाख पर 29.65 केस हैं। जिलेवार स्थिति देखें तो वर्ष-2021-22 में रायगढ़ जिले में 50.81, महासमुंद में 39.37, बलौदाबाजार में 26.09, दुर्ग में 24.64 व जांजगीर चांपा में 23.89, रायपुर में एएनसीडीआर 23.38 रहा है।
लालपुर कुष्ठ अस्पताल में आइपीडी सेवाएं बंद
कुष्ठ रोगियों के इलाज के लिए राजधानी के लालपुर में 100 बिस्तरों का केंद्रीय कुष्ठ अस्पताल है। व्यवस्था के तौर पर केंद्र सरकार हर वर्ष करीब छह करोड़ रुपये बजट खर्च करती है। लेकिन यहां पिछले पांच वर्षों से कुष्ठ मरीजों की भर्ती ही बंद कर ओपीडी की औपचारिकता निभाई जा रही है। इसमें भी मरीज ना के बराबर ही पहुंच रहे हैं। गंभीर मरीज बिना इलाज ही लौट रहे।