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– स्वास्थ्य केंद्र में मातृत्व स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाने पोषण आहार की भी दी गई जानकारी
बिलासपुर तखतपुर, 10 अगस्त 2022, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस पर गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच हुई, वहीं उच्च जोखिम गर्भावस्था वाली महिलाओं को बेहतर इलाज के लिए रेफर किया गया।
इस संबंध में ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर तखतपुर डॉ. सुनीलहंसराज ने बताया: “हर महीने की नौ तारीख को गर्भवती की निःशुल्कएएनसी जांच व नि;शुल्क सुविधा दी जाती है जिसमें मधुमेह का स्तर, ब्लड प्रेशर, हीमोग्लोबिन, और अल्ट्रासाउंड शामिल है| इसके अलावा जोखिम भरी गर्भावस्था के लक्षण जैसे – गर्भवस्था के दौरान तेज बुखार, त्वचा का पीलापन, हाथ, पैरों व चेहरे पर सूजन, दौरे पड़ना, उच्च रक्तचाप, तेज सरदर्द व धुंधला दिखना, और योनि से रक्तश्राव होना शामिल है— की भी जांच होती है ताकि उनका उपचार हो सकते और उनके प्रसव की तेयारी पहले से ही की जा सके|
अगस्त 9 को अवकाश होने के कारण यह दिवस तखतपुर में 8 अगस्त को ही मनाया गया। इस मौके पर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में 70, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में 15 गर्भवती महिलाओं का प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) एवं अन्य जांचें की गई, जिनमें से 4 महिलाएं उच्च जोखिम गर्भावस्था (एचआरपी) चिन्हित की गई. उन्हें उच्च चिकित्सा केन्द्रों के लिए रेफर किया गया।
डॉ हंसराज ने आगे बताया: “इसके अलावा सुरक्षित प्रसव पर भी पूरा ज़ोर है|इसके लिए संस्थागत प्रसव को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि गर्भवती की प्रसव के दौरान व प्रसव पश्चात उचित देखभाल हो सके और वह एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सके । इस दिवस पर मुख्य रूप से संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने और मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने पर जोर दिया जाता है|साथ ही यदि कोई भी जोखिम वाली स्थिति की संभावना हो तो उससे बचने के लिए समय पर अस्पताल पहुंचाया जा सके ताकि जच्चा व बच्चा की जान को समय रहते बचाया जा सके।“
गर्भधारण होने पर निकटतम स्वास्थ्य केंद्र में कराएं जांच -इस दौरान महिलाओं को स्वच्छता के साथ ही मातृ-शिशु सुरक्षा की जानकारी दी गई। महिलाओं को गर्भधारण की पुष्टि हो जाए तो वह निकटतम स्वास्थ्य केंद्र जाकर चिकित्सकीय जांच कराएं और चिकित्सक के परामर्श के अनुसार रहें तथा नियमित जांच कराएं। गर्भवती महिलाओं को गर्भधारण करने से लेकर बच्चे के जन्म तक बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बताया गया।
आखिरी महीनों में शरीर की जरूरतें, आहार आदि के बारे में स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं एएनएम नेबताया “इन दिनों अधिक पोषक तत्वों की जरूरत होती है। इस दौरान आहार में प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट के साथ वसा की भी मात्रा का होना जरूरी होता है।‘’
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में पहुंची राधिका (35 वर्ष) ने बताया यह उनकी दूसरी गर्भावस्था है| पहला प्रसव निजी अस्पताल में हुआ था, उस दौरान उससे बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा। इस बार ऐसा कुछ नहीं है, छठवें महिने की सारी जांच व दवाएं उससे नि:शुल्क दी गई। वहीं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंची 26 वर्षीय ममता ने बताया:“यह मेरी पहली गर्भावस्था है। तीसरे महीने की जांच हुई। महिला डॉक्टर ने मुझे खून की कमी बताया है। उन्होंने मुझे साबुत अनाज, दाल ,चुकंदर , गाजर और पालक का सेवन करने सलाह दी है। जांच साथ के साथ नि:शुल्क दवाएं भी यहां से मिली है ।‘’
अक्सर जागरूकता की कमी और अभाव में गर्भवती महिलाओं में खून की कमी आ जाती है। गर्भावस्था के दौरान ध्यान न देने पर महिला कमजोर हो जाती हैं जिसके कारण पैदा होने वाला बच्चा कमजोर होता हैजो कि कुपोषण का शिकार हो जाता है।इसलिए गर्भवती महिलाओं और शिशुवती महिलाओं को समय-समय पर आहार, व्यवहार एवं देखभाल की जानकारी दी जाती है।
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान- इस योजना के अंतर्गत माह की 9 तारीख को चिकित्सकों द्वाराजिला अस्पताल, स्वास्थ्य केन्द्रों पर सभी गर्भवती महिलाओं की विस्तृत एवं निःशुल्क प्रसव पूर्व देखभाल की व्यवस्था की जाती है। गर्भावस्था , मेडिकलहिस्ट्री एवं वर्तमान स्थिति के आधार पर अति जोखिम गर्भावस्था की पहचान कर चिकित्सकों द्वारा समुचित प्रबंधन किया जाता है। साथ ही महिलाओं को जननी सुरक्षा योजना, मातृ शिशु सुरक्षा कार्ड, प्रसव पूर्व देखभाल, एनीमिया की रोकथाम, टीकाकरण एवं पौष्टिक आहार के संबंध में जानकारी भी दी जाती है।