इलाज से कतरा रहे टीबी रोगियों का टीबी मितान करा रहे उपचार …

www.khabarwala.news

schedule
2022-08-05 | 16:20h
update
2022-08-05 | 16:20h
person
khabarwala.news
domain
khabarwala.news
इलाज से कतरा रहे टीबी रोगियों का टीबी मितान करा रहे उपचार …

raipur@khabarwala.news

– टीबी लाइलाज बीमारी नहीं है, बशर्ते समय से उपचार शुरू कर दिया जाए की सीख दे रहे टीबी मितान

बिलासपुर 5 अगस्त, 2022, वर्ष 2023 तक छत्तीसगढ़ को टीबी मुक्त करने को स्वास्थ्य विभाग द्वारा अनेक कदम उठाए जा रहे हैं। इसी क्रम में क्षय रोग को मात दे चुके मरीज, अब टीबी मितान बनकर जनमानस को जागरूक करने में सहयोग कर रहे हैं। टीबी लाइलाज बीमारी नहीं है, बशर्ते इसका समय से उपचार शुरू कर दिया जाए, इसका संदेश देते हुए टीबी मितान इलाज से कतरा रहे टीबी रोगियों का उपचार भी करा रहे हैं। साथ ही साथ शासन की ओर से मिलने वाली पोषण राशि दिलाने में सहयोग भी कर रहे हैं।

Advertisement

कोटा निवासी 22 वर्षीय विकास साहू बताते हैं: “टीबी मितान का कार्य मेरे लिए आसान नहीं था। इस काम में कई बार अपमान, लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा मगर दृढ़इच्छाशक्ति की बदौलत मैं लोगों को जागरूक करने में सफल हुआ हूं। लोग अब मेरी बात भी मानते हैं और खुद ही अपनी समस्या भी बताते हैं।“

छोटे भाई-बहन को ना हो बीमारी, इसका सता रहा था भय- विकास के मुताबिक चार साल पहले 2017 में उन्हें पता चला कि उन्हें टीबी हो गई है। वह घबरा रहे थे लेकिन क्षय रोग अस्पताल पहुंचने पर डाक्टरों और उनकी टीम ने उनका इलाज शुरू किया। नौ माह के नियमित इलाज के बाद उन्होंने टीबी को हरा दिया। इस दौरान उन्हें क्षय पोषण योजना के तहत रुपये प्रतिमाह मिले। विकास कहते हैं: “मुझे बीमारी से ज्यादा डर इस बात का लग रहा था कि कहीं मेरे भाई-बहन को भी टीबी ना हो जाए। इसलिए मैंने अपना खाना-पीना, उपयोग का सारा सामान अलग रखा था । 12 वीं में पढ़ रहा था तब मुझे टीबी हुआ। मेरे गाल के नीचे गांठ थी, जो लगातार बढ़ती जा रही थी, इसको देखकर मेरे शिक्षक ने जांच करवाने को कहा, जब मैंने जांच कराई तो टीबी निकला। शुरू में प्राइवेट अस्पताल में हजारों रूपए खर्च किए मगर मेरी बीमारी बढ़ती गई, इसके बाद सरकारी अस्पताल में इलाज शुरू हुआ और मैं आज स्वस्थ हूं। टीबी से मेरा वजन लगातार कम हो रहा था, में जीवित नहीं बचूंगा इसका भय सता रहा था। ऐसे समय में शिक्षकों, सहपाठियों और परिवार वालों के सहयोग और मदद से मैंने बीमारी पर विजय पाई है। मैं लोगों को भी धैर्य रखने के लिए प्रेरित करता हूं।“

लोगों को अनुभव बताना बड़ी चुनौती – विकास कहते हैं: “वर्ष 2021 से मैं प्रशिक्षण लेकर टीबी मितान के रूप में कार्य कर रहा हूं। लोगों को अपने अनुभव के बारे में बताना बड़ी चुनौती थी क्योंकि लोग उनकी बात सुनना नहीं चाहते थे। कुछ लोग तो अपनी बीमारी के बारे में बताते भी नहीं थे। किसी तरह परिवार वालों , मरीज के परिजनों, उनके आसपास के लोगों को समझाकर जानकारी लेते थे तथा उनका टीबी का इलाज शुरू करवाते थे। कई बार तो विभागीय अधिकारियों, टीबी समन्वयक के हस्तक्षेप करने पर टीबी मरीजों का इलाज शुरू होता था। मगर अब लोग जागरूक हो रहे हैं, लोग अब खुद ही फोन या संपर्क कर टीबी मरीजों की जानकारी देते हैं।“

समन्वयक पीएमटीडी टीबी कार्यक्रम, अजीत नाविक का कहना है: “टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो शरीर के हर अंग को प्रभावित करती है। समय पर इसके लक्षणों की पहचान और उपचार कराकर इस रोग से बचा जा सकता है। सरकारी अस्पतालों में टीबी का इलाज मुफ्त होता है, यह जानकारी टीबी मितान लोगों को बता रहे हैं। अपनी आप बीती और अनुभवों को लोगों तक सही तरीके से पहुंचाते हुए टीबी मितान कार्य कर रहे हैं, जिससे बिना भेदभाव के लोग अपनी स्वास्थ्यगत समस्या बता रहे हैं।“

टीबी का इलाज और पोषण भत्ता – सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और जिला अस्पतालों में इसकी निःशुल्क जांच, इलाज और दवाई उपलब्ध है। टीबी के पंजीकृत मरीजों को क्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान पोषण आहार के लिए प्रति माह 500 रूपए की राशि दी जाती है। डॉट सेंटर्स या डॉट प्रोवाइडर्स के माध्यम से टीबी से पीड़ित मरीजों को घर के पास या घर पर ही दवाई उपलब्ध कराई जा रही है।

Advertisement

Imprint
Responsible for the content:
khabarwala.news
Privacy & Terms of Use:
khabarwala.news
Mobile website via:
WordPress AMP Plugin
Last AMPHTML update:
29.08.2024 - 03:23:07
Privacy-Data & cookie usage: