शिशु के संपूर्ण विकास के लिए बहुत जरूरी है 6 माह तक सिर्फ स्तनपान: ड़ॉ. रेणुका

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शिशु के संपूर्ण विकास के लिए बहुत जरूरी है 6 माह तक सिर्फ स्तनपान: ड़ॉ. रेणुका

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– शिशुवती और गर्भवती महिलाओं को स्तनपान के महत्व के बारे में दी गई जानकारी 

बिलासपुर, 2 अगस्त 2022, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोटा मे विश्व स्तनपान सप्ताह के अंतर्गत कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान गर्भवती व शिशुवती महिलाओ को स्तनपान के महत्व के बारे मे विस्तार से जानकारी दी गई। इस मौके पर जानकारी देते हुए स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ रेणुका सैमुअल ने बताया: “एक शिशु के संपूर्ण विकास के लिए 6 माह तक सिर्फ स्तनपान बहुत जरूरी है। कुछ मां अपने बच्चों को स्तनपान की बजाय बोतल बंद दूध पिलाना चाहती हैं, जो सही नहीं है। क्योंकि मां का दूध अमृत समान होता है। शिशु के संपूर्ण विकास और रोगों से लड़ने की ताकत शिशु को मां के दूध से ही मिलती है। इसलिए जन्म के छह माह तक शिशु को केवल मां का दूध ही पिलाना चाहिए। “

कार्यक्रम के दौरान चिकित्सा कर्मियों ने अस्पताल में स्तनपान में सहयोग करने का संकल्प लिया। वहीं दूसरी ओर गर्भवती महिलाओं को शिशुवती होने पर स्तनपान का महत्व बताने के लिए उन्हें प्रेरित करने को भी कहा गया। कार्यक्रम में उपस्थित गर्भवती एवं शिशुवती माताओं को स्तनपान के महत्व की जानकारी देते हुए प्रजनन, मातृ, नवजात, बाल और किशोर स्वास्थ्य (आएएमएनसीएच) के जिला सलाहकार हमीत कश्यप ने बताया:” मां के जीवन का सबसे सुखद अहसास अपने शिशु को स्तनपान कराने का होता है। मां का दूध शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार है। स्तनपान कराने से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। सर्दी खांसी, दस्त, एलर्जी, अस्थमा और सांस की बीमारियां ,निमोनिया और काली खांसी से भी स्तनपान बचाव करता है । शिशु के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए मां का दूध महत्त्वपूर्ण है। इसलिए जन्म के प्रथम एक घंटे के भीतर ही शिशु को मां का पहला पीला गाढ़ा दूध अवश्य पिलाना चाहिये एवं छः माह तक की आयु तक शिशु को केवल स्तनपान कराने की सलाह देनी चाहिए। स्तनपान से न सिर्फ बच्चे का संपूर्ण पोषण होता है बल्कि शिशु का मां के साथ भावनात्मक जुड़ाव होता है। कोलोस्ट्रम (पहला पीला गाढ़ा दूध) शिशु के लिए अमृत का काम करता है। यह शिशु में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इसलिए मां का पहला दूध अवश्य पिलाना चाहिए।” शिशुओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए मां का दूध अमृत समान है, इस अवधारणा को साकार करते हुए जिले भर में 1 अगस्त से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाएगा। इस दौरान गर्भवती महिलाओं और शिशुवती माताओं को स्तनपान कराने से होने वाले लाभ के बारे में बताया जाएगा। साथ ही नवजात और छोटे बच्चों के लिए पौष्टिक आहार कितना जरूरी, इसकी जानकारी भी दी जाएगी। इस मौके पर महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। साथ ही स्तनपान को लेकर मिथकों के संबंध में विशेषज्ञों से जानकारी भी हासिल की।

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दी जा रही महत्वपूर्ण जानकारी- स्तनपान सप्ताह की शुरूआत होते ही जिला, ब्लॉक व ग्राम स्तर पर कार्यशाला, प्रदर्शनी, प्रश्नोत्तरी , पोस्टर बैनर एवं स्वास्थ्यगत परिचर्चा जैसे कार्यक्रम आयोजित कर जन-जागरूकता का प्रयास किया जा रहा है। स्वास्थ्य कार्यकर्ता, मितानिन एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से स्तनपान से संबंधित महत्वपूर्ण संदेशों का प्रचार-प्रसार घर-घर जाकर किया जा रहा है। इस दौरान मितानिन महिलाओं को स्तनपान कराने के तरीके और इसके लाभ भी बता रही हैं। साथ ही स्तनपान कराने के मिथकों जैसे स्तनपान कराने से शरीर बेडौल हो जाना, स्तन में रहे दूध का खराब होना, डिब्बा बंद दूध पिलाना ज्यादा आसान है आदि के बारे में सही जानकारी जैसे – स्तनपान कराने से शरीर बे़डौल नहीं होता बल्कि स्तन कैंसर एवं स्तन की दूसरी बीमारियों से छुटकारा मिलता है, दूध स्तन में कभी खराब नहीं होता इत्यादि जानकारी दी जा रही है।

रविवार 7 अगस्त तक होंगे विविध कार्यक्रम – स्तनपान के व्यवहार को बढ़ावा देने के लिए और समाज में जागरूकता लाने के लिए हर साल स्तनपान सप्ताह आयोजित किया जाता है । इस साल भी 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाएगा। सीएमएचओ डॉ. अनिल श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में पूरे सप्ताह भर शहरी एवं ग्रामीम स्तर पर धात्री महिलाओं को स्तनपान कराने से होने वाले स्वास्थ्यगत लाभ की जानकारी के साथ-साथ उचित पोषण आहार एवं स्वच्छता के प्रति उन्हें जागरूक भी किया जाएगा।

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