टीबी मितान घर-घर जाकर कर रहे जांच, संक्रमण से बचाव का बता रहे तरीका …

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सजगता से संभव है टीबी से बचाव

बिलासपुर,6 जुलाई 2022, सजगता से क्षय रोग (टीबी) पर विजय पाई जा सकती है। पीड़ित व्यक्ति नियमित दवाओं का सेवन कर पूरी तरह ठीक हो सकते हैं। लेकिन इसके लिए खान-पान में सुधार, पौष्टिक आहार लेना और चिकित्सक के सलाह पर अमल करना जरूरी है। इस तरह की टीबी से संबंधित तमाम जानकारियां ‘टीबी मितान’ घर-घर जाकर क्षय रोग से ग्रसित लोगों को इस बीमा्री से छुटकारा दिलाने और समाज में जागरूकता ला रहे हैं। साथ ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा टीबी सर्वे एवं जांच के कार्य भी कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा टीबी उन्मूलन कार्यक्रम पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके तहत जिले के टीबी चैंपियन (जो खुद टीबी की बीमारी से ग्रसित थे, इलाज कराकर अब स्वस्थ हैं) अब ‘टीबी मितान’ बनकर इस बीमारी को लेकर व्याप्त भ्रांतियों और सामाजिक भेदभाव को दूर करने और क्षय रोगियों का आत्मबल बढ़ाने के लिए अपना अनुभव साझा कर क्षय रोग से ग्रसित मरीजों का उपचार में सहयोग भी कर रहे हैं।

बिल्हा की रहने वाली 20 वर्षीय दीपिका प्रजापति भी टीबी से जंग जीतकर अब टीबी मितान बनकर समाज के लोगों को टीबी के प्रति जागरूक कर रही हैं। दीपिका बताती हैं:” मैं 18 साल की उम्र में टीबी की चपेट में आयी थीं। हल्का बुखार, खांसी आना और वजन का कम होना जैसे लक्षण मुझमें थे। तकलीफ बढ़ने के बाद मैंने नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर अपनी जाँच करवाई, जहां टीबी की पुष्टि हुई। मैंने पोषण युक्त खानपान और स्वास्थ्य केंद्र से प्राप्त दवा का सेवन लगातार करने के बाद टीबी को मात दी। मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूँ और स्वास्थ्य विभाग द्वारा टीबी मुक्ति अभियान में ‘टीबी मितान’ के रूप में सक्रिय टीबी मरीजों की मदद भी कर रहीं हूँ।“

” दीपिका वर्तमान में स्नातक की पढ़ाई कर रही है। पर टीबी की चपेट में जब आई थी उस समय वह ‘नीट’ की तैयारी कर रही थी। जैसे ही बीमारी का पता लगा उसे ऐसा लगा कि सबकुछ खत्म हो गया। उस दौरान गांव और रिश्तेदारों का बर्ताव भी अलग हो गया था। इसलिए दीपिका और भी ज्यादा अंदर से टूटने लगी थीI उसका आत्मविश्वास भी खत्म हो गया था। उस समय टीबी काउंसलर ने उसे समझाया जिससे उसका खोया हुआ मनोबल वापस आया। तभी उसने ठाना की वह ठीक होकर इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करेगी और टीबी ग्रसित मरीजों की हर संभव मदद भी करेगी। “नियमित दवा लेकर मैं स्वस्थ्य हुई और टीबी मरीजों की सेवा में जुट गई। बीते एक वर्ष से मैं टीबी मितान के रूप में स्वास्थ्य कर्मियों के साथ घर-घर जाकर टीबी के लक्षण वाले मरीजों की पहचान करते हुए उन्हें जागरूक भी कर रही हूँ । मुझे अपने अनुभव के कारण टीबी मरीजों की स्क्रीनिंग व काउंसलिंग करने में काफी सहायता होती है। लोगों का भी सकारात्मक व्यवहार अब देखने को मिल रहा है” दीपिका ने बताया I

दिखे ऐसे लक्षण तो जांच जरूरी – खांसी का दो सप्ताह या उससे अधिक समय से रहना, खांसते वक्त बलगम और खून का आना, भूख का कम लगना, वजन लगातार कम होना, तेज या कम बुखार रहना, छाती में दर्द आदि कि शिकायत हो तो देर नहीं करते हुए फौरन ही नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर जांच और इलाज शुरू करवाना चाहिए।

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