चुनौतियों से लड़ते हुए बचा रहे जिंदगियां…

www.khabarwala.news

schedule
2022-06-30 | 14:15h
update
2022-06-30 | 14:15h
person
khabarwala.news
domain
khabarwala.news
चुनौतियों से लड़ते हुए बचा रहे जिंदगियां…

raipur@khabarwala.news

सरकारी अस्पताल पर लोगों का भरोसा जगाने के लिए चिकित्सक लगातार प्रयासरत 

(राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे 1 जुलाई पर विशेष स्टोरी) 

बिलासपुर, 30 जून 2022 : मरीजों की सेवा करना एक डॉक्टर का धर्म और जान बचाकर बीमारी से निजाद दिलाना एक डॉक्टर का कर्तव्य होता है। तभी तो चिकित्सकों को धरती का भगवान और जीवनदाता भी कहा जाता है। डॉक्टरों के समर्पण और ईमानदारी के प्रति सम्मान जाहिर करने के लिए प्रत्येक वर्ष 1 जुलाई को डॉक्टर्स डे मनाया जाता है। सरकारी अस्पतालों और वहां की उपचार व्यवस्था के प्रति लोगों का विश्वास जीतने के लिए प्रयत्नशील ग्रामीण स्वास्थ केन्द्रों के चिकित्सक लगातार प्रयासरत है। वह चुनौतियों से लड़ते हुए लोगों की जिंदगी बचाने में जुटे है। जिसकी वजह से उन्हें मरीजों से विशेष सम्मान भी मिल रहा है।

Advertisement

मरीज और चिकित्सक के बीच विश्वास जरूरी: डॉ. पूनम – मरीज और चिकित्सक के बीच विश्वास जरूरी होता है। दोनों के बीच विश्वास होगा तो मरीज का आत्मबल बढ़ेगा जिससे वह जल्दी ठीक हो सकता है। यह कहना है सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र रतनपुर की मेडिकल ऑफिसर डॉ. पूनम सिंह का। डॉ. पूनम बताती हैं: “मुझे अपने पिताजी (जो पेशे से चिकित्सक थे और सूरजपुर में मिनी पीएचसी में पदस्थ थे) के समर्पण और सेवा भावना को देखकर डॉक्टरी पेशे में आने की प्रेरणा मिली। उनकी प्रेरणा से ही ग्रामीणों की सेवा कर मैं सुकून का अनुभव करती हूं। क्योंकि शहरों में तो कई चिकित्सक और स्वास्थ्य सुविधाएं हैं, किंतु गांवों में कम। ग्रामीणों को सही स्वास्थ्य सलाह और उपचार की कितनी जरूरत है, यह यहां सेवा देकर ही जान पाई हूं। इसलिए पिताजी की भांति मरीजों का विश्वास हासिल कर अपने हुनर को और निखारते हुए लोगों के जीवन की रक्षा करने को लगातार कोशिश करती हूं।“

डॉ. पूनम ने छत्तीसगढ़ के सरगुजा के टेंगनी गांव से प्रारंभिक शिक्षा हासिल की। बिलासपुर शिशु मंदिर से 12 वीं कर पीएमटी ( प्री मेडिकल टेस्ट) पीएमटी पास कर एमबीबीएस की डिग्री रायपुर मेडिकल कॉलेज से ली। दो साल ग्रामीण क्षेत्र में सेवा देने का बॉंड था, जिसकी वजह से बिलासपुर के कोटा स्वास्थ केन्द्र में नौकरी की। इसके बाद उन्होंने एमडी किया और कोटा स्वास्थ केन्द्र में मातृ-शिशु सेवाएं दी। इसके बाद 2014 से रतनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में वह अपनी सेवाएं दे रही हैं। गांव की माटी से जुड़ाव की वजह से कई अवसर मिले मगर वह ग्रामीणों की सेवा में तत्पर हैं। दूर-दूर से ग्रामीण वहां पहुंचते हैं और संतुष्ट होकर जाते हैं।

संस्थागत प्रसव और बाल सुरक्षा हुआ आसान- डॉ. पूनम बताती हैं: “जब मैंने केन्द्र में ज्वाइन किया था, तब संस्थागत प्रसव नहीं के बराबर था। वहीं बच्चों को भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए रेफर करना पड़ता था। पीडियाट्रिशियन हूं तो बच्चों को अति आवश्यक होने पर ही रेफर करती थी, ज्यादातर बच्चों को केन्द्र में ही भर्ती कर उपचार करती थी। गांव में ही रहने की वजह से 24 घंटे सातों दिन सेवाएं दे सकती थी। धीरे-धीरे अन्य स्टाफ का भी मनोबल बढ़ा अब केन्द्र में प्रतिमाह 60-70 डिलीवरी हो रही है और बच्चों को भर्ती कर उपचार की सुविधा भी मिल रही है।“

सरकारी अस्पताल पर विश्वास जगाना है ध्येय: डॉ. कंवर – वर्षों से सरकारी अस्पताल और वहां की व्यवस्था के प्रति लोगों का विश्वास जीतने का प्रयास करने वाले डॉक्टर एन.आर कंवर भी एक हैं। मस्तुरी स्वास्थ केन्द्र में ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर के रूप में पदस्थ डॉ. कंवर के अथक प्रयास से वहां की ओपीडी और आईपीडी में अब पहले से ज्यादा मरीज इलाज के लिए पहुंचने लगे हैं। कोविड काल के प्रथम और दूसरी लहर के दौरान कई चुनौतियां भी आईं, मगर उनकी परवाह किए बिना मरीजों को बेहतर चिकित्सकीय सुविधा देने में तत्पर हैं। मस्तुरी स्वास्थ केन्द्र में विभिन्न ऑपरेशन शुरू करने का श्रेय भी डॉक्टर कंवर को जाता है।

डॉ. कंवर बताते हैं: “गुरुकुल में जब था, तब लोगों को इलाज के लिए इधर-उधर भटकते देखा, तभी मैंने चिकित्सक बनकर लोगों की सेवा करने की ठानी और 2003 में रींवा मध्यप्रदेश से एमबीबीएस किया। हालांकि परिवार में सभी खेती व्यवसाय से जुड़े थे तो , डॉक्टरी पेशे और उसकी चुनौतियों के बारे में वह समझ नहीं पाते थे। शुरूआत में चुनौतियों थी, मगर परिवार के सहयोग और लोगों को स्वास्थ्य सुविधा दिलाने की दृढ़इच्छाशक्ति की बदौलत सब संभव हुआ। सरकारी अस्पतालों और वहां की उपचार व्यवस्था के प्रति लोगों का विश्वास जीतना मेरी पहली प्राथमिकता है। सरकारी अस्पताल पर मरीजों का भरोसा जीतना एक बड़ी चुनौती है। जब पोस्टिंग हुई थी तब ओपीडी में 20-30 मरीज आते थे परंतु अस्पताल की चिकित्सकीय व्यवस्था सुधारने की वजह से ओपीडी की संख्या 150 से अधिक हो गई है यह मरीजों का सरकारी अस्पताल पर विश्वास जागने का ही परिणाम है।“

Advertisement

Imprint
Responsible for the content:
khabarwala.news
Privacy & Terms of Use:
khabarwala.news
Mobile website via:
WordPress AMP Plugin
Last AMPHTML update:
09.09.2024 - 01:00:54
Privacy-Data & cookie usage: