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– रोगियों का पंजीकरण कर शुरू हुआ इलाज
कोरबा 29 जून, 2022, राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत जिले में सघन टीबी जांच कार्य किया जा रहा है। इसके अंतर्गत जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में क्षय रोगियों (टीबी रोगियों) की पहचान की गई है। ब्लॉक स्तर पर बीते पांच माह में (जनवरी 2022 से मई 2022 तक) कुल 9,361 टीबी के संभावित लोगों की स्क्रिनिंग (जांच) हुईI इनमें से जांच उपरांत शासकीय और निजी अस्पतालों को मिलाकर कुल 795 टीबी के मरीज मिले हैं, जिनका पंजीकरण कर इलाज शुरू कर दिया गया है।
इस संबंध में जिला नोडल अधिकारी, क्षय नियंत्रण कार्यक्रम डॉ. जी.एस. जात्रा ने बताया “टीबी मुक्त जिला के लिए विशेष अभियान चलाकर एवं नियमित रूप से टीबी के संभावित रोगी की जांच की जाती है। इसके तहत जिले के विभिन्न स्थानों पर विशेष टीम के माध्यम से रोगियों की पहचान की गई। इनमें मुख्य रूप से जेल, कोयला खानों में काम करने वालों, कोरबा अर्बन स्लम क्षेत्र में, हेल्थ वर्करों , एचआरजीएस, वृद्धाश्रम, बालिकागृह, रैन बसेरा आदि स्थानों में स्क्रिनिंग हुई । जनवरी 2022 से मई 2022 में कुल 9,361 लोगों की स्क्रिनिंग हुई जिनमें शासकीय और निजी अस्पतालों से 795 टीबी मरीज मिले हैं।“ “विभाग द्वारा क्षय रोग या टीबी रोगियों की खोज कर उन्हें समय पर इलाज उपलब्ध करवाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वार्षिक लक्ष्य के आधार पर कार्य संचालित किया जा रहा है। इस दौरान टीबी रोगी के इलाज तथा उसका जिला क्षय नियंत्रण कार्यालय में पंजीकरण पर जोर दिया जा रहा है। इसी क्रम में लोगों को निःशुल्क दवाएं, इलाज करवाने और पोषण भत्ता दिए जाने की जानकारी भी टीबी खोजी दल द्वारा दी जाती है।“
टीबी की जांच के लिए सीबीनॉट/ट्रूनॉट मशीन – राज्य में ड्रग रेजिस्टेंट टीबी की जांच एवं उपचार की सुविधा जिला स्तर पर उपलब्ध कराने के लिए सीबीनॉट मशीन लगाई गई है। वहीं ब्लॉक स्तर पर ट्रूनॉट मशीन है। जिससे संभावित रोगियों का 2 घंटे में टीबी या ड्रग रेजिस्टेंट टीबी होने का पता लगाया जा सकता है। टीबी रोगियों की जांच और संपूर्ण उपचार सभी सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क प्रदान किया जाता है।
मरीजों के घर के आसपास टीबी की खोज- डॉ. जात्रा ने बताया “भारत सरकार द्वारा देश को क्षय रोग से मुक्त करने के लिए 2025 का लक्ष्य रखा गया है। परंतु छत्तीसगढ़ शासन द्वारा उससे पहले ही राज्य को 2023 तक टीबी मुक्त बनाने का निर्णय लिया गया है। इसलिए टीबी उन्मूलन कार्यक्रम पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके तहत जिले के सभी मेडिकल ऑफिसर, रूरल मेडिकल ऑफिसर को विशेष प्रशिक्षण के साथ-साथ मितानिन, एमपीडब्ल्यू एवं अन्य को भी प्रशिक्षण दिया गया है ताकि वह अपने-अपने क्षेत्रों में टीबी के संभावित रोगियों की खोज करें ताकि जांच कर टीबी मरीजों का समय रहते उपचार कराया जा सके। इसके साथ ही जो टीबी मरीज मिले हैं उनके घर के सदस्यों और आस-पास भी विशेष जांच की जा रही है। घर के अन्य सदस्यों को टीबी की बीमारी ना हो इसलिए सुरक्षात्मक उपचार भी उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे टीबी के प्रसार दर को कम किया जा सके। “
दिखे ऐसे लक्षण तो जांच जरूरी – विशेषज्ञों का कहना है खांसी का दो सप्ताह या उससे अधिक समय से रहना, खांसते वक्त बलगम और खून का आना, भूख का कम लगना, वजन लगातार कम होना, तेज या कम बुखार रहना, छाती में दर्द आदि कि शिकायत हो तो देर नहीं करते हुए फौरन ही नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर जांच और इलाज शुरू करवाना चाहिए। टीबी पूरी तरह से ठीक हो सकता है लेकिन इसके लिए समय पर और पूरा इलाज कराना जरूरी है।