“नशा पान ला छोड़बो नया छत्तीसगढ़ ला गढ़बो” का संदेश दे रही भारत माता वाहिनी…

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“नशा पान ला छोड़बो नया छत्तीसगढ़ ला गढ़बो” का संदेश दे रही भारत माता वाहिनी…

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– शराब व्यसन मुक्ति के लिए महिलाएं लोगों को कर रहीं जागरूक

(अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस पर विशेष)

बिलासपुर 25 जून, 2022, नशा पान करना सेहत के लिए हानिकारक है। नशे से शरीर और मन दोनों पर असर पड़ता है। व्यक्ति अपने सोचने और समझने की शक्ति खो देता है, जिससे उसपर, उसके परिवार पर और समाज पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

इस प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से ‘शराब से वास्ता बर्बादी का रास्ता’ के नारे को जन-जन तक पहुंचा रही महिलाएं नशा मुक्ति के लिए मिसाल बनीं है। बिलासपुर जिले के कोटा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत पटौता की यह महिलाएं ‘भारत माता वाहिनी” के जरिए नशा मुक्ति का संदेश देकर शराब व्यसन मुक्ति के लिए अभियान चला रही हैं।

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गांव में अभियान चलाने वाली यह महिलाएं छोटे व्यवसाय और स्व सहायता समूह का संचालन भी करती हैं। शराब व्यसन मुक्ति के लिए सक्रिय इन महिलाओं को समाज कल्याण विभाग से सहयोग मिला है। जिसके तहत महिलाएं ‘छत्तीसगढ़ शराब व्यसन मुक्ति अभियान’ यानि नशे के विरूद्ध लोगों को जागरूक करने व नशा मुक्ति की दिशा में जनमत विकसित करने का कार्य कर रही हैं।

यहां-वहां शराब पीने वालों का किया विरोध- भारत माता वाहिनी की सक्रिय सदस्य अनिता बारी बताती हैं: “मैं मध्य प्रदेश की रहने वाली हूं, मेरी शादी छत्तीसगढ़ में हुई। मेरे घर में या आसपास कोई शराब या किसी भी तरह के नशे का सेवन नहीं करता था। मेरे ससुराल में भी कोई नशा नहीं करता था। लेकिन जब मैं गांव में निकलती थी तब घर के बाहर, सड़क पर लोगों को शराब, बीड़ी सिगरेट पीते देखती थी। अत्य़ाधिक नशे की वजह से कई बार लोगों को लड़ाई करते और अनर्गल बात करते देखकर अच्छा नहीं लगता था। तब मैंने धीरे-धीरे नशा सेवन का विरोध करना और नशापान नहीं करने के लिए लोगों को समझाना शुरू किया। मुझे विरोध करता देख गांव की अन्य महिलाएं भी मेरा साथ देने लगीं। इस तरह कुछ महिलाओं का समूह बना।“ उन्होंने आगे बताया “मैं मध्यान भोजन का कार्य करती हूं और स्व सहायता समूह से भी जुड़ी हूं। एक वर्ष पूर्व ही समाज कल्याण विभाग के भारत माता वाहिनी से जुड़कर शराब व्यसन मुक्ति अभियान के जरिए लोगों को तंबाकू एवं मादक द्रव्य के नशा से संबंधित विभिन्न समस्याओं, नशा के दुष्प्रभाव, मानसिक विकार एवं इसके रोकथाम के लिए आवश्यक उपाय पर विस्तार से जानकारी देकर लोगों को नशा छोड़ने की अपील करती हूं।“

महिलाओं को भी करती हैं जागरूक- भारत माता वाहिनी की सदस्य दिपाली बताती हैं: “नशा के सेवन से कई घर बर्बाद हो जाते हैं। बड़ों को देखकर छोटे-छोटे बच्चे भी नशापान करना सीख रहे हैं।परिवार के सदस्यों में नशापान की वजह से आई समस्या को देखकर नशामुक्ति अभियान से जुड़ गई। भारत माता वाहिनी से जुड़कर समाज की महिलाओं, युवक-युवतियों को भी नशा के दुष्परिणामों की जानकारी देते हैं। साथ ही उनसे घर और परिवार में नशापान करने वालों का विरोध करने के लिए उन्हें जागरूक भी करते हैं।“

भारत माता वाहिनी के कार्य- ग्राम पंचायत में महिला स्व सहायता समूहों द्वारा नशा मुक्ति के पक्ष में रैली, प्रभात फेरी, नशापान से होने वाले दुष्परिणामों का प्रचार-प्रसार, नारे, दीवार लेखन, पोस्टर, पाम्पलेट, नुक्कड़ नाटक द्वारा जन मानस में नशामुक्ति के लिए जागरूकता विकसित करना वाहिनी का मुख्य कार्य है। इसके साथ ही ग्राम पंचायत स्तर पर नशा पीड़ितों के सर्वेक्षण, नशामुक्ति की प्रेरणा देना तथा उपचार के लिए नशा मुक्ति केन्द्रों में पीड़ितों को भर्ती करने का कार्य भी वाहिनी करती है। इसके अलावा अवैध शराब के कार्य में लिप्त व्यक्तियों एवं नशापीड़ितों को समझाने के बाद नहीं मानने पर उस क्षेत्र के थाना प्रभारी को सूचित करना नशा मुक्ति अभियान के समर्थन में समय -समय पर निबंध, भाषण, चित्रकला, लघु नाटिका, गायन प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता है। धर्मार्थ संस्थाओं को इस अभियान में पीड़ितों को काउंसिलिंग देने, योगाभ्यास, नशापान नहीं करने के लिए प्रोत्साहन संगोष्ठी और व्याख्यान आदि में सक्रिय योगदान के लिए प्रेरित करना भी शामिल है।

करेंगे जागरूक- पंचायत इंस्पेक्टर भारत माता वाहिनी संजय यादव ने बताया: “शराब व्यसन मुक्ति अभियान के तहत नशे के दुष्परिणामों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए समूह स्तर पर बैठक करते हैं। लोगों को नशापान नहीं करने के लिए किस तरह प्रोत्साहित करें, इसका प्रशिक्षण भी स्व सहायता समूह की महिलाओं को दिया जाता है। दिवस विशेष पर विभिन्न माध्यमों से लोगों को जागरूक भी किया जाता है। इसी क्रम में 26 जून को भी वाहिनी की महिलाएं शहरी और स्लम क्षेत्रों में रैली निकालेंगी। साथ ही साथ बैनर पोस्टर और दीवार लेखन के माध्यम से नशा मुक्ति का संदेश देंगी। वहीं नुक्कड़ नाटक के जरिए नशा नहीं करने का आह्वान भी करेंगी।

इलाज है संभव- समय पर नशा सेवन और उससे होने वाली बीमारियों का इलाज संभव है। जिला चिकित्सालय में तंबाकू नशा मुक्ति केंद्र संचालित है। यहां लोगों का नशा से संबंधित इलाज किया जाता है। इसमें प्रमुख रूप से काउंसलिंग और काउंसलिंग के साथ दवाइयां प्रमुख कारगर साबित होती है, जिसके माध्यम से नशे को दूर किया जा सकता है। इस संदर्भ में निमहंस (नेशनल इंस्टीट्यूट आफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस) बेंगलुरू से प्रशिक्षित डॉक्टर, काउंसलर एवं टीम मौजूद हैं जो नशे का सेवन कर रहे मरीजों का इलाज करते हैं।

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