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– विश्व रक्तदाता दिवस पर स्वास्थ्य विभाग करेगा रक्तदाताओं और संस्थाओं का सम्मान
रायपुर 13 जून 2022, रक्तदान महादान हैI रक्तदान करने से कमजोरी नही आती है। और एक रक्तदान से चार लोगों कि जिंदगियां बचाई जा सकती हैं। इसलिए प्रत्येक वर्ष 14 जून को “विश्व रक्तदाता दिवस” के रूप में मनाया जाता है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस विशेष दिवस पर स्वैच्छिक रक्तदान करने वाले रक्तदाताओं एवं संस्थाओं को सम्मानित किया जाएगा। साथ ही रक्तदान अभियान में सामूहिक सहभागिता का आग्रह भी लोगों से किया जाएगा।
इस वर्ष “Donating blood is an act of solidarity. Join the effort and save lives” (“रक्तदान करना एकजुटता का कार्य है। प्रयास में शामिल हों और जीवन बचाएं ”) थीम के साथ दिवस मनाया जाएगा। यह स्वैच्छिक रक्तदान कर जीवन बचाने के साथ-साथ समुदाय में एकजुटता लाने का प्रयास भी होगा। अतिरिक्त परियोजना निदेशक राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी डॉ. एस.के. बिंझवार ने बताया: “रक्तदान करना सुरक्षित है और व्यक्ति का जीवन इससे बचाया जा सकता है। एक रक्तदान से चार जिंदगियां बचाई जा सकती हैं। इसलिए रक्तदान को प्रोत्साहित करने और लोगों को जागरूक करने का प्रयास जारी है। इसी उद्देश्य से “विश्व रक्तदाता दिवस” के मौके पर रक्तदाता सम्मान समारोह आयोजित किया जाएगा। इस दौरान राज्यभर के रक्तदाताओं, युवा रक्तदाताओं, रक्तदान करने वाले परिवारों और रक्तदान कराने वाली सामाजिक, सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं को सम्मानित किया जाएगा। साथ ही साथ मानवता की सेवा के लिए अधिक से अधिक रक्तदान करने के लिए लोगों से आह्वान भी किया जाएगा। “
रक्त की जरूरत- डॉ. बिंझवार ने बताया: “राज्य की कुल जनसंख्या 2.55 करोड़ के आधार पर 2.55 लाख यूनिट रक्त की आवश्यकता प्रतिवर्ष जरूरत पड़ती है यानि जनसंख्या के एक प्रतिशत की। रक्त की आवश्यकता की पूर्ति राज्य के कुल 115 ब्लड बैंकों (32 शासकीय और 83 गैर शासकीय ब्लड बैंक) के माध्यम से की जा रही है। वर्ष 2021-22 (अप्रैल 2021 से मई 2022) तक में ब्लड बैंकों द्वारा कुल 1,87,727 यूनिट रक्त संग्रहण किया गया। कोविड-19 महामारी की वजह से बीते वर्षों में रक्तदान कम हुआ था जिसके लिए स्वैच्छिक रक्तदान को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि जितनी रक्त की जरूरत है उसकी पूर्ति की जा सकेगी।“
रक्तदान सुरक्षित है इसलिए करते हैं रक्तदान- रायपुर निवासी विनय नारायण पंचभाई जिन्होंने अब तक 162 बार रक्तदान किया है, ने बताया: “पहले मुझे रक्तदान की जानकारी नहीं थी। वर्ष 1979 में जब मैं अपने दोस्त को देखने अस्पताल पहुंचा तब वहां 2 साल की बच्ची जिंदगी और मौत से संघर्ष करती दिखी। मुझे परिजनों से जानकारी मिली की उन्हें बच्ची की जिंदगी के लिए रक्त की जरूरत है, मैंने फौरन डॉक्टरों से बात की और मेरा ब्लड ग्रुप चेक कर मुझे रक्तदान करने की अनुमति मिली। रक्तदान करने से कमजोरी नहीं आती यह सुरक्षित है। किसी जरूरतमंद व्यक्ति को रक्त देकर उसकी जिंदगी बचाई जा सकती है, इसकी जानकारी मिली तो मैंने ठाना की मुझसे जितना हो सकेगा, मैं रक्तदान करूंगा औऱ यह प्रक्रिया अब तक जारी है।“
पूरा परिवार करता है रक्तदान- रक्तदान की भ्रांतियों को दूर करने के लिए अब तक 118 बार रक्तदान कर चुके पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर एवं एचओडी पैथोलॉजी डिपार्टमेंट डॉ. अरविंद नेरल ने बताया: “हर दिन दर्जनों ऐसे मरीज अस्पताल पहुंचते हैं, जिनमें खून की कमी और जिन्हें खून की जरूरत होती है। रक्तदान कर ऐसे में लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है। युवा पीढ़ी के मन से रक्तदान को लेकर डर और भ्रांतियों को खत्म करना और उन्हें रक्तदान के लिए प्रेरित करना ही मेरा मकसद है, मरते दम तक लोगों को प्रोत्साहित करता रहूंगा।“ डॉ. नेरल के परिवार में उनकी पत्नी 26 बार रक्तदान कर चुकी हैं। उनके 26 वर्षीय पुत्र ने 16 बार तथा 30 वर्षीय पुत्री ने 25 बार रक्तदान किया है।