सही समय पर नहीं दिया ध्यान तो हो सकती है परेशानी …

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सही समय पर नहीं दिया ध्यान तो हो सकती है परेशानी …

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(विश्व अस्थमा दिवस पर विशेष)

बिलासपुर, 2 मई 2022 : दमा या अस्थमा सामान्य श्वांस को प्रभावित करता है। दमा के रोगी के लिए नियमित कामकाज कठिन या असंभव हो जाता है। इतना ही नहीं अगर सही इलाज में देरी हो जाए तो दमा से गंभीर स्थिति भी हो सकती है। इसलिए ही विश्व भर में मई के पहले मंगलवार को “विश्व अस्थमा दिवस” के रुप में मनाया जाता है।

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अस्थमा से बचाव और अस्थमा से होने वाली मृत्यु दर को कम करने, स्वास्थ्य देखभाल और लोगों को जागरुक करने के लिए प्रतिवर्ष “विश्व अस्थमा दिवस” का आयोजन किया जाता है और तरह-तरह के कार्यक्रमों द्वारा लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जाता है। हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि बढ़ते प्रदूषण जैसे कारकों के कारण, दमा जैसे श्वसन रोग आज ज्यादा देखने को मिल रहे हैं। बच्चों से लेकर उम्रदराज लोग श्वसन रोगों से ग्रसित हो रहे हैं, जिसमें एलर्जी (हवा अथवा प्रदूषण) और कफ कारण हो सकता है। उल्लेखनीय है कि विश्व अस्थमा दिवस के आयोजन की शुरुआत 1998 में ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा (जीआईएनए,GINA) ने किया था I हर वर्ष अलग-अलग थीम पर यह दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष क्लोजिंग गैप इन अस्थमा केयर थीम पर यह दिवस मनाया जाएगा।

इस संबंध में सीएमएचओ डॉ. प्रमोद महाजन ने बताया “प्रदूषण एवं धूलकण (डस्ट) की वजह से अस्थमा के रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। इस बीमारी से छोटे बच्चों से लेकर वयोवृध्दजन तक प्रभावित हो रहे हैं। हालांकि कोरोना महामारी से बचाव के लिए मास्क लगाए जाने से एलर्जिक लोगों को थोड़ी राहत जरूर हैI इसलिए ही अस्थमा बीमारी के प्रति जागरूकता के लिए इस दिन को संपूर्ण विश्व में जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जाता है।“

उन्होंने आगे बताया “दमा फेफड़ों से उत्पन्न श्वसन अव्यवस्था की वजह से होता है। जिस हवा में हम सांस लेते हैं वह नाक, गले और फेफड़ों में जाती है। एलर्जी या अन्य वजहों से फेफड़े व उसके आसपास मांसपेशियां कसने लगती हैं। इससे वायुमार्ग अवरुद्ध हो जाता है जो आगे फेफड़ों में ऑक्सीजन की आपूर्ति को रोकने लगता है। अगर इस तरह के लक्षण दिखाई दें तो देर नहीं करना चाहिए फौरन चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए।“

जिला कंसल्टेंट हमित कश्यप ने बताया “सांस संबंधी रोगों के बारे में भी लोगों को समय-समय पर जागरूक किया जाता है। साथ ही जिला अस्पताल एवं सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में इलाज की सुविधा भी प्रदान की जाती है। हालांकि विशिष्ट स्थिति और वातावरण दमा के लक्षणों को बढ़ा या खराब कर सकते हैं। इनमें मुख्य रूप से श्वसन संबंधी बीमारियां जैसे संक्रामक ज़ुकाम और फेफड़ों की सूजन का होना, मौसम परिवर्तन (बहुत तेज गर्मी, अत्याधिक ठंड), रासायनिक व प्रदूषण युक्त धुआं, तेज गंध और इसी तरह के उत्तेजक पदार्थ आदि। इसलिए थोड़ी भी अस्वस्थता लगे तो व्यक्ति को बिना देर किए फौरन डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।“

क्या है अस्थमा – अस्थमा या दमा एक सांस से संबंधी रोग है, जिसमें रोगी को सांस लेने में काफी तकलीफ होती है, जिसके कारण वो अपने सीने में दबाव महसूस करता है और खांसी भी होती है। ऐसा तब होता है, जब व्यक्ति की श्वसन नलियों में अवरोध पैदा होने लगता है। श्वसन मार्ग में सूजन भी हो जाता है जिससे व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी होती है, दम भी फूलने लगता है। इसे ही अस्थमा कहते हैं।

इन लक्षणों को ना करें नजरअंदाज- खांसी, सांस लेने में परेशानी और घबराहट, सांस लेते समय सीटी जैसा आवाज निकलना , छाती में जकड़न महसूस होना, थकान का महसूस होना आदि लक्षण दिखने पर तुरंत ही डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

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