जन-जागरूकता से ही मिर्गी बीमारी से काफी हद तक मिलेगी निजात…

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– इंडियन अकाडमी ऑफ न्यूरोलॉजी (आईएएन) के कार्यक्रम में मिर्गी पीड़ितों को लाभ पहुंचाने विशेषज्ञों ने की चर्चा

रायपुर, 28 मार्च 2022, मिर्गी या एपिलेप्सी एक न्यूरोलॉजिकल ( मस्तिष्क संबंधी) विकार है, जिससे दिमाग में असामान्य तरंगें पैदा होती हैं और व्यक्ति को बार-बार -बार दौरे पड़ने लगते हैं। यह बीमारी किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है, पर यह समस्या ज्यादातर बच्चों में देखने को मिलती है। इसलिए इलाज के साथ-साथ इस बीमारी के प्रति जन-जागरूकता की बहुत जरूरत है। उक्त विचार शनिवार को इंडियन अकाडमी ऑफ न्यूरोलॉजी (आईएएन) की ओर से आयोजित “आईएएन पर्पल डे मिर्गी जन-जागरूकता” कार्यक्रम के दौरान चिकित्सा विशेषज्ञों ने व्यक्त की।

विशेषज्ञों ने बताया कि शहरी क्षेत्रों में मिर्गी का इलाज बहुत हद तक हो जाता है, लेकिन ग्रामीण भारत में अभी भी एक बड़ी संख्या में ऐसे मरीज हैं, जिनके मिर्गी का इलाज नहीं हो पाता है। इसलिए ग्रामीण इलाकों में भी मिर्गी बीमारी का इलाज सुलभ कराने, ग्रामीणों में जागरूकता लाने और चिकित्सकों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को लोगों में जानकारी की कमीं को दूर कर बीमारी से ग्रसितों का इलाज किस तरह से किया जाए इस संबंध में लोगों को बताने की अपील की।

कार्यक्रम की शुरूआत डॉ. निर्मल सूर्या ने कार्यक्रम के उद्देश्यों पर जानकारी देकर की। उन्होंने बताया “शहरी क्षेत्रों में तो मिर्गी से पीड़ितों का इलाज हो जाता है, मगर ग्रामीण इलाकों में इलाज सुविधाओं की कमी तो है ही, साथ ही साथ इस बीमारी को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां लोगों में हैं। आज भी लोग कई तरह की भ्रांतियां/ मिथक जैसे – भूत-प्रेत बाधा, दैविक प्रकोप आदि मानते हैं और जब किसी व्यक्ति को इस तरह का दौरा पड़ता है तो अवैज्ञानिक तरीके अपनाए जाते हैं। “

विद्युत तंत्र से बना हुआ है – मुंबई से डॉ. जयंती मणी ने बताया “मिर्गी के बारे में हर किसी को पता है कि यह दिमाग की बीमारी है और इसमें दौरे पड़ते हैं। लेकिन आखिर यह दौरा है क्या इसे समझना जरूरी है। दिमाग इलेक्ट्रिकल नेटवर्क यानि विद्युत तंत्र से बना हुआ है, और इन्हीं के बल पर पूरी शरीर अपना काम करता है। जब इस तंत्र में कुछ ऊपर-नीचे हो जाता है तो झटके से लगते हैं जिसे मिर्गी का दौरा पड़ना कहा जाता है। इस गड़बड़ी के अनेकों कारण हो सकते हैं। किसी भी वजह से व्यक्ति के दिमाग का संतुलन बिगड़ जाता है जिसे मिर्गी का दौरा नहीं कहा जाता है, क्योंकि जब यह स्थिति ठीक हो जाती है तो दौरा भी खत्म हो जाता है।“

बच्चों को ज्यादा संभालने की जरूरत- कोलकाता के डॉ. अमित हलधर और चेन्नई की डॉ. आशालता राधाकृष्णन ने बताया “मिर्गी किसी भी उम्र में हो सकती है। उन्होंने आगे बताया जन्म के पहले दिन भी नवजात में मिर्गी के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। तकनीकी रूप से समझें तो किसी भी व्यक्ति को किसी भी उम्र में मिर्गी के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। लेकिन बच्चों को ज्यादा संभालने की जरूरत होती है। इसलिए जरूरी है कि भ्रांतियों को दूर कर जैसे ही लक्षण दिखाई दें फौरन चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।“

दिल्ली की डॉ. ममता भूषण सिंह ने मिर्गी बीमारी को लेकर फैली भ्रांतियों और इसे दूर करने के साथ ही इसके कारण पर प्रकाश डालते हुए बताया कि “दिमाग में चोट लगने से भी मिर्गी के झटके आ सकते हैं। किसी वजह से किसी वजह से दिमाग को क्षति पहुंचने पर इलेक्ट्रिक नेटवर्क में बार-बार खराबी आने की प्रवृत्ति सी बन जाती है। वैसे भारत में मिर्गी की सबसे बड़ी वजह यही है। इसकी जानकारी बहुत जरूरी है।“

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