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रायपुर, 24 मार्च 2022: मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ की गौरवशाली संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन और छत्तीसगढ़िया संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए गंभीर प्रयास प्रारंभ किए गए हैं। हमारी संस्कृति के हरेली, तीजा, पोरा त्यौहारों के शासकीय स्तर पर आयोजन की शुरूआत, रामवन गमन पर्यटन परिपथ के विकास की परियोजना, छत्तीसगढ़ के पारम्परिक खेलों को बढ़ावा, हरेली, हरितालिका तीज, छेरछेरा पुन्नी-शाकाम्भरी जयंती, कर्मा जयंती, विश्व आदिवासी दिवस और छठपूजा पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा इन प्रयासों की बानगी है।
मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम, उनकी माता मॉ कौशल्या के साथ कौशल प्रदेश छत्तीसगढ़ के अभिन्न संबंधों के अनेक जीवंत प्रमाण छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति में रामनामी सम्प्रदाय, रामलीला और रामकोठी की परम्परा के रूप में विद्यमान है। ऐसी लोक मान्यता है कि भगवान राम की माता कौशल्या का जन्म और लालन-पालन छत्तीसगढ़ महतारी की गोद में हुआ था। संभवतः इसलिए सदियों से छत्तीसगढ़ के लोग भगवान राम को भांजे के रूप में मानकर उनको देव तुल्य आदर और सम्मान देते आ रहे हैं। ये परम्परायें और मान्यताएॅं हमारी बहुमूल्य अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर हैं जिन्हें संरक्षित करने का प्रयास राज्य शासन द्वारा किया जा रहा है। राम वनगमन पथ से जुड़े आस्था के केन्द्रों के विकास और उन्नयन सहित प्रदेश में व्याप्त राम-रामायणी परंपरा को बढ़ावा और संरक्षण देकर हमारी सरकार इस अनमोल धरोहर को भावी पीढ़ी को हस्तांतरित करने कृत-संकल्पित है।