विश्वविद्यालयों में पढ़ाने के लिए पीएचडी की डिग्री अनिवार्य नहीं…

raipur@khabarwala.news

नई दिल्ली: देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ाने का ख्वाब देख रहे युवाओं के लिए राहत भरी खबर है। अब केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ाने के लिए पीएचडी की डिग्री अनिवार्य नहीं होगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ( यूजीसी ) ने पीएचडी की अनिवार्यता को खत्म करने का फैसला किया है। यूजीसी के इस फैसले से संबंधित विषय के विशेषज्ञ यूनिवर्सिटी में पढ़ा सकेंगे। स्टूडेंट्स को भी इसका फायदा मिलेगा। इसके अलावा यूजीसी कई नए और विशेष पदों को सृजित करने की भी योजना बना रहा है। इन पदों पर नियुक्ति के लिए पीएचडी की आवश्यकता नहीं होगी। टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक ये पद प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस व एसोसिएट प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस हो सकते हैं। इस संबंध में यूजीसी चेयरमैन एम जगदेश कुमार ने कहा, ‘कई विशेषज्ञ हैं जो पढ़ाना चाहते हैं। कोई ऐसा व्यक्ति हो सकता है जिसने बड़ी

परियोजनाओं को लागू किया हो और जिसके पास जमीनी स्तर का काम करने का अनुभव हो, ये कोई कोई महान नर्तक या संगीतकार भी हो सकता है।’

जगदेश कुमार ने कहा, ‘लेकिन हम उन्हें मौजूदा नियमों के अनुसार नियुक्त नहीं कर सकते। इसलिए यह स्पेशल पद सृजित करने का फैसला किया गया है जिनके लिए पीएचडी डिग्री की जरूरत नहीं होगी। एक्सपर्ट्स को सिर्फ अपना अनुभव दिखाना होगा।’ इस मसले पर यूजीसी अध्यक्ष के साथ केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपतियों (वीसी) की बैठक के दौरान प्रस्ताव पर चर्चा हुई। बैठक में केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए नियमों में संशोधन पर काम करने के लिए एक समिति गठित करने का फैसला किया गया। बैठक अन्य बातों के अलावा राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के कार्यान्वयन में प्रगति पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई थी।

इन सबके अलावा यूजीसी की योजना एक ऐसा पोर्टल शुरू करने की भी है जिसके जरिए शिक्षकों की भर्ती का हिसाब-किताब रखा जा सके। इससे शिक्षकों की नियुक्तियों प्रक्रिया में देरी नहीं होगी। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक दिसंबर 2021 तक केंद्र वित्त पोषित संस्थानों में 10 हजार से ज्यादा शैक्षणिक पद खाली पड़े हैं।

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *