रायपुर 09 मार्च 2022: माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल का बजट भाषण : छत्तीसगढ़ विधानसभा

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माननीय अध्यक्ष महोदय,

अपनी सरकार का चौथा बजट प्रस्तुत करने के पूर्व मैं युद्ध की विभीषिका से आशंकित संपूर्ण विश्व के लिये मंगल.कामना, यजुर्वेद की इन पंक्तियों के साथ करना चाहता हूँ

ॐ विश्वानि देव सवितः दुरितानि परा सुव।

यत्भद्रम् तत् न आसुव।।

अध्यक्ष महोदय,

मेरा सौभाग्य है कि भारत की आजादी की 75 वीं सालगिरह के वर्ष में मैं अपनी सरकार का यह बजट प्रस्तुत कर रहा हँू। मुझे संतोष है कि बीते तीन वर्षाें के दौरान हमारी सरकार ने आजादी के नायक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों को पूरा करने की दिशा में सार्थक कदम उठाये हैं। बापू की स्मृतियांे को संजोने एवं उनके विचारों पर आधारित विकास के रास्तों को प्रदर्शित करने के लिये नवा रायपुर में सेवा ग्राम की स्थापना की जायेगी। इस परियोजना की अनुमानित लागत 100 करोड़ है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में इस पर व्यय हेतु नवीन मद में 5 करोड़ का प्रावधान है।

2. हमने अपनी विरासत और विकास योजनाओं को लेकर जो कहा था, उसे करके भी दिखाया है। जिसके कारण ग्रामीण तथा वनांचलों में रोजगार के नये अवसर बने हैं तथा हमें ग्राम केन्द्रित नयी अर्थव्यवस्था स्थापित करने में सफलता मिली है। विकास के इस ‘‘छत्तीसगढ़ मॉडल’’ को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है।

3. हमारी सरकार द्वारा पहले वर्ष में ही 17 लाख 96 हजार किसानों का 8 हजार 744 करोड़ रूपये का कृषि ऋण माफ किया गया। किसानों से धान की खरीदी 2500 रूपये प्रति क्विंटल की दर पर की गयी। खरीफ 2018 के धान हेतु 15 लाख 77 हजार किसानों को 6 हजार 22 करोड़ रूपये की बोनस.राशि का तत्काल भुगतान किया गया।

4. बस्तर के विकास का नया अध्याय शुरू करते हुए संभाग के जिलों में नारंगी वन क्षेत्र में से 30 हजार 439 हेक्टेयर भूमि राजस्व मद में वापस दर्ज की गई है। हमारे इस कदम से वहाँ के निवासियों को कृषि एवं व्यवसाय हेतु पट्टे दिये जा सकेंगे। नये उद्योगों की स्थापना की जा सकेगी। शासकीय भवनों के निर्माण, सड़क एवं रेलमार्ग का विकास तथा अन्य गतिविधियों के लिये भी सरलता से भूमि उपलब्ध हो सकेगी।

5. राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना में 6 हजार वार्षिक सहायता राशि दी जा रही है। इस वर्ष 3 लाख 54 हजार 513 भूमिहीन कृषि मजदूरों को 71 करोड़ 08 लाख की प्रथम किश्त का भुगतान किया जा चुका है। आगामी वर्ष से 6 हजार वार्षिक सहायता की राशि को बढ़ाकर 7 हजार करने की घोषणा करता हूँ।

6. प्रदेश के अनुसूचित क्षेत्र में आदिवासियों के देवस्थलों पर पूजा करने वाले व्यक्ति, जिन्हें भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में मांझी, बैगा, गुनिया, पुजारी इत्यादि भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है, का आदिवासियों के सांस्कृतिक जीवन एवं सामाजिक संस्कारों में विशेष महत्व है। आदिवासियों के सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्कार को जीवित रखने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। इन पुजारियों/बैगा/गुनिया/मांझी आदि जिनमें आदिवासियों के देवस्थल के हाट पाहार्या एवं बाजा मोहरिया भी शामिल है, को राज्य शासन द्वारा राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के अनुरूप लाभ दिये जाने की घोषणा करता हूँ।

7. सुराजी गांव के स्वप्न को साकार करने के लिये प्रदेश में स्थापित गोठानों को महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क के रूप में विकसित किया जायेगा। इन औद्योगिक पार्कों में स्थानीय खाद्य उत्पादों एवं लघु वनोपज उत्पादों के मूल्य संवर्द्धन (टंसनम ।ककपजपवद) के लिये प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना की जायेगी। बांस एवं काष्ठ शिल्प, मेटल शिल्प तथा अन्य हस्त शिल्प से संबंधित लघु एवं कुटीर उद्योगों की स्थापना के लिये स्थानीय युवाओं को सहयोग दिया जायेगा।

8. इन औद्योगिक पार्काें में तैयार किये जाने वाले उत्पादों का चयन हितग्राहियों के कौशल, कच्चे माल की उपलब्धता तथा तैयार उत्पाद की उपभोक्ताओं में मांग को ध्यान में रखते हुए किया जायेगा। इन औद्योगिक पार्कों में उन्नत अधोसंरचना तथा बिजली पानी जैसी बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिये 600 करोड़ का प्रावधान है।

9. गोधन न्याय मिशन, टी-कॉफी बोर्ड का गठन, मछली पालन एवं लाख उत्पादन को कृषि के समकक्ष दर्जा देना, मिलेट मिशन एवं वाणिज्यिक वृक्षारोपण जैसे कार्यक्रमों के क्रियान्वयन से रोजगार के नये अवसरों का सृजन हुआ है। इन उत्पादों के विपणन का कार्य छत्तीसगढ़ लघु वनोपज संघ द्वारा छत्तीसगढ़ हर्बल्स ब्रान्ड के नाम से किया जा रहा है।

10. नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित कौशल विकास कार्यक्रम का विभिन्न नवाचारी योजनाओं के साथ समन्वय एवं राज्य स्थित विशिष्ट शिक्षण संस्थाओं की विशेषज्ञता का लाभ लेते हुए रोजगार एवं स्वरोजगार की नवीन संभावनाओं पर कार्य किया जा रहा है। इस हेतु छत्तीसगढ़ रोजगार मिशन की शुरूआत के लिये 2 करोड़ का प्रावधान है।

11. छत्तीसगढ़ व्यावसायिक परीक्षा मण्डल एवं छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं में राज्य के स्थानीय प्रतिभागियों का परीक्षा शुल्क माफ करने की घोषणा करता हँू।

12. शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले राज्य के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की पुरानी मांग पर विचार करते हुए एन.पी.एस योजना के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की घोषणा करता हूँ।

13. शासकीय अधिवक्ताओं के मानदेय में भी आगामी वर्ष से वृद्धि की घोषणा करता हूँ।

 

आर्थिक स्थिति

14. अध्यक्ष महोदय, अब मैं राज्य की आर्थिक स्थिति का ब्यौरा सदन के सामने प्रस्तुत करता हूँ। राज्य के चालू वर्ष के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार स्थिर भाव पर वर्ष 2020-21 की तुलना में चालू वर्ष के सकल राज्य घरेलू उत्पाद में 11.54 प्रतिशत की वृद्धि अनुमानित है।

15. वर्ष 2021-22 में स्थिर भाव पर राज्य में कृषि क्षेत्र में 3.88 प्रतिशत, औद्योगिक क्षेत्र में 15.44 प्रतिशत और सेवा क्षेत्र में 8.54 प्रतिशत की वृद्धि अनुमानित है। इस प्रकार कृषि एवं सेवा क्षेत्र में राज्य की अनुमानित वृद्धि दर, राष्ट्रीय स्तर के समतुल्य एवं औद्योगिक क्षेत्र में अनुमानित वृद्धि दर राष्ट्रीय दर से 3.64 प्रतिशत अधिक है।

16. प्रचलित भाव पर राज्य का सकल घरेलू उत्पाद वर्ष 2020-21 में 3 लाख 52 हजार 161 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2021-22 में 4 लाख 61 करोड़ होना अनुमानित है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 13.60 प्रतिशत अधिक है।

17. वर्ष 2020-21 में अनुमानित प्रति व्यक्ति आय 1 लाख 05 हजार 778 रूपये की तुलना में वर्ष 2021-22 में 1 लाख 18 हजार 401 रूपये का अनुमान है, जो कि गत वर्ष की तुलना में 11.93 प्रतिशत अधिक है।

 

18. वर्ष 2021-22 के राज्य बजट में केन्द्रीय करों एवं केन्द्रीय सहायता अनुदान मद में कुल 44 हजार 325 करोड़ का प्रावधान रखा गया था। वर्ष 2022-23 के केन्द्रीय बजट को देखते हुए इस वर्ष राज्य के बजट में कुल 44 हजार 573 करोड़ की राशि केन्द्र से प्राप्त होना अनुमानित है। जून 2022 के पश्चात् जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान समाप्त किये जाने के कारण केन्द्रीय प्राप्तियों में कम वृद्धि अनुमानित है।

19. वर्ष 2021-22 के बजट में राज्य के स्वयं के कर एवं करेत्तर राजस्व से कुल 35 हजार करोड़ की प्राप्ति अनुमानित की गयी थी। राज्य के स्वयं के राजस्व स्रोतों में वृद्धि हेतु किये जा रहे सतत् प्रयासों से राजस्व प्राप्तियों में निरंतर वृद्धि दर्ज होने के परिणामस्वरूप इस वर्ष राज्य मद से प्राप्तियों में 44 हजार 500 करोड़ की प्राप्ति अनुमानित है। इस प्रकार राज्य के स्वयं के राजस्व प्राप्तियों में 27 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में केन्द्रीय प्राप्तियों में केवल 1 प्रतिशत की वृद्धि अनुमानित है।

 

कृषि एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था

20. किसानों की उन्नति के लिये हमारी सरकार द्वारा किये गये ठोस प्रयासों का ही परिणाम है कि राज्य में कृषि एक लाभप्रद व्यवसाय के रूप में उभरा है। खरीफ वर्ष 2017 में 12 लाख किसानों से उपार्जित 57 लाख मीट्रिक टन धान की तुलना में खरीफ वर्ष 2021 में 21 लाख 77 हजार किसानों से 98 लाख मीट्रिक टन धान उपार्जित किया गया है। इस प्रकार विगत 3 वर्षाें के दौरान 9 लाख 77 हजार नये किसानों का पंजीयन हुआ है एवं उपार्जित धान की मात्रा में भी 41 लाख मीट्रिक टन की वृद्धि दर्ज की गयी है।

21. धान सहित समस्त खरीफ फसलों, लघु धान्य फसलों, उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देने के लिये राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अंतर्गत प्रति एकड़ अधिकतम 10 हजार की आदान सहायता देने की व्यवस्था है। विगत 2 वर्षाें में 10 हजार 152 करोड़ की सहायता राशि 20 लाख से अधिक किसानों को भुगतान की जा चुकी है। इस योजना के लिये 6 हजार करोड़ का प्रावधान है।

22. विविध फसलों को बढ़ावा देने के क्रम में गन्ना की खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य 271 रूपये के स्थान पर 355 रूपये प्रति क्विंटल की दर से की जा रही है। इस वर्ष 12 लाख मीट्रिक टन गन्ना खरीदी हेतु 112 करोड़ का प्रावधान है।

23. पिछड़े क्षेत्र वाले 14 जिलों के 25 विकासखण्डों में पोषण सुरक्षा, कृषि उत्पाद का मूल्य संवर्धन एवं कृषकों की आर्थिक स्थिति में सुधार हेतु चिराग परियोजना प्रारंभ की गई है। इसके लिये 200 करोड़ का प्रावधान है।

24. प्रदेश के किसानों को उच्च गुणवत्तायुक्त प्रमाणित बीज की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु कृषक समग्र विकास योजना में 123 करोड़ का बजट प्रावधान है।

25. फसल बीमा योजना में 575 करोड़, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना में 323 करोड़, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में ड्रिप एवं स्प्रिंकलर स्थापित करने के लिये 60 करोड़ एवं कृषि यंत्रों के वितरण एवं प्रचार प्रसार हेतु 87 करोड़ का प्रावधान है।

26. 10 हजार 404 हेक्टेयर क्षेत्र में बहुवर्षीय फलोद्यान तथा 9 हजार 600 हेक्टेयर क्षेत्र में सब्जी उत्पादन एवं 1 हजार 895 हेक्टेयर क्षेत्र में फूलों की खेती के लिये कृषकों को सहायता अनुदान का लक्ष्य रखा गया है।

27. कृषि एवं उद्यानिकी उत्पादों के सुरक्षित भंडारण की क्षमता में वृद्धि हेतु दुर्ग जिले में इन्टीग्रेटेड पैक हाउस की स्थापना की जायेगी। इसमें अत्याधुनिक गामा विकिरण तकनीक का उपयोग किया जायेगा। इसके लिये 24 करोड़ का प्रावधान है।

28. खाद्य पदार्थाें में कीटनाशक अवशेषों की जाँच के लिये एन.ए.बी.एल. (छ।ठस्) से मान्यता प्राप्त फाइटो-सेनेटरी प्रयोग शाला स्थापित की जायेगी। इसकी स्थापना से कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा, जिसका आर्थिक लाभ सीधे कृषकों को प्राप्त हो सकेगा। इसके लिये 1 करोड़ 50 लाख का प्रावधान है।

29. प्रदेश भर में अब तक स्वीकृत 10 हजार 590 गौठानों में से 8 हजार 119 गौठानों का निर्माण पूर्ण हो चुका है। यहाँ उपलब्ध विशेष सुविधा के तहत अब तक 1 लाख 86 हजार 641 कृत्रिम गर्भाधान किये गये हैं, जिससे 57 हजार 943 बछड़ों का जन्म हुआ है।

30. गोधन न्याय योजना के तहत अब तक 63 लाख 89 क्विंटल गोबर का क्रय किया जाकर पशुपालकों को 127 करोड़ 79 लाख रुपये का भुगतान किया गया है। इसमें स्वावलंबी गोठानों द्वारा स्वयं के आय से भुगतान की गयी 12 करोड़ की राशि भी शामिल है।

31. गौठानों में उपलब्ध गोबर से 11 लाख 65 हजार क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट एवं 4 लाख 65 हजार क्विंटल सुपर कम्पोस्ट का उत्पादन हुआ है। अब तक 91 करोड़ 11 लाख का वर्मी एवं सुपर कम्पोस्ट विक्रय किया जा चुका है। स्व-सहायता समूह के हितग्राहियों को 31 करोड़ 34 लाख की लाभांश राशि वितरित की गयी है।

32. चारे की व्यवस्था हेतु अब तक 7 हजार चारागाहों की स्वीकृति दी गयी है। लगभग 5 हजार चारागाहों में चारा रोपण किया जाकर गौठानों में हरा चारा उपलब्ध कराया जा रहा है।

33. सूखा चारा उपलब्ध कराने हेतु ग्रामीणों को पैरा-दान के लिए जागरूक एवं प्रेरित करके गौठानों में 15 लाख 67 हजार क्विंटल पैरा एकत्रित किया गया है।

34. गौठानों को रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित करते हुए अबतक 750 गौठानों में 21 तेल मिल, 28 दाल मिल 40 आटा मिल एवं 680 मिनी राइस मिलों की स्थापना की गई है।

सिंचाई सुविधाओं का विकास

35. सिंचाई परियोजनाओं का वास्तविक लाभ किसानों तक पहुंचाने की दिशा में ठोस कदम उठाते हुए लघु एवं मध्यम सिंचाई की योजनाओं पर हमने विशेष ध्यान दिया है। परिणामस्वरूप वर्ष 2018 में वास्तविक सिंचित क्षेत्रफल 10 लाख 90 हजार हेक्टेयर से बढ़कर अब 13 लाख 58 हजार हेक्टेयर हो चुका है।

36. वर्ष 2022-23 में 1 हजार 705 नवीन कार्यों के लिए 300 करोड़ का प्रावधान है। इन कार्याें से 2 लाख 32 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता विकसित होगी। नवीन मद अंतर्गत 249 वृहद्कार्य, 53 मध्यम कार्य तथा 835 लघु सिंचाई कार्य तथा 404 एनीकट एवं स्टापडेम निर्माण कार्य शामिल हैं।

37. केलो परियोजना हेतु 90 करोड़, अरपा भैसाझार परियोजना के लिए 45 करोड़ तथा समोदा परियोजना को पूर्ण करने के लिए 14 करोड़ का प्रावधान है।

38. नाबार्ड की सहायता से सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण हेतु 690 करोड़, लघु सिंचाई परियोजनाओं के लिए 931 करोड़, एनीकट एवं स्टापडेम निर्माण के लिए 260 करोड़ तथा तटबंध निर्माण कार्याें हेतु 125 करोड़ का प्रावधान है।

39. इस वर्ष 10 वृहद्, 15 मध्यम, 3 लघु सिंचाई एवं 06 मेगा उद्वहन सिंचाई परियोजनाओं के सर्वेक्षण हेतु 3 करोड़ 10 लाख का प्रावधान है।

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