धूम्रपान मुक्त जिले के लिए अंतर-विभागीय अधिकारियों का हुआ उन्मुखीकरण…

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– अधिकारियों को तंबाकू के बढ़ते उपयोग से हो रहे दुष्प्रभावों और भारत सरकार द्वारा तंबाकू नियंत्रण के दिशा-निर्देशों की दी गई जानकारी

कवर्धा, 4 मार्च 2022, धूम्रपान मुक्त जिला बनाए जाने हेतु “उन्मुखीकरण कार्यशाला” का आयोजन जगदंबा पैलेस कवर्धा में किया गया, जिसमें जिला-स्तरीय अंतर-विभागीय अधिकारियों को तंबाकू उत्पादों के उपयोग और खरीद-बिक्री संबंधी कानूनों की जानकारी दी गई। वहीं विशेषज्ञों ने धूम्रपान मुक्त जिले की परिकल्पना और कैंसर व अन्य तंबाकू-जनित बीमारियों के संबंध में भी विस्तार से जानकारी दी।

भारत सरकार के तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत कवर्धा/ कबीरधाम जिले को धूम्रपान मुक्त किए जाने का प्रयास जारी है। कलेक्टर के निर्देशानुसार मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुजॉय मुखर्जी के मार्गदर्शन से “उन्मुखीकरण कार्यशाला” आयोजित हुआ। इस मौके पर जिला नो़डल अधिकारी तंबाकू नियंत्रण, डॉ अनुज चौरसिया द्वारा राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के उद्देश्य एवं तंबाकू के बढ़ते उपयोग से हो रहे दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी दी गई। |

साथ ही डॉ. चौरसिया ने कार्यशाला में उपस्थित अधिकारियों को धूम्रपान या तंबाकू उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करने और धुम्रपान मुक्त जिले की आवश्यकता क्यों है, इस बारे में जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया “राज्य में 13 से 15 वर्ष के बच्चों में तंबाकू उपयोग का प्रतिशत 8 है और सर्वेक्षण के अनुसार 15 से 22 वर्ष में 90 प्रतिशत लोग तंबाकू उत्पादों का उपयोग करना प्रारंभ करते हैं जिसके कारण उसे छोड़ पाना मुश्किल होता है। पर यही कारण है कि तंबाकू छोड़ने की जो दर है वह 5 प्रतिशत से भी कम है। इसलिए सभी को सहभागी बनकर तंबाकू उत्पादों की खरीद-बिक्री और तंबाकू उत्पादों का उपयोग नहीं करने के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता है।

“ उन्होने बताया “ राज्य एवं जिले के लगभग 40 प्रतिशत आबादी तंबाकू का उपयोग करती है साथ ही साथ सर्वेक्षण के अनुसार लगभग 72 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं, जहां पर किसी न किसी रूप में तंबाकू का इस्तेमाल करने वाला एक सदस्य मौजूद है। साथ ही यह भी बताया जिस प्रकार पिछले 2 वर्षों से कोरोना महामारी के कारण लाखों लोगों की मृत्यु हुई है, इसी तरह हर वर्ष तंबाकू के कारण भी लोगों की मृत्यु होती है। परंतु इस पर किसी का ध्यान नहीं जाता है।“

कार्यक्रम में राज्य में तकनीकी सहयोग प्रदान कर रही संस्था द यूनियन के संजय नामदेव ने की सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य उत्पादन प्रदाय और वितरण का (विनियमन) अधिनियम, 2003, (कोटपा अधिनियम) की समस्त धाराओं की जानकारी एवं उनके प्रावधानों के बारे में बताया I उन्होने हाल ही में भारत सरकार द्वारा लागू ई-सिगरेट अधिनियम 2019 की जानकारी प्रदान की I इस प्रशिक्षण कार्यशाला में जिले के समस्त नगरीय निकायों के प्रतिनिधि श्रम विभाग पुलिस विभाग शिक्षा विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी उपस्थित थे|

धुम्रपान मुक्त जिला बनाए जाने के मापदंडों की दी गई जानकारी- कार्यक्रम में राज्य में तकनीकी सहयोग प्रदान कर रही संस्था द यूनियन की राज्य प्रतिनिधि डॉ दीक्षा पुरी ने धुम्रपान मुक्त जिला बनाए जाने के संबंध में विस्तार से बताया “कोटपा अधिनियम की धारा 4 का अनुपालन अर्थात सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान निषेध का अनुपालन पूर्ण रूप से किए जाने पर जिले को धूम्रपान मुक्त घोषित किया जा सकता है, जिसके लिए समस्त सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान निषेध का बोर्ड लगाया जाना अनिवार्य होगा I किसी भी प्रकार के तंबाकू पदार्थ के उपयोग को प्रोत्साहित करने वाली चीजें को प्रदर्शित नहीं किया जाना जरूरी होगा। सार्वजनिक स्थानों पर तंबाकू उद्योग और उत्पादों के उपयोग के सबूत का नहीं पाया जाना अनिवार्य मापदंड होगा। पहले चरण में धुम्रपान मुक्त जिला बनाया जाना है , फिर बाद में शासकीय कार्यालय को धूम्रपान मुक्त बनाया जाएगा। साथ ही फिर ग्राम पंचायत, नगरीय निकाय ऐसे छोटे-छोटे स्थानों को धुम्रपान मुक्त घोषित कर सकेंगे| “

सामूहिक सहभागिता की अपील – जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सुजॉय मुखर्जी ने धूम्रपान मुक्त जिले बनाए जाने हेतु समस्त विभागों से उपस्थित अधिकारियों से अपील कीI उन्होने अपील करते हुए कहा “सामूहिक सहभागिता से जिले को धूम्रपान मुक्त बनाया जा सकेगा एवं तंबाकू के प्रचार प्रसार में युवाओं को आगे लाने के लिए प्रयास करने, और उनमें तंबाकू मुक्ति के प्रति जागरूकता हेतु अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार किए जाने की किए जाने की आवश्यकता है।”

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